पहलगाम ,जिधर नज़र जाए देखती हूँ कि एक चिनार रहता है, शायद इस घाटी के रखवाले।

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Photo of पहलगाम ,जिधर नज़र जाए देखती हूँ कि एक चिनार रहता है, शायद इस घाटी के रखवाले। by Neha Gupta

कश्मीर ब्लॉग # 2

पहलगाम

Photo of पहलगाम ,जिधर नज़र जाए देखती हूँ कि एक चिनार रहता है, शायद इस घाटी के रखवाले। 1/4 by Neha Gupta

श्रीनगर से पहलगाम तक की सुंदर सड़क यात्रा का आनंद लिया। सड़क के दोनों ओर चिनार के पेड़ों की हरी-भरी सुरंग मनमोहक थी। सच में मुझे चरवाहों की भूमि पहलगाम में भेड़ के ट्रैफिक जाम में फंसना बहुत पसंद आया।

Photo of पहलगाम ,जिधर नज़र जाए देखती हूँ कि एक चिनार रहता है, शायद इस घाटी के रखवाले। 2/4 by Neha Gupta

नई जगह की हर यात्रा मुझे हमेशा कुछ गहरे विचारों में डूबने देती है, यात्रा के वे अवशेष जो कुछ समय के लिए रुकते हैं,लेकिन फिर कुछ यात्राएं कभी फीकी नहीं पड़तीं, वे बस आपके जीवन का हिस्सा बन जाती हैं। यह यात्रा ने मुझे फिर से विश्वास दिलाया है कि मेरे अपने कमरे के बाहर भी एक अलग दुनिया मौजूद है। और मैंने अपनी इस यात्रा में कई धुनों का सामना किया।मैंने खेत, गाँव, कस्बे, पहाड़ और जन्नत की एक छोटी सी झलक देखी है।

मैं चारों ओर से हरियाली में घिरी हुई थी।यहाँ से मैं पहलगाम से बहते बहुत खूबसूरत लिद्दर नदी की ठंडी धाराएँ देख सकती हूँ ,पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि के साथ एक हरे-भरे परिदृश्य से गुजरती है,और मेरी बाईं ओर, मैं अपने से अधिक खुशहाल परिवारों वाले मिट्टी के बने घरों को देख सकती हूँ। जिधर नज़र जाए देखती हूँ कि एक चिनार रहता है, शायद इस घाटी के रखवाले।

यहाँ की खंडहर की तरह ये टूटे पुराने घर और बंद दूकान कश्मीरी संस्कृति की स्पष्ट कहानियां बताती हैं। पहाड़ ,नदियाँ, पेड़ मुझे पुकार रही थी।जैसे ही मैं मेरे पैरों को ठंडे पानी में डुबोई ऐसा लगा कि मैं और कश्मीर एक हो गए।

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मुझे अपनी इस घाटी पर गर्व है लेकिन इसबार मेरे खुशी, सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। मैं अपने इयरफ़ोन को अपने विचारों को वापस रखने के लिए बार - बार प्लग-इन किया करती थी । यहां एक संकेत में लिखा था 'पहलगाम हमारे साथ है' लेकिन क्या यह वास्तव में है? इस संकट के बीच भी यह जगह परिवारों, उनकी हंसी और उनकी अपनी कहानियों से भरी पड़ी है। घाटी के रास्ते में, मैंने अभी तक इन पहाड़ों, बादलों और नदियों को अलविदा नही कहा है,फिर कभी जाऊंगी अलविदा कहने के लिए अगली बार भी कह पाते है या........नहीं ।

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लेकिन ऐसा लगता है कि कश्मीर हर जगह मेरा पीछा कर रहा हैं। सबसे दूर मैं अपने आप को खोजने की कोशिश करती हूं, जब भी अपने पैरों को भिगोती हूं, अपने विचारों में खो जाती हूं और एक मजनू की तरह नंगे पांव घूमती भी हूं,लेकिन यह मजनू अपनी लैला को नहीं बल्कि काश्मीर में खुद को खोजने की कोशिश कर रही है। पूरी यात्रा एक सपने की तरह लगती है।

यात्रा सभी के लिए हैं ।

कैसे करें कश्मीर की बजट यात्रा, सारे जवाब मिलेंगे यहाँ।

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