सोशल मीडिया का कमाल ही है जो किसी गुमनाम चीज को भी मिनटों में फेमस कर देता है। कुछ ऐसा ही हुआ है चाइना बॉर्डर के करीब ' खेला गांव' में बने नेचुरल तालाब (swimming pool) को लेकर। देश के उद्योगपति "आनंद महिंद्रा" ने इस तालाब की फोटो क्या रीट्वीट किया है। गुमनामी के खोया ये तलाब चंद मिनटों में देश की सुर्खियों में आ गया।लोग अब इसे नेचुरल स्विमिंग पूल (swimming pool in heaven) कहने लगे हैं।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का 'खेला गांव' अंतिम तहसील धारचूला में स्थित है। उच्च हिमालयी इलाके में होने के कारण ये काफी सुंदर है। धारचूला तहसील हेडक्वार्टर से इसकी दूरी मात्र 30 किलोमीटर है। इस गांव तक रोड भी कट चुकी है। दारमा घाटी को जाने वाले रास्ते के बीच में 'खेला गांव' आता है।
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने नरेन्द्र धामी की फोटो को रीट्वीट करते हुए लिखा है कि” क्या? मैंने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा। यह मेरी ट्रैवल बकेट लिस्ट में शामिल होनी चाहिए, बेहद अच्छे स्विमिंग एक्सपीरियंस के लिए। यह एग्जेक्ट कहां पर है। जीपीएस कॉर्डिनेट बताओ।
आनंद महिंद्रा के ट्वीट से सुर्खियों में आया नेचुरल स्विमिंग पूल-
आनंद महिन्द्रा का इतना सा रीट्वीट करना था कि ये तालाब सुर्खियों में आ गया। नेचुरल स्विमिंग पूल को लेकर किए गए ट्वीट को अब तक साढ़े सात हजार से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं, जबकि 653 लोगों ने इसे रीट्वीट किया है।साथ ही 343 लोगों ने इस पर कमेंट भी किया है। खेला गांव 8 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है. 1 हजार की आबादी वाले इस गांव के अधिकतर लोग पढ़ाई और नौकरी के लिए बाहर रहते हैं। खेला गांव के तालाब की फोटो “स्वर्ग में स्विमिंग पूल” हैशटैग के साथ ट्रेड भी करने लगी है।
असल में यहां के युवाओं ने गांव के बाहर बारिंग के पास निकलने वाले प्राकृतिक जलस्रोत को पत्थर व सीमेंट की मदद से स्वीमिंग पूल का रूप दे दिया है। यहीं पर वे खेती का काम निपटाकर तैराकी करते हैं।
तवाघाट से सात किमी की दूरी-
धारचूला तहसील का खेला गांव तवाघाट से सात किमी दूर है। यहां तक सड़क से जाया जा सकता है। इसके बाद सीधी चढ़ाई है। यहीं से उच्च हिमालयी गांव दारमा व लिपुलेख भी जा सकते हैं। इस गांव की आबादी करीब एक हजार है। गांव के अधिकतर युवा बाहर ही काम करते हैं। यहां जो हैं वे खेती में रमे हैं। उन्होंने ने ही खुद पहल कर गांव के बाहर स्वीमिंग पूल तैयार किया है।
परिवहन और संचार सेवा से वंचित-
सीमांत का खेला गांव आज भी परिवहन, संचार और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यही कारण है कि अधिकतर युवा यहां से पलायन कर चुके हैं। बातचीत के लिए लोग नेपाली सिम का प्रयोग करते हैं। बीएसएनएल का यहां नेटवर्क ही नहीं रहता। रसोई गैस सिलिंडर भी सात किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद किसी तरह गांव लाया जाता है।
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