नुब्रा घाटी: भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है!

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Photo of नुब्रा घाटी: भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है! 1/1 by Rupesh Kumar Jha
कल्पना से परे: यकीन करें, ये वास्तविक तस्वीर है!

अलौकिक सौंदर्य के कारण ही लद्दाख को भारत के मुकुट के रूप में जाना जाता है। इस रेगिस्तानी क्षेत्र को प्यार से ‘द लास्ट शांगरी-ला’ नाम भी दिया गया है। यह नाम अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार बिल्कुल सटीक है। लद्दाख के शुष्क पहाड़ों के बीच बसी स्थित नुब्रा घाटी जितनी ऊबर-खाबड़ है उतनी ही ऊँची भी है। बॉर्डर के दूर छोर से सटी ये जादुई और अछूती जगह आपका ध्यान आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

नुब्रा वैली के रेगिस्तान की पहली झलक।

Photo of नुब्रा वैली, Hunder by Rupesh Kumar Jha
Day 1

खर्दुंग ला होते हुए लेह से नुब्रा

आप जैसे ही लेह उतरते हैं तो कम से कम 48 घंटे तक आराम करने की सलाह दी जाती है। एक बार जब आप वहाँ के अनुकूल होकर निकलते हैं तो आप आसानी से नुब्रा घाटी की खूबसूरत सड़कों को देख सकते हैं।

नुब्रा घाटी जाने के लिए यात्रा का एकमात्र विकल्प सड़क मार्ग है। राष्ट्रीय राजमार्ग से आप खर्दुंग ला तक जा सकते हैं। खर्दुंग ला का रूट मुश्किल है इसलिए साहसी लोगों के लिए ये सबसे पहली पसंद है। 17,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह दुनिया की सबसे ऊँची जगह है जहाँ की सड़क मोटर वाहन के लिए उपयुक्त है। खर्दुंग गाँव से होते हुए श्योक घाटी में पहुँचने पर वहाँ के घर और उनके बड़े-बड़े चारागाह आपको खुश कर देंगे।

नुब्रा की यात्रा को जारी रखने से पहले आप घाटी से थोड़ा आगे उत्तर पल्लू नामक स्थान पर पहुँचेंगे। दोपहर के भोजन के लिए यह बेस्ट जगह है, जहाँ आप घर का बना स्वादिष्ट लद्दाखी भोजन, थुक्पा और मोमो का आनंद ले सकते हैं। घाटी के करीब पहुँचने पर दोनों तरफ से रेत के टीलों के साथ सुनसान सड़क आपका स्वागत करेगी। इसके बाद आप सबसे पहले डिस्टिक शहर पहुँचेंगे जहाँ आप रात के वक्त ठहर सकते हैं।

Day 3

भारत के विभिन्न राज्यों में बॉर्डर है लेकिन वो बॉर्डर सबसे पसंदीदा होते हैं जिनमें शानदार हिमालय सबको आकर्षित करती हैं। ऐसा ही एक सीमावर्ती गाँव तुतुर्क है जिसे पर्यटकों के लिए हाल ही में खोला गया है। श्योक घाटी के फैलाव पर स्थित तुतुर्क गाँव जो धीरे-धीरे पाकिस्तान की तरफ जाता है। हंडर से 90 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह गाँव आपके दिन की यात्रा को बेहतर बनाएगा। सांस्कृतिक परिवर्तन की गवाह के रूप में आप हंडर की बौद्ध घाटियों से तुतुर्क की सीमाओं तक जाएँगे।

इन नजारों में गजब का सुकून है।

Photo of तुर्तुक पब्लिक हीथ सेंटर, Turtuk by Rupesh Kumar Jha

क्यों जाएँ नुब्रा घूमने?

प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर इस घाटी की भूरी नखलिस्तान, कठोर पहाड़ियाँ और जमा देने वाले ठंड इसे अनोखा और अद्भुत बनाते हैं। हैरान कर देने वाले नज़ारों से भरी ये रेगिस्तानी घाटी, नुब्रा और श्योक दो नदियों के बीच स्थित है। नुब्रा की रेतीली ज़मीन पर चलने के दौरान आप कपड़ों के कम से कम तीन परतों में ढ़के रहने के लिए तैयार रहें। यहाँ आप एक पर्यटक के रूप में एक अलग संस्कृति का अनुभव करेंगे। आप भी अगर ऐसे किसी ऑफ बीट और ऑथेंटिक अनुभव के लिए उत्सुक हैं तो नुब्रा पर आप जरूर फ़िदा हो जाएँगे।

नुब्रा की सर्द शाम में दोहरे कूबड़ वाले ऊंट की सवारी।

Photo of नुब्रा घाटी: भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है! by Rupesh Kumar Jha

कैसे पहुँचें?

हाल के दिनों में दुनिया के किसी भी हिस्से से लेह की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। इसका श्रेय 11,568 फीट की ऊँचाई पर स्थित कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट को जाता है। आप दिल्ली से लेह के लिए उड़ान भर सकते हैं। फिर मनाली/स्पीती के रास्ते एक निजी वाहन या बस ले सकते हैं।

Photo of नुब्रा घाटी: भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है! by Rupesh Kumar Jha

लेह शहर का एक नजारा।

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Day 2

डिस्किट और हंडर

डिस्किट नुब्रा का व्यापारिक केंद्र है, जो सामान्य लेकिन बहुत ही पसंदीदा गाँव है। शांतिप्रिय वातावरण के शौकीन लोग डिस्किट से 10 कि.मी. पश्चिम में हंडर के सुंदर मैदानी इलाके की यात्रा कर सकते हैं। यहाँ आप दो कूबड़ वाले ऊँटों को देखेंगे, जो पहाड़ों और श्योक नदी के बीच चरते हुए दिखेंगे। यहाँ पर्यटक टिब्बा पर लटकते हुए ऊँटों को देखने के साथ आरामदायक कैफे में कॉफी पीने का आनंद लेते हैं और ये अनुभव हमेशा यादगार रहता है।

गर्मी के दिनों का नजारा - नुब्रा

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खूबसूरत घुमावदार सड़कें।

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मंदिरों में शांति की अनुभूति।

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रेत के टीलों से गुजरती नदी।

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ट्रैवल टिप्स

परिवहन: लेह-नुब्रा रूट में रोज़ाना ही नियमित रेगुलर और एसी बसें चलती हैं। बसें लेह से डिस्किट (कभी-कभी तुतुर्क) को जोड़ती हैं। लेह से डिस्किट तक की यात्रा आप सिर्फ ₹400 में कर सकते हैं। नुब्रा में आप उस क्षेत्र में घूमने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। याद रहे कि लद्दाख क्षेत्र में टैक्सी का किराया लगभग तय ही रहता है यानी बातचीत से किराया कम होने की गुंजाइश ना के बराबर रहती है।

परमिट: भारतीय और विदेशी सभी नागरिकों को नुब्रा घाटी की यात्रा करने के लिए प्रोटेक्टेड एरिया परमिट (PAP) की ज़रूरत पड़ती है। इस परमिट के लिए आप लेह के जिला आयुक्त ऑफिस या फिर अधिकृत ट्रैवल एजेंट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। खारदुंगला में प्रवेश करने से पहले परमिट की जाँच की जाती है। नुब्रा की विभिन्न चौकियों के लिए पर्यटकों को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट की बहुत सारी प्रतियाँ रखना ज़रूरी होता है।

आवास: डिस्किट और हंडर में बहुत सारे होटल, होम स्टे, रिसॉर्ट और टेंट की भी सुविधा उपलब्ध है। यहाँ गेस्ट हाउस का किराया ₹1500 या फिर उससे ज्यादा है। लेकिन मौसम के हिसाब से इसकी कीमत कम या ज्यादा होती रहती है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

ठंड के मौसम में खर्दुंग ला दुर्गम होने की वजह से नुब्रा जाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसके सिवाय नुब्रा जाने का दूसरा और कोई रास्ता नहीं है। इसका मार्ग मई महीने से खुलने के बाद पर्यटकों को वहाँ जाने की अनुमित मिलती है। नुब्रा के लिए सितंबर से मई तक का महीना सबसे बढ़िया होता है क्योंकि इस दौरान वहाँ धूप के साथ-साथ सर्द रातें भी होती है।

नुब्रा घाटी तो पृथ्वी पर मानों स्वर्ग है और ये आपकी लिस्ट में ज़रूर होनी चाहिए। यह जगह आपके मन में बार-बार वहाँ जाने की लालसा छोड़ देगी। अब तो आपके पास यात्रा का कार्यक्रम तैयार है तो फिर देर किस बात की है, बैग पैक करें और यात्रा पर निकल जाएँ।

क्या आपने भारत के ऐसी जगहों की यात्रा की है जो कि कई लोगों ने सुना भी नहीं है? आप अपनी यात्रा अनुभव को ट्रिपोटो पर साझा कर सकते हैं।

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