बिजली महादेव मंदिर भारत के कुल्लू घाटी में लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है महादेव का यह अनोखा मंदिर, व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास कशावरी गाँव में स्थित है। कहा जाता है कि यहां आसमानी बिजली गिरने की वजह से शिवलिंग टूट जाता है। मगर मंदिर के पुजारी जब शिवलिंग को मक्खन से जोड़ते हैं, तो शिवलिंग फिर से अपने पुराने रूप में आ जाता है। यहाँ के लोगों का कहना है कि बिजली गिरने से जान-माल को काफ़ी नुकसान होता है। लेकिन भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हुए बिजली के आघात को वे अपने ऊपर सहन कर लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में एक कुलांत नामक राक्षस ने इस जगह को अपना निवास बना लिया था। वह एक विशाल अजगर का रूप लेकर मंडी गोघरधार से होकर, लाहौल-स्पीति से मथाण गांव तक आ गया। अजगर रुपी दैत्य ने इस जगह को पानी में डुबाने के लिए व्यास नदी के प्रवाह को रोक दिया, ताकि वहां के निवासी पानी में डूबकर मर जाएँ। राक्षस कुलांत की इस मंशा को जानकर भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से उस राक्षस का वध कर दिया। राक्षस की मृत्यु के तुरंत बाद उसका विशालकाय शरीर एक विशाल पर्वत में परिवर्तित हो गया। कहा जाता है कि कुलांत राक्षस के नाम से ही उस जगह का नाम कुल्लू पड़ा। इसके बाद भगवान शिव ने इंद्रदेव को आदेश दिया कि हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। तभी से यहां बिजली गिरने का सिलसिला जारी है। यहां के लोग मंदिर पर बिजली गिरते देखते हैं। जिसमें शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है, लेकिन पुजारियों द्वारा इसे मक्खन से जोड़ते ही यह फिर पुराने स्वरूप में आ जाता है। बिजली गिरने से मंदिर समेत पूरे गांव को नुकसान होता है मगर फिर भी शिव जी पूरे गांव की रक्षा करते हैं। यह नज़ारा सिर्फ 12 साल में एक बार देखने को मिलता है और इसी वजह से इस मंदिर को बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है