नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड की यात्रा __
भगवान शिव के नाम में "नीलकंठ" शब्द का उपयोग उनके एक प्रमुख कथा से संबंधित है। पुरातन समय में, जब देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब विष और अमृत उत्पन्न हुआ था। भगवान शिव ने विष पीने का निर्णय लिया, जिससे उनका गला नीला हो गया। इस प्रकार, उन्हें "नीलकंठ" या "नीलकण्ठ" के रूप में जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है "नीला गला"।
नीलकंठ मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जब भगवान शिव ने जग के कल्याण के लिये समुद्र मंथन के दौरान विष पी लिया था और उनका गला नीला हो गया था। मान्यता है कि नीलकंठ मंदिर इसी स्थान पर स्थित है जहां भगवान शिव ने विष पिया था और उनका गला नीला हुआ था।
नीलकंठ मंदिर की पौराणिक कथा _
भगवान शिव ने विष पीने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह कथा समुद्र मंथन के समय संबंधित है।
पुरातन समय में, देवताओं और असुरों के बीच महामंथन हुआ था। इस प्रक्रिया में समुद्र का मंथन किया गया था, जिससे अनेक प्रकार की वस्तुएं प्राप्त होंगी, जैसे हलाहल (विष), अमृत, धनवान्तरि (वैद्यकीय जड़ी-बूटियाँ) आदि। जब विष उत्पन्न हुआ, तो सभी देवताओं और असुरों ने इसे अपने-अपने लाभ के लिए चाहा। हलाहल का विष इतना विषाक्त था कि यह समस्त जीवन को समाप्त कर सकता था। इस परिस्थिति में, भगवान शिव ने अपने भोलेपन के कारण हलाहल (विष) को पीने का निर्णय किया।
भगवान शिव की इस कथा से स्पष्ट होता है कि समाज के भले के लिए अपने को बलिदान करने का निर्णय लिया था। इसके परिणामस्वरूप, वे "नीलकांठ" नाम के योग्य माने जाते हैं, क्योंकि उनके गले का रंग नीला हो गया था।
नीलकंठ महादेव मंदिर की स्थापना _
इस मंदिर की स्थापना 1677 में की गई थी। यहाँ पर नीलकंठ मंदिर के अलावा एक छोटा सा सागर भी है, जिसे भगवान शिव को जल के रूप में माना जाता है।
नीलकंठ यात्रा कैसे जायें ? __
यह मंदिर समुद्र तल से 1334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जिसके लिये आप पहले से तैयारी के साथ नीलकंठ यात्रा पर जा सकते हैं | नीलकंठ मंदिर पहुंचने के लिए राजमार्ग का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें वाहन यात्रा का विकल्प होता है। अल्टरनेटिवली, आप यात्रा के लिए पैदल भी जा सकते हैं।
धार्मिक कार्यक्रम स्थल : नीलकंठ मंदिर पहुंचने के बाद, आपको मंदिर में पूजा और आरती के लिए धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए। ध्यान और श्रद्धापूर्वक भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
प्रसाद: आप नीलकंठ मंदिर के प्रसाद का आनंद ले सकते हैं, जो मंदिर में उपलब्ध होता है।
ध्यान और आशीर्वाद : मंदिर की यात्रा के बाद, ध्यान और मनन के साथ भगवान शिव के आशीर्वाद का आनंद लें और अपने जीवन में उनकी कृपा और शांति का अनुभव करें।
नीलकंठ यात्रा का महत्व __
यह यात्रा भगवान शिव के ध्यान, पूजा, और आराधना के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण है। नीलकांठ मंदिर को भगवान शिव की शक्ति, सांत्वना और आशीर्वाद के स्थान के रूप में माना जाता है। यह यात्रा आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों के लिए भी महत्वपूर्ण होती है जो भगवान शिव के निकटता में अपने आत्मिक यात्रा का अनुभव करना चाहते हैं। यहां पर भगवान शिव के भक्तों को भक्ति और ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा को शुद्ध करने का मौका मिलता है।
नीलकंठ मंदिर में जल चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और उनके आशीर्वाद से उनके जीवन में सुख और शांति का अनुभव होता है। इसके अलावा, जल चढ़ाने का अन्य एक महत्वपूर्ण कारण यह भी होता है कि जल को पावन माना जाता है और इससे मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है ।
नीलकंठ मंदिर के प्राकृतिक दृश्य __
नीलकंठ मंदिर के प्राकृतिक दृश्य के कुछ अलग ही अंदाज हैं वहाँ का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही शानदार है, इसके अलावा, इस मंदिर के प्राकृतिक आसपास का दृश्य बहुत ही आकर्षक है। यहां के ऊँचे पहाड़ों और हरियाली से लिप्त प्राकृतिक वातावरण में लोग शांति और शांतिपूर्णता का अनुभव करते हैं। इस यात्रा का मूल उद्देश्य भगवान शिव की पूजा, आराधना और उनसे संबंधित मान्यताओं का अनुसरण करना होता है। यह यात्रा भगवान शिव के आग्रह और आशीर्वाद के लिए भक्तों का एक विशेष संबंध और समर्पण का प्रतीक होता है।
नीलकंठ मंदिर की लोकप्रियता __
नीलकंठ मंदिर की लोकप्रियता बहुत अधिक है भगवान शिव को अपने जीवन में स्थान देने वाले भक्तगण अवश्य ही नीलकंठ यात्रा पर जाते हैं | हर साल बहुत से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, खासकर सावन मास के दौरान। इस समय लाखों भक्त यहाँ आते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। यहाँ पर यात्री आसानी से पहुंच सकते हैं, क्योंकि हरिद्वार शहर से मंदिर केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर्यटक भी आकर नीलकंठ मंदिर का दर्शन करते हैं और इस स्थल की शांति और स्थिरता का आनंद लेते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर घूमने जाने का समय __
यह मंदिर तीर्थयात्रियों के लिए पूरे वर्ष खुला रहता है। लेकिन आप अपनी यात्रा को खास बनाना चाहते हैं तो आप शिवरात्रि के त्योहार के दौरान मंदिर की यात्रा कर सकते हैं उस व्यक्त यहाँ का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है।
नीलकंठ मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव होती है और आपके जीवन में आत्मिक उत्थान और शांति लाती है। भगवान शिव की कृपा के साथ, यह यात्रा आपको मानवता और आत्मा के प्रति समर्पित करती है।
* हर हर महादेव *