घुमक्कड़ी हमने अक्सर नई और अनदेखी जगहों तक ले जाती है। इसमें कुछ जगहें वो होती हैं जहाँ आप दिलकश नज़रों में खो जाते हैं तो कुछ जगहों पर आप शांत वातावरण का लुत्फ़ उठा सकते हैं। ऐसा ही है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में बना प्रतिष्ठित कार्तिक स्वामी मंदिर जिसकी मौजूदगी के बारे में अधिकतर लोगों को नहीं पता है। ख़ास बात है कि ये मंदिर 200 साल से अधिक पुराना माना जाता है।
लोग इस ऐतिहासिक स्थान के बारे में जानें इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने दक्षिण भारत के पर्यटकों और भक्तों को लुभाने के लिए मंदिर को विकसित करने का निर्णय लिया है। यह मंदिर एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह उत्तराखंड का एकमात्र मंदिर है जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। जो लोग पौराणिक कथाओं से अवगत नहीं हैं, उन्हें बात दें कार्तिकेय, भगवान शिव और देवी पार्वती के बड़े पुत्र थे। उन्हें दक्षिण में स्कंद या मुरुगुन के रूप में पूजा जाता है।
कहाँ स्थित है ये मंदिर?
ये मंदिर रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किमी. दूर है। यहाँ पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को कनकचौरी गाँव से करीब 3 किमी लंबा ट्रेक जैसा करना होता है। ट्रेक आसान नहीं है लेकिन वास्तव में अद्भुत है और नज़ारे देखने लायक हैं। मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में बात करते हुए, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, "कार्तिक स्वामी मंदिर का हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अत्यधिक धार्मिक महत्व है। उन्होंने ये भी कहा कि यहाँ भगवान कार्तिकेय हैं, जो अपने माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती से, गणेश का चुनाव करने के कारण नाराज हैं। दूसरे पुत्र भगवान गणेश हैं। जब कार्तिकेय और गणेश को पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए कहा गया, तो भगवान कार्तिकेय ने अपनी हड्डियों को उनकी भक्ति की गवाही के रूप में पेश किया था। उन्होंने आगे कहा कि इस मंदिर को विकसित करके तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के पर्यटकों को आकर्षित करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
कार्तिक स्वामी मंदिर लंबे समय से पर्यटन मानचित्र से बाहर है और अब इस ऐतिहासिक मंदिर को विकसित करने और बढ़ावा देने का सही समय है। पर्यटन विभाग की अतिरिक्त निदेशक पूनम चंद ने कहा कि उनका ध्यान अब कार्तिक स्वामी मंदिर और अन्य सर्किटों को बढ़ावा देने पर है और यात्रियों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रचार अभियान चलाए जा रहे हैं।
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