खोनोमाः एशिया के पहले ग्रीन विलेज की सैर

Tripoto
Photo of खोनोमाः एशिया के पहले ग्रीन विलेज की सैर by Rishabh Dev

घुमक्कड़ों की भी एक अलग कहानी होती है। घुमक्कड़ हमेशा ऐसी जगहों की तलाश में रहते हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। इन्हें आप दुनिया के किसी भी कोने में छोड़ दीजिए वे अपनी मनचाही जगह ढूँढ़ ही लेते हैं। अब चाहे वो शहर हो या किसी दूर दराज इलाके में नदी का किनारे। एक अल्हड़ घुम्मकड़ को आप अनछुई जगहों पर जाने से नहीं रोक पाएंगे। ऐसी ही एक अनछुई जगह है खोनोमा।

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खोनोमा, नागालैंड का एक छोटा-सा गांव है। ये गांव एशिया और इंडिया का पहला ग्रीन विलेज है। प्रकृति के बीच बसे इस गांव के बारे में जितना कहा जाए कम ही होगा। यहां खूबसूरती के लिए पहाड़, जंगल, झरने और खूबससूरत खेत सब देखने को मिलता है। कुदरत के नजारों से भरे इस ग्रीन विलेज को हर किसी को देखना चाहिए।

खोनोमा के बारे में

नागालैंड अपने खूबसूरती के लिए तो जाना जाता है। इसके अलावा ये राज्य बहुत सारे आदिवासियों का घर भी है। इन्हीं आदिवासियों में एक बहुत पुरानी जनजाति है अंगामी। अंगामी आदिवासी अपनी बहादुरी और मार्शल आर्ट्स के लिए जाने जाते हैं। इन आदिवासियों ने कई साल तक अंग्रेजों को अपने गाँव में घुसने नहीं दिया था। 1847 में अंग्रेजों के साथ अंगामी आदिवासियों का युद्ध हुआ जो 1879 तक चला। इतने साल तक इन लोगों ने सिर्फ रणनीति और मार्शल आर्ट्स के दम पर अंग्रेजों का मुकाबला। 1879 में अंग्रेजों ने इस गाँव पर कब्जा कर लिया।

700 साल पुराने इस गाँव में लगभग 250 घर हैं। जिसमें 3,000 लोग बहुत आराम से रहते हैं। ये जगह आज ग्रीन विलेज के नाम से जानी जाती है। यहां के लोग टूरिस्टों को अपने गाँव के बारे में बड़े गर्व के साथ बताते हैं लेकिन यहाँ ऐसा शुरू से नहीं था। पहले यहाँ भी बाकी आदिवासियों गाँवों की तरह शिकार हुआ करता था। एक प्रकार से शिकार उनकी परंपरा का ही हिस्सा था। मगर 1998 में खोनोमा के लोगों ने शिकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि शिकार की वजह से कई पशु-पक्षी विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गए थे। तब से खोनोमा गाँव को पर्यावरण संरक्षण गाँव के तौर पर भी देखा जाता है।

इसलिए भी है ये गाँव खास

123 वर्ग किमी. में फैले इस गाँव में बहुत कुछ ऐसा है जो इसे खास बनाता है। सुंदर नजारे और हरियाली से भरा ये गाँव पूरी तरह से टूरिज्म पर निर्भर है। यहाँ का पर्यटन इकोटूरिज्म की राह पर बखूबी चल रहा है। इसमें प्रकृति को नुकसान करने से बचाया जाता है। यहाँ आप जाएंगे तो आपको ठहरने के लिए बड़े-बड़े होटल शायद न मिलें लेकिन एक आरामदायक होमस्टे में आपको सारी सुविधाएँ मिल जाएँगी। इसमें एक खास बात ये है कि पूरे गाँव के होमस्टे से जितना पैसा कमाया जाता है। उसे सभी के बीच बराबर-बराबर बाँट दिया जाता है।

क्यों है ये ग्रीन विलेज?

खोनोमा एशिया का पहला ग्रीन विलेज है लेकिन ये भी जान लेना जरूरी है कि खोनोमा में ऐसा क्या है? जो इसे ग्रीन विलेज बनाता है। खोनोमा की सबसे बड़ी खास बात ये है कि यहाँ पेड़ नहीं काटे जाते हैं। अगर किसी को कुछ बनवाना होता है तो वे पेड़ को काटने की बजाय उसकी टहनियों को काटते हैं। इस गाँव में खेती बहुत कम होती है जो लोग करते हैं वे सीढ़ीनुमा खेती करते हैं। गाँव के घर एक-दूसरे से पूरे तरहे से सटे होते हैं। पहाड़ों के बीच इन घरों को देखना बहुत अच्छा लगता है। अगर ये कहा जाए कि खोनोमा को ग्रीन विलेज यहाँ के लोगों ने बनाया है तो उसमें कुछ गलत नहीं होगा। यहाँ के पेड़, जंगल, घर, टूरिज्म सबका रखरखाव यहाँ के लोग ही करते हैं।

रास्ते के दोनों तरफ फूल ही फूल दिखाई देते हैं। जब इस रास्ते पर चलते हैं तो लगता है कि कुदरत ने इस जगह को खुद संजोया है। खोनोमा में शिकार के अलावा तंबाकू भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उसका असर यहाँ के लोगों और जगह पर साफ-साफ दिखाई पड़ता है। खोनोमा में प्लास्टिक, पॉलीथीन का उपयोग बहुत कम किया जाता है। जगह-जगह पर कूड़ा डालने के लिए डस्टबिन बनाए गए हैं। यहाँ आपको सड़क पर शायद ही कचरा पड़ा हुआ दिखाई दे। खोनोमा को ग्रीन विलेज बनाने में यहाँ के स्कूली बच्चों का भी खासा योगदान है। हर स्कूल हफ्ते के आखिर में एक स्वच्छता प्रतियोगिता करवाते हैं। जिसमें बच्चों को ज्यादा से ज्यादा कचरा कूड़ेदान में डालना होता है। बच्चे बोर न हों इस बात का भी ध्यान रखा जाता है।

क्या देखें?

सुंदर नजारे, यहाँ का लोकल खाना और खुशमिजाज लोग इस जगह को खूबसूरत बनाते हैं। वैसे तो यहाँ हर जगह खूबसूरती पसरी हुई है। बस आपके देखने की देर है। मगर कुछ जगह हैं जहाँ आपको जाना चाहिए। खोनोमा अपने इतिहास में कुछ खूबसूरत जगहों को समेटे हुए है।

1. सिमोमा किला

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जब अंग्रेजों और अंगामी आदिवासियों के बीच युद्ध चल रहा था। तब अंग्रेजों ने यहाँ किला बनाया सिमोमा किला। ये किला अंग्रेजों के सबसे मजबूत किलों में से एक था। 1850 से 1879 के बीच हुई उस जंग की गवाह है ये किला। अगर आपको इतिहास में थोड़ी-सी भी दिलचस्पी हो तो इस किले को जरूर देखना चाहिए।

2. मोरंग

मोरंग एक प्रकार की रहने की जगह है। ये जगह नौजवान लड़कों के लिए होती है। जो यहां रहकर उन चीजों को सीखते हैं जो उनके काम आए। वे यहाँ हथियार बनाने से लेकर, खेल खेलते हैं और ट्रेनिंग लेते हैं। यहाँ कदम-कदम पर इतिहास से जुड़ी कई चीजें देखने को मिलती हैं। यहाँ आपको 125 साल पुराना भाला भी देखने को मिलेगा। अगर आप खोनोमा की सैर करने जाएं तो इस जगह पर जाना न भूलें।

3. अंगामी शॉल

हर जगह पर कुछ स्थानीय चीज फेमस होती ही है। नागालैंड की अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग का बड़ा योगदान है। खोनोमा के अंगामी शाॅल दुनिया भर में बहुत पसंद किए जाते हैं। अगर आप कभी ग्रीन विलेज जाएं तो अंगामी शाॅल को लेना न भूलें।

क्या खाएँ?

घुमक्कड़ी में सिर्फ घूमना ही नहीं होता है। वहां के रहन-सहन और खान-पान के बारे में भी जानना होता है। नागालैंड आदिवासियों का घर है। आप यहाँ जाएँगे तो खाने के मामले में ये आपको निराश नहीं करेगा। यहाँ हर आदिवासी जनजाति का अपना खान-पान और अपना तरीका है। खोनोमा गांव में अंगामी जनजाति के लोग रहते हैं। यहाँ की पारंपरिक थाली में आपको एक मीट की डिश, एक सब्जी और साथ में चावल मिलते हैं। लाल चावल और पत्ता गोभी यहाँ का मुख्य व्यंजन है।

कहाँ ठहरें?

खोनोमा में आपको होटल नहीं मिलेंगे लेकिन आप यहाँ होमस्टे में ठहर सकते हैं। होम स्टे में आपको सारी सुविधाएँ मिलती हैं। यहाँ सभी पैसे कमाते हैं और पूरे गाँव के बीच बराबर-बराबर बांटा जाता है। यहाँ सभी चीजों के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है। होमस्टे में टूरिस्टों को ठहरने के लिए बारी-बारी से सबको मौका मिलता है।

कैसे पहुँचे?

खोनोमा नागालैंड की राजधानी कोहिमा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोहिमा से खोनोमा सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहाँ सड़क मार्ग, हवाई और रेल मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं।

सड़क

यदि आप खोनोमा सड़क मार्ग से जाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले दीपामुर पहुँचिए और वहाँ से कोहिमा। दीमापुर से कोहिमा की दूरी लगभग 70 किमी. है। लगभग ढाई घंटे के सफर के बाद आप कोहिमा पहुँच सकते हैं। खोनोमा गाँव यहाँ से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है।

ट्रेन से

अगर आप खोनोमा ट्रेन से आने की सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दीमापुर है। कई शहरों से दीमापुर के लिए गाड़ियाँ चलती हैं लेकिन गुवाहाटी से दीमापुर अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दीमापुर से खोनोमा की दूरी 90 किलोमीटर है। आप दीमापुर से टैक्सी बुक करके सीधे खोनामा पहुँच सकते हैं।

फ्लाइट से

अगर आप फ्लाइट से आ रहे हैं तो सबसे निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर है। दीमापुर के लिए कई बड़े शहरों से आपको फ्लाइट मिल जाएंगी। दीमापुर से खोनोमा आप आसानी से पहुँच सकते हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

1. नागालैंड में आने के लिए आपको आई.एल.पी. यानी इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है। यह परमिट आप नई दिल्ली, गुवाहाटी, कोलकाता और कोहिमा में ले सकते हैं।

2. खोनोमा एक ग्रीन विलेज है इसलिए यहां पर प्लास्टिक और पाॅलीथीन का उपयोग बहुत कम होता है। इसलिए यहाँ पॉलीथीन मिलने की उम्मीद मत रखिए।

3. दिसंबर के महीने में नागालैंड में एक बहुत चर्चित फेस्टिवल होता है, हॉर्नबिल फेस्टिवल। अगर आप दिसंबर में खोनोमा जाएं तो इस फेस्टिवल का हिस्सा जरूर बनें।

4- खोनोमा में सब कुछ पर्यटन पर निर्भर है इसलिए यहाँ टूर गाइड लेना अनिवार्य है। खास बात ये है कि कौन कब टूरिस्ट को घुमाने लेकर जाएगा सब पहले से ही निर्धारित है।

क्या आप कभी एशिया के पहले ग्रीन विलेज खोनोमा की यात्रा पर गए हैं? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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