महाशिवरात्रि आने वाली है ऐसे में भगवान भोलेनाथ के भक्त विभिन्न शिवालयों में भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए पहुचेंगे।जिससे की वे शिव जी के कृपा के पात्र बने।जैसा की हम सभी जानते है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ की विषेस कृपा होती है।इसीलिए भक्तगण महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को जल और उनके अति प्रिय बेलपत्र,भंग और धतूरा इत्यादि चढ़ते हैं।अगर आप भी भगवान भोलेनाथ के कृपा पात्र बनाना चाहते है तो आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के विषय में बताएंगे जहां एक दो नहीं बल्कि आप 108 शिवलिंगों पर एक साथ जल चढ़ा सकते है।अगर आप कई शिवालयों में नहीं जा पा रहे है तो इस मंदिर में जाने से आपको कई सारे शिवालयों में जाने का फल एक साथ ही मिल जायेगा।तो आइए जानते इस मंदिर के विषय में।
नव कैलाश शिव मंदिर
हम बात कर रहे है पश्चिम बंगाल के बर्धवान जिले के कलना गांव में स्थित नव कैलाश शिव मंदिर की, जहां आप एक दो नहीं बल्कि एक ही मंदिर परिसर में 108 शिवलिंगों के एक साथ दर्शन कर सकते है।यह मंदिर मंदिर एक कुएं के केंद्र में दो संकेंद्रित वृत्तों में बनाया गया है जिसके बाहरी वृत्त में 74 और आंतरिक वृत्त में 34 शिव मंदिर बनाए गए है।ऐसी मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना करने से 108 मंदिरों के बराबर पूजा करने का फल प्राप्त होता है।
नव कैलाश शिव मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था।यह मंदिर लगभग 214 वर्ष पुराना माना जाता है।कहा जाता है कि रात राजा तिलकचंद जोकि उस समय वहां के तत्कालीन राजा थे की विधवा पत्नी रानी बिष्णुकुमारी को भगवान शिव ने सपने में इस मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था।इसके बाद ही वर्ष 1809 में महाराजा तेज चंद्र बहादूर द्वारा इस मंदिर का निर्माण विष्णुपुर की शाही संपत्ति के हस्तांतरण के जश्न के तौर पर किया गया।तब से लेकर आज तक यह मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है।
मंदिर की वास्तुकला और संरचना
बर्धवान के इस शिव मंदिर की संरचना और वास्तुकला को ग्रामीण बंगाल के पारंपरिक आठचाला संरचना के आधार पर बनाया गया है जो टेराकोटा के काम का उत्कृष्ठ नमूना है।भारतीय संस्कृति में 108 का विशेष महत्व होता है खास कर पूजा पाठ में।हम किसी भी देवी देवताओं को 108 बार जल अर्पित करते है या परिक्रमा करते है तो उसका विशेष फल प्राप्त होते है।इसी को ध्यान में रखकर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।इस मंदिर परिसर में कुल 108 शिवलिंग स्थापित हैं।प्रत्येक शिवलिंग के लिए छोटे-छोटे आकार में आठचाला संरचना वाली मंदिर बनायी गयी है। इस तरह एक विशाल क्षेत्र में दो स्तरों में गोलाकार में कुल 108 मंदिर बनाए गये हैं। पहली गोलाई में 74 और दूसरी गोलाई में 34 शिव मंदिर हैं। इस परिसर में स्थित सभी मंदिरों की दिवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य अंकित हैं।मंदिर परिसर की बाहरी गोलाई के सभी मंदिरों में काले रंग के शिवलिंग और अंदर की गोलाई के सभी मंदिरों में सफेद रंग के शिवलिंग स्थापित हैं। कहा जाता है कि सफेद रंग का शिवलिंग महादेव की शांत मुद्रा और काले रंग का शिवलिंग उनके रुद्रावतार का प्रतिक है।
मंदिर का समय और देखरेख
इस मंदिर की देखरेख के लिए 12 पुजारियों का एक दल रखा गया है जो इसकी साफ सफाई पूजा अर्चना का कार्य करते है।यह मंदिर भक्तो के लिए सुबह 6 बजे से दोपहर 12 और शाम को 4 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।मंदिर में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है और गेस्ट हाउस के लिए भी कार्य प्रगति पर है।महाशिवरात्रि और सावन माह में यह विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है और मेले का आयोजन भी किया जाता है।इस दौरान दूर दूर से यहां श्रद्धालु आते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से
अगर आप यहां हवाई मार्ग से आना चाहते है तो आपको बता दें कि यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, कोलकाता है ।यहां से कालना के लिए आप बस या कैब कर सकते है।
रेल मार्ग से
अगर आप रेल मार्ग से यहां जाना चाहते है तो आपको सबसे पहले हावड़ा जो की इसका सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है पर आना होगा यहां से कैब या बस के माध्यम से आप कालना पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग से
अगर आप सड़क मार्ग से यहां जाना चाहते है तो कोलकाता से आपको अंबिका कालना के लिए सीधी बस सेवा मिल जाएगी। कोलकाता बस टर्मिनस से एसी व नॉन-एसी दोनों प्रकार की बस सेवा उपलब्ध है।
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