बरसात के मौसम में पर्यटक ट्रैकिंग करना ज्यादा पसंद करते हैं। खासकर कोरोना महामारी के दौर में ट्रैकिंग का क्रेज बढ़ा है। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इसके लिए पर्यटक देशभर की चुनिदां जगहों पर ट्रैकिंग के लिए जाते हैं। अगर आप भी आने वाले दिनों में घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो काली टाइगर रिजर्व जरूर जाएं। खबरों की मानें तो अब पर्यटक काली टाइगर रिजर्व में कैनोपी वॉक भी कर सकते हैं। इससे पहले काली टाइगर रिजर्व में केवल जंगल सफारी की सुविधा थी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं
क्या होता है कैनोपी वॉक ?
कैनोपी वॉक में जंगल की सैर की जाती है। इस दौरान आप जमीन से 20 या 30 फीट ऊंचाई से वन्य जीवों समेत प्रकृति की खूबसूरती का दीदार कर सकते हैं। हालांकि, इसकी शुरुआत कर्नाटक में हुई है। जानकारों की मानें तो सबसे पहले कैनोपी वॉक की शुरुआत कर्नाटक के कुवेशी में हुई है। वर्तमान समय में देश में कई नेचर कैनोपी वॉक हैं। इस क्रम में कर्नाटक के काली टाइगर रिजर्व में भी कैनोपी वॉक की शुरुआत की गई है। यह चार पेड़ों के बीच बंधी हैं और 30 फीट ऊंचाई पर है। अगर आप नेचर लवर हैं, तो कैनोपी वॉक मिस न करें।
यदि आपके पास अनुकूल समय है और आप प्रकृति के प्रति उत्साही हैं तो कनौपी वॉक एक बार जरूर देखना चाहिए क्योंकि यह आसपास के क्षेत्र का शानदार दृश्य दिखाता है। इस जगह से आप क्षेत्र के विविध वनस्पतियों एवं जानवरों को देख सकते हो क्योंकि यह चार साल पहले ही बनकर तैयार हो गया था परंतु कई आपत्तियों के कारण उस समय यह जनता के लिए खोला नहीं गया था।
एक वन अधिकारी के अनुसार कैनोपी वॉक का निर्माण लंबे समय से अनुपयोगी है। इस सीज़न से, रिजर्व निर्देशित पर्यटन की पेशकश करेगा, और ऑटोमोबाइल को मेहमानों को वन चौकी तक ले जाने की अनुमति होगी। ट्रेक कुवेशी के पास चौकी से शुरू होगा। साथ ही आप कुवेशी में स्थित दूधसागर जलप्रपात का दीदार कर सकते हैं। वहीं, काली टाइगर रिजर्व को ट्रैकिंग के लिए भी खोल दिया गया है। अब पर्यटक ट्रैकिंग और जंगल सफारी के लिए काली टाइगर रिजर्व जा सकते हैं। काली टाइगर रिजर्व का नाम काली नदी के नाम पर रखा गया है, जो इससे होकर गुजरती है।
बता दें कि काली टाइगर रिजर्व पूर्व में अंशी नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था। 10 मई, साल 1956 को इस क्षेत्र में स्थित जंगल को दांदेली वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया गया। काली टाइगर रिजर्व 1300 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।