कहते हैं यदि आप किसी शहर को अच्छे से समझना और देखना चाहते हैं तो आपको उस शहर में कुछ दिन जरूर गुजारने चाहिए। इसके अलावा आपको टूरिस्टों वाली फेमस जगहों पर ना जाकर ऑफबीट चीजें करने की कोशिश करनी चाहिए।
ऐसा करने से आपको एक अलग तरह का सुकून तो मिलता ही है पर उसके साथ-साथ आपको हर शहर की कुछ ऐसे पहलू भी दिखाई दे जाते हैं जो शायद बाकी किसी ने नहीं देखे होते हैं।
वैसे ऑफबीट घुमक्कड़ी के चक्कर में हमसे अक्सर कई ऐसी जगहें भी छूट जाती हैं जो देखने लायक होती हैं। ये सभी जगहें फेमस जरूर होती है लेकिन इनके इतने लोकप्रिय होने के पीछे कुछ कारण भी होते हैं।
इसी तरह हर शहर में कुछ मंदिर ऐसे होते हैं जिन्हें देखने की चाहत हर घुमक्कड़ के अंदर होती है। इन मंदिरों को ना देखना बिल्कुल वैसा ही जैसे आगरा में होते हुए भी ताजमहल को ना देखना। इसलिए आप जब भी नेपाल की यात्रा का प्लान बनाएं, काठमांडू के सबसे पुराने मंदिरों में से एक पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करना बिल्कुल ना भूलें।
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मंदिर का इतिहास
वैसे ये मंदिर कब बना इसके बारे में किसी को भी एकदम सटीक तारीख या समय नहीं मालूम है। लेकिन लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 400 ईसवी के आसपास हुआ था। मानना ये भी है कि इस मंदिर की खोज सोमदेव वंश के पशुप्रेक्षा ने तीसरी शताब्दी में की थी। पशुपतिनाथ मंदिर की नींव पर तीसरी शताब्दी का जिक्र भी किया हुआ है। बाद में 17वीं शताब्दी में राजा भूपतिंद्र मल्ला ने इस मंदिर को वापस बनवाया। पशुपतिनाथ मंदिर के सभी पुजारी कर्नाटक के रहने वाले हैं। कहा ये भी जाता है कि, लगभग 350 सालों से, इस मंदिर के पुजारी दक्षिण भारत के रहने वाले रहे हैं। पशुपतिनाथ मंदिर के सभी पुजारियों को भट्टा नाम से जाना जाता है और मंदिर के मुख्य पुजारी को मूल भट्टा या रावल कहा जाता है। जानने वाली बात ये भी कि मुख्य पुजारी केवल राजा को समय-समय पर मंदिर से जुड़ी चीजों के बारे में जानकारी देता रहता है।
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पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में
नेपाल के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू के पूर्वी इलाके में बागमती नदी के दोनों किनारों पर स्थित है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। नेपाल का ये मंदिर इतना लोकप्रिय है कि इसको देखने के लिए केवल नेपाल ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने से लोग आते हैं। क्योंकि नेपाल भारत का पड़ोसी देश है इसलिए हिन्दू धर्म को मानने वाले सैकड़ों भारतीय बुजुर्ग लोग भी इस मंदिर को देखने जाते हैं। कहा जाता है कि ज्यादातर लोग अपने जीवन के आखिरी दौर में इस मंदिर की तरफ जाते हैं। अपनी जिंदगी के आखिरी पलों में वो मंदिर में ही रहना पसंद करते हैं। लोगों का ऐसा भी मानना है कि ज्यादातर लोग बागमती नदी के किनारे अंतिम संस्कार होने की इच्छा रखते हैं जिससे उनकी जिंदगी की आखिरी यात्रा गंगा नदी के पवित्र पानी में हो।
वैसे लोगों का ये भी मानना है कि इसके पीछे कर्मा का भी बड़ा महत्व होता है। मान्यताओं के मुताबिक पशुपतिनाथ मंदिर में मारने वाला हर एक व्यक्ति अपने अगले जीवन में भी इंसान के रूप में ही जन्म लेता है। फिर चाहे इस जीवन में आपने कितने ही पाप किए हों। अगले जन्म में आपका इन्सान बनना तय है। इसके अलावा खास बात ये भी है कि मंदिर में भविष्यवाणी करने वाले भी तमाम लोग रहते हैं जो आपकी मृत्यु की सटीक तारीख तक बताने में सक्षम होते हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जिनको मृत्यु और उससे जुड़ी चीजों को जानने में रुचि है तो आपको पशुपतिनाथ मंदिर जरूर आना चाहिए। कुल मिलाकर इस मंदिर में सबकुछ अनोखा है। मंदिर की लगभग हर एक रस्म और कोने में मृत्यु का जिक्र होना तय है।
समय: सुबह 4.30 बजे से शाम 7 बजे तक
एंट्री फीस: 1,000 रुपए प्रति व्यक्ति (विदेशियों के लिए)। यदि आप नेपाल या भारत से हैं तो आपको कोई फीस नहीं देनी होती है।
मंदिर का आर्किटेक्चर
पशुपतिनाथ मंदिर को पैगोडा आर्किटेक्चर के नक्शे पर बनाया गया है। मंदिर के ऊपरी हिस्से में आपको पैगोडा साफ दिखाई देगा। यहाँ आते ही आपको किसी जापानी गाँव जैसा एहसास होगा। मंदिर में लकड़ी की खिड़कियाँ और दरवाजे लगाए गए हैं जिन्हें देखकर आपको पुराने समय में माने जाने वाले रीति रिवाजों और परम्परों के बारे में पता चलता है। मेन गेट से लेकर मंदिर की सजावट तक सभी चीजों को बहुत सलीके से चुना गया है। मंदिर में लगी हर एक चीज देखकर आपको नेपाली संस्कृति और हिन्दू धर्म से जुड़ी कोई ना कोई जानकारी जरूर मिलेगी। मंदिर की छत में भी आपको दो मंजिलें दिखाई देंगी। इन दोनों पर तांबे और सोने की परत चढ़ाई गई है। पशुपतिनाथ मंदिर में जाने के लिए चार दरवाजे हैं। इन चारों दरवाजों को चांदी की शीट से बनाया गया है। मंदिर के गुंबद को भी खारे सोने से बनाया गया है। मंदिर के पश्चिमी दरवाजे पर नंदी की बड़ी मूर्ति है जो ब्रॉन्ज से बनी हुई है। नंदी, जिसको भगवान शिव की सवारी माना जाता है, इस मंदिर की शान को दोगुना कर देता है। मंदिर के अंदर का शिवलिंग काले पत्थर का है जिसकी ऊंचाई लगभग 6 फीट है।
इस मंदिर को देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। लेकिन नेपाली लोगों ने बीच इस मंदिर को लेकर खास लगाव है। क्योंकि नेपाल में हिन्दू धर्म को मानने वाले काफी लोग हैं इसलिए इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर आप भी नेपाल के कल्चर, रिलिजन और परम्परों के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको इस मंदिर को जरूर देखना चाहिए।
कैसे पहुँचें?
पशुपतिनाथ मंदिर आने के लिए सबसे पहले आपको काठमांडू आना होगा। अगर आप भारत से काठमांडू की यात्रा करना चाहते हैं तो आप फ्लाइट, ट्रेन और बस किसी से भी आसानी से पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट से: यदि आप फ्लाइट से काठमांडू जाना चाहते हैं तो आप दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों से फ्लाइट ले सकते हैं। देश के सभी बड़े शहरों से आपको काठमांडू त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए आसानी से फ्लाइट मिल जाएगी जो मुख्य शहर से केवल 5 किमी. की दूरी पर है।
ट्रेन से: अगर आप ट्रेन से काठमांडू जाना चाहते हैं तब आपको जनकपुर होकर जाना होगा। क्योंकि भारत और काठमांडू के बीच कोई सीधी ट्रेन नहीं है इसलिए सबसे अच्छा और सस्ता रास्ता यही है कि आप जयनगर से जनकपुर के लिए ट्रेन ले लें। जयनगर पहुँचने के लिए आपको आसानी से अन्य बसें और ट्रेनें मिल जाएंगी। जनकपुर पहुँचने के बाद आप वहाँ से काठमांडू के लिए निकल सकते हैं।
बस से: बस से काठमांडू जाने के लिए भी आपको कोई परेशानी नहीं होगी। पटना और गोरखपुर जैसे शहरों से आपको सीधी बसें मिल जाएंगी जिससे आप आराम से काठमांडू पहुँच सकते हैं।
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