आपको परिवार या दोस्तों के साथ छुट्टियां मनानी हैं और रेत के टीलें देखने हैं तो आपके दिमाग में एक ही नाम आएगा -जैसलमेर। जैसलमेर में थार के रेगिस्तान में कैंपिंग ,कैमल राइडिंग ,ATV बाइक राइडिंग जैसी एक्टिविटीज़ करने देश विदेश से लोग साल भर आते रहते हैं।लेकिन क्या आपको पता हैं कि आप बिना राजस्थान आये भी रेगिस्तान और इन इन सभी एक्टिविटीज़ का लुत्फ़ उठा सकते हैं ? और हां ,यहाँ गुजरात के कच्छ की भी बात नहीं हो रही हैं क्योकि वहा साल्ट मार्श सैंड ड्यून्स में रेगिस्तानी धोरो की फीलिंग नहीं आती हैं।
आपने सोचा भी नहीं होगा लेकिन इसके लिए आपको अपनी गाडी घुमानी होगी लद्दाख की तरफ। राजस्थान के गर्म रेगिस्तान में जो एडवेंचर एक्टिविटीज़ सैलानी करते हैं ,लगभग वो सभी लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में भी कर सकते हैं।पर लद्दाख में कहाँ ? इसके लिए आपको लेह से 160 किमी लम्बी चैलेंजिंग ड्राइविंग करनी होगी और तभी आप पहुंच पाओगे उस बर्फीले सफ़ेद रेगिस्तान में जिसका नाम हैं -नुब्रा वेली।
आसान नहीं हैं लेह से यहाँ तक की ड्राइविंग -
लेह से नुब्रा वेली तक पहुंचने के एक ही रास्ता हैं और वो हैं खारदुंगला पास से गुजरते हुए। खारदुंगला पास ,सेकंड हाईएस्ट पॉइंट हैं ड्राइविंग के लिए। लद्दाख घूमने वाले सैलानियों के लिए यह पॉइंट 'मस्ट गो' पॉइंट होता हैं। 17500 फ़ीट की ऊंचाई लिए इस जगह तक आते आते काफी लोग बीमार पड़ जाते हैं ,ऑक्सीजन की कमी की वजह से कमजोरी आ जाती हैं ,जिससे बेहोशी जैसी हालत हो जाती हैं। हमारा करीब 15 लोगो का समूह जब बाइक से यहाँ गया था ,तो हम में से 3 लोग यहाँ बीमार पड गए और लगभग बेहोश ही हो गए थे । एक का ऑक्सीजन लेवल तो इतना ज्यादा गिर गया था कि उसे इमरजेंसी में 2 दिन तक डिस्किट गाँव के हॉस्पिटल में भर्ती रखा।
ऑक्सीजन के अलावा बर्फीली हवाएं ,बर्फ़बारी ,बारिश जैसी समस्यायें इस रोड पर आम बात हैं। बारिश की बुँदे तो चेहरे पर काँटों की तरह गिरती एवं चुभती हैं। लद्दाख में ड्राइविंग के दौरान सबसे ख़राब रास्ता भी इस तरफ एवं नुब्रा से पैंगोंग की तरफ मिलती हैं। कई बाइक सवारों को फिसलकर गिरते देखा जा सकता हैं। इसी रोड पर केवल एक किमी के दायरे में ही हमारी 2 बाइक्स फिसल कर गिर गयी ,जिसमे से एक बाइक में खुद चला रहा था।लेकिन ,गिरते उठते ,करीब 5-6 घंटे की ड्राइविंग के बाद आप अपने आप को पाएंगे आर्मी क्षेत्र में। अब दूर दूर तक साफ़ दिखाई देती नीले आकाश और ग्लेशियर्स के बीच बनी सड़क के बीच गाडी भागती हुई कई खूबसूरत जगहों से गुजरती हैं। ध्यान से ऊँचे पहाड़ों को देखने पर बुद्धा की एक विशाल मूर्ति भी दिखाई देने लग जाती हैं और देखते ही देखते आप पहुंच जाते हैं ऐसी जगह जहाँ अब चारो तरफ रेतीले धोरे ही मिलेंगे। सड़क के बीच में उड़ती हुई एवं जमी हुई धुल ,आसपास की पहाड़ियां जो कि अब रेतीली पहाड़ियां हो जाती हैं ,उससे आप सोचोगे कि ये राजस्थान कैसे पहुंच गए ?
यहाँ है बर्फीले पहाड़ों ,रेगिस्तान एवं नदी का संगम -
नुब्रा घाटी में 'नुब्रा' एवं 'श्योक' नाम की दो नदियां बहती हैं। रास्तों में साथ चलती नदी एवं हरे भरे चरागाह कब आपका साथ छोड़ देंगे और उनकी जगह रेत के ऊपर ऊंटों पर घूमते सैलानी ,atv बाइक चलाते लोग आपको दिखने लगेंगे ,पता ही नहीं लगेगा। नुब्रा घाटी में मुख्य रूप से लोग हुन्डर एवं दिस्किट घूमते हैं।हुन्डर जाते हुए आपको एक दो पॉइंट्स ऐसे मिलेंगे जहाँ से आप रेतीले पहाड़ ,ग्लेशियर्स एवं बहती नदी ,तीनो को एक साथ देख सकते हैं। काफी लेट हो जाने एवं थकान के कारण हम लोग रुक कर इस चीज को कैमरे में कैद ना कर सके। बौद्ध धर्म की अधिकता के कारण हुन्डर एवं दिस्किट ,दोनों जगहों पर काफी सारे सफ़ेद-लाल रंग के छोटे छोटे मठ ,पहाड़ों पर बने हुए दिख जाएंगे।उनके साथ साथ हर जगह रंग बिरंगे ,तिब्बतीय प्रार्थना ध्वज भी बंधे हुए दिखेंगे।
डिस्किट में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्द चीज हैं -डिस्किट मोनेस्ट्री। यह मठ 10000 फ़ीट की ऊंचाई पर बना ,करीब 350 साल पुराना बताया जाता हैं। इसमें सेकड़ो बौद्ध भिक्षु रहते हैं तो विदेशो से आये हुए हैं। इसका सबसे मुख्य आकर्षण हैं वहा बनी 108 फ़ीट ऊँची बुद्धा मूर्ति। वो ही मूर्ति की बात हो रही हैं जो नुब्रा घाटी प्रवेश के दौरान ऊंचाई पर दिखाई देती हैं।इस मूर्ति की जगह से पूरी नुब्रा घाटी का आकर्षक व्यू दिखाई देता हैं।
'हुन्डर' इस घाटी की सबसे खूबसूरत जगह हैं ,जो कि परिवार के साथ समय बिताने के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हैं। हुन्डर के पास ही रेतीले धोरे स्थित हैं ,जहाँ एडवेंचर एक्टिविटीज़ की जाती हैं। इस पुरे गाँव में कई होमस्टे एवं कैंप साइट्स बनी हुई हैं। कैंप साइट्स की संख्या इतनी हैं कि बड़े बड़े होर्डिंग्स पर कई जगह एक ही साथ सभी साइट्स के नाम एवं दिशा लिखे हुए मिलते हैं। आप अपनी कैंप साइट का नाम ढूंढो और होर्डिंग्स की दिशा को फॉलो करो। इस गाँव में भी जगह जगह छोटे छोटे बौद्ध स्तूप ,प्रार्थना चक्र बने हुए हैं। एक छोटी सी पानी की नहर पुरे गाँव के बीच से निकलती हैं ,उसी के किनारे कैंप साइट्स बनी हुई हैं जो कि इसकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा देती हैं।
यहाँ आकर क्या क्या करे -
सबसे पहले तो आपको बता दूँ कि अगर यहाँ रेगिस्तान हैं तो रेगिस्तान के जहाज तो होंगे ही। लेकिन भारत में यह ही ऐसी जगह है जहाँ दो कूबड़ वाले (double humped camel ) मिलते हैं। इन्हे बैक्ट्रियन ऊंट कहा जाता हैं। आप यहाँ इनकी सवारी कर सकते हैं ,इन पर बैठ कर रेतीले इलाके में अच्छे से घुमा जा सकता हैं।
रिवर राफ्टिंग भी यहाँ होती हैं। खतरनाक रूप से बहती तेज नदी में यहाँ रिवर राफ्टिंग के मजे की बात ही निराली हैं। ATV बाइक राइड करते हुए कई लोग यहाँ दिख जाते हैं जिसके एक चक्कर के करीब 1500 रूपये देने होते हैं। अगर आपको शांति एवं सुकून की तलाश हैं तो आप यहाँ के मठ में मेडिटेशन कर सकते हैं।आस पास में छोटी सी ट्रैकिंग कर सकते हैं।यहाँ की कैंप साइट्स भी किसी पर्यटक स्थल से कम नहीं हैं। आप पूरा दिन अंदर की खूबसूरती को देख कर ही निकाल सकते हैं। रात को सभी मिल कर कैंप साइट में ही बोनफायर का लुत्फ़ उठा सकते हैं। पैदल पैदल ही हुन्डर की पगडंडियों में घूम सकते हैं।
मेरे हिसाब से तो हुन्डर तो हर एक प्रकार के इंसान के लिए बढ़िया जगह हैं।
कैसे पहुंचे : सड़क मार्ग या वायु मार्ग से लेह पहुंच कर ,2 दिन वहा आराम कर ताकि आपका शरीर वहा के वातावरण में ढल जाए ,फिर आप नुब्रा की तरफ आ सकते हैं। आप लेह से कैब या बाइक लेकर उधर जा सकते हैं। ऐसा भी सुना हैं कि लेह से डिस्किट तक लोकल बस भी वहा चलती हैं,अगर ऐसा हैं तो यह भी एक अच्छा ऑप्शन हैं।
अन्य नजदीकी पर्यटक स्थल : तुरतुक गाँव , इंडिया-पाक सीमा पर अंतिम गाँव 'थांग' ,त्सो मोरीरी झील ,थ्री इडियट्स वाली पेंगोंग झील।
अनुकूल समय : मई से सितम्बर ,क्योकि लेह से नुब्रा जाने का एक ही रास्ता हैं ,जो कि खारदुंगला पास (17500 फ़ीट ) से होकर जाता हैं। सर्दियों में बर्फ से यह रास्ता बंद रहता हैं।
-ऋषभ भरावा (पुस्तक -चलो चले कैलाश)
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