हम लोगों में से अधिकांश लोगों ने उत्तर भारतीय स्थानों हिमाचल, उत्तराखंड, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर जैसे पर्वतीय स्थानों में घूमना पसंद करते हैं। लेकिन वास्तविकता ये है कि उत्तर भारत के अधिकतर हिल स्टेशनों में पर्यटकों की भीड़ जुटती है। अगर आप ऐसे भी किसी कम मशहूर जगहों पर पहुँचते हैं तो भी लोगों का हुजूम दिखता है, जहाँ शांति और सुकून खोजना मुश्किल हो जाता है!
इसीलिए हम आपको भारत के ऐसे ही लुभावने पूर्वोत्तर की तरफ अपना ध्यान केंद्रित करने की सलाह देंगे, जो उत्तर में हिमालय की गोद में छिपा है। आप पूर्वोत्तर के इन छुपे नगीनों को देखें जो उत्तर भारत के अधिक भीड़ वाली जगहों से बिल्कुल अलग हैं।
1. तौफेमा
3. लेडी हैदरी पार्क
7. माधुरी झील
तौफेमा नागालैंड में स्थित सबसे प्रसिद्ध विरासती गाँवों में से एक है। यह गाँव स्थानीय नागा परंपराओं का भी अद्भूत उदाहरण पेश करता है। पारंपरिक झोपड़ियों की तरह केबिन व कमरों वाला पूर्वोत्तर का यह गाँव पर्यटकों के लिए एक बढ़िया जगह है। यहाँ आपको सदियों पुरानी आदिवासी संस्कृति को अनुभव करने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
यहाँ आप उन आरामदायक झोपड़ियों में रहकर लोकल कल्चरल डांसर्स के साथ बॉनफायर का आनंद लें और घर में बने राइस बीयर के साथ नागा व्यंजनों को भी चख सकते हैं।
कैसे पहुँचें तौफेमा
तौफेमा जाने के लिए पहले आपको ट्रेन या फ्लाइट से दीमापुर पहुँचना होगा। यह स्थान तौफेमा से करीब 95 कि.मी. दूर स्थित है। दीमापुर पहुँच कर आप वहाँ से टैक्सी या बस से कोहिमा होते हुए गाँव का भ्रमण कर सकते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य निहारने वालों के लिए उनाकोटि हिल्स बहुत ही शानदार जगह है। यह अगरतल्ला से करीब 178 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और यह हिल्स ‘लॉस्ट हिल ऑफ फेसेस’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनाकोटि प्राचीन हिंदू तीर्थ स्थल है और यहाँ हिंदू देवताओं की विशाल मूर्तियों को पहाड़ियों पर उकेरा गया है। कहा जाता है कि ये मूर्तियाँ 1200 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। पर्यटकों में यह स्थान भारत के माचू-पिचू के नाम से भी मशहूर है।
इन ऐतिहासिक संरचनाओं के साथ ही आप उनाकोटि में जलप्रपात, झरने व हरे-भरे जंगलों के प्राकृतिक सौंदर्य का भी लुत्फ उठा सकते हैं। उनाकोटि पर्यटकों को यादगार अनुभव देने के लिए हमेशा ही तैयार रहता है।
ऐसे पहुँचें उनाकोटि
उनाकोटि जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन कुमारघाट है। यह स्टेशन कैलाशहर से 26 कि.मी. दूर स्थित है। कैलाशहर जो कि उनाकोटि हिल्स का जिला मुख्यालय है, और यह स्थान अगरतला, गुवाहाटी, शिलांग व सिलचर जैसे बाकी शहरों के साथ नियमित बस सेवाओं से माध्यम से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो यहाँ से बस के अलावा, टैक्सी य फिर शेयर वाले जीप की भी सवारी कर सकते हैं।
शिलांग शहर के केंद्र में बसा लेडी हैदरी पार्क एक प्रतिष्ठित जापानी स्टाइल में बना पार्क है। इस पार्क का नाम ब्रिटिश शासनकाल में असम के गवर्नर की पत्नी के नाम पर ही लेडी हैदरी पार्क रखा गया था। यहाँ के विलो पेड़, छोटे तालाब, मैनीक्योर वाले लॉनऔर बहुत ही खूबसूरती से बनाए गए छोटे-छोटे रास्ते आपको पूर्वोत्तर में भीड़ से दूर शांति के पलों का सुखद आनंद देती है।
शिलांग का यह पार्क पूरे परिवार के साथ घूमने की सबसे अच्छी जगह मानी जाती है।
कैसे पहुँचें लेडी हैदरी पार्क
पहले आप फ्लाइट या ट्रेन किसी भी माध्यम से गुवाहाटी पहुँचें। गुवाहाटी शिलांग से मात्र 98 कि.मी. दूर है। यहाँ से आप शिलांग जाने के लिए बस या फिर टैक्सी लेकर लेडी हैदरी पार्क पहुँच सकते हैं।
अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित छोटा सा गांव दिरांग जिसका आधा भाग कामेंग नदी के तट पर स्थित है। समुद्री तल से महज 4900 फीट की ऊँचाई पर बसा यह स्थान प्राचीन लुभावनी संस्कृति, स्वादिष्ट स्थानीय भोजन के साथ खुशनुमा मौसम का पूरा पैकेज है। वहीं दरांग गाँव से एक ऊँचा ट्रेक जो कि खास्तंग गोम्पा नामक प्राचीन बौद्ध मठ तक जाता है।
कैसे पहुँचें दिरांग
दिरांग तेजपुर रेल लिंक से करीब 190 कि.मी. जबकि गुवाहाटी एयरपोर्ट से लगभग 340 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से दिरांग जाने के लिए बस व टैक्सी दोनों ही सेवाएँ उपलब्ध है।
मोन जिले का लोंग्वा एक अनोखा गाँव है क्योंकि यहाँ के लोगों का एक पैर इंडिया में तो दूसरा म्यांमार में रहता है। जी हाँ, यहाँ के निवासियों को दोहरी नागरिकता होती है। प्राकृतिक खूबसूरती से प्यार करने वालों के लिए यहाँ देखने के लिए बहुत सारी चीज़े हैं। जैसे चार खूबसूरत नदियाँ, हांगकांग मार्केट, शिलोई झील, नागालैंड साइंस सेंटर के अलावा कई सारे पर्यटन आकर्षण शामिल है। अपने घूमने की सूची में आप नागालैंड के मोन जिले के इस लोंग्वा गाँव को बिना शामिल किए नहीं रह सकते हैं।
कैसे पहुँचें मोन
मोन का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट जोरहाट व भोजू है। मोन से सोनारी की दूरी 65 कि.मी. है, तो आप मोन जाने के लिए सोनारी से बस या टैक्सी कोई भी सर्विस ले सकते हैं।
मेचुका घाटी में स्थित मेचुका गाँव एक अनोखा हिल टाउन है। मेचुका गाँव जो अरुणाचल प्रदेश में हरे-भरे देवदार के जंगलों में करीब 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इंडिया व चीन बॉर्डर की निकटता के बावजूद मेचुका गांव प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए बेहतरीन स्थल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गाँव से होकर बहने वाली नदी सिओम का औषधीय महत्व बहुत ज्यादा है।
कैसे पहुँचें मेचुका
मेचुका गाँव से डिब्रूगढ़ का रेलवे स्टेशन करीब 430 कि.मी., जबकि जोरहाट का एयरपोर्ट करीब 555 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मेचुका की बाकी यात्रा आप शेयर वाली टैक्सी या फिर जीप के माध्यम से भी पूरी कर सकते हैं।
माधुरी झील पूर्वोत्तर भारत की सबसे ऊँची व खूबसूरत झीलों में से एक है। तवाँग में छिपी यह झील संगेस्टर त्सो के नाम से भी प्रसिद्ध है और यह 15000 फीट से ज्यादा की ऊँचाई पर स्थित है। वर्ष 1950 में उस अरुणाचल में शक्तिशाली भूकंप की वजह से भयंकर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और यह झील भी उसी वक्त बना था। पानी में उगे हुए पेड़ों की वजह से यह झील शानदार व शांत दिखती है।
ऐसे पहुँचें माधुरी झील
यहाँ जाने के लिए पहले तो आपको गुवाहाटी पहुँचना होगा और वहाँ से फिर आपको तेजपुर जाना होगा। तेजपुर से माधुरी झील करीब 180 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ जाने का एकमात्र साधन सड़क मार्ग ही है। यहाँ से तवांग आप टैक्सी या शेयर जीप से जा सकते हैं। अगर आप गुवाहाटी से यात्रा करते हैं तो इस यात्रा को आप तेज़पुर में स्टॉप कर सकते हैं।
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