भारत का एक बेहद सुंदर और लोकप्रिय राज्य उत्तराखंड जो हिमालय के पास स्थित एक ऐसा राज्य हैं जिसे देवो की भूमि भी कहा जाता है। भारत का यह लोकप्रिय राज्य अत्यंत लौकिक और अनुपम सौंदर्य खुद में समेटे हुए हैं। हिमालय की खूबसूरती के साथ साथ उत्तराखंड अपने सांस्कृतिक सभ्यता और खूबसूरत प्राचीन मंदिरो के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां के हर मंदिर के पीछे एक पौराणिक कथा हैं, जिसका संबध भगवान से हैं। उन में से ही एक मंदिर नारायण कोटि मंदिर हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के गुप्तकाशी से 2 किलोमीटर की दूरी पर रुद्रप्रयाग और गौरीकुंड राज्य मार्ग पर स्थित हैं। ऐसा कहा जाता हैं यह वह स्थान हैं जहां भगवान श्रीकृष्ण ने पंडावो को अपने 1 करोड़ नारायण रुप दिखाएं थे।
नारायण कोटि मंदिर
नारायण कोटि मंदिर उत्तराखंड के गुप्तकाशी में स्थित हैं। यह मंदिर विशेष रूप से लक्ष्मी नारायण को समर्पित हैं। कहा जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 9वी शताब्दी में हुआ था। निर्माण के समय यहां कुल 300 से अधिक मंदिर थे जोकि अब आपदा एवं अन्य कारणों से नष्ट हो गए हैं और अभी वर्तमान में केवल 29 मंदिर ही शेष बचे हुए हैं। नारायण कोटि मंदिर प्राचीन मंदिरों का समूह स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। इस मंदिर को मंदिरों का समूह भी कहा जाता हैं। यह एकमात्र ऐसा स्थान हैं जहां आपको नौ ग्रहों का मंदिर एक साथ देखने को मिल जायेगा। इसे नौ ग्रहों का प्रतीक भी कहा जाता हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने पंडावो को दिखाए थे अपने एक करोड़ नारायण रुप
ऐसी मान्यता हैं कि नारायण कोटि मंदिर का इतिहास महाभारत के पांडवों से जुड़ा हुआ हैं। जिसका उल्लेख केदारखण्ड में भी मिलता हैं। कहा जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान कृष्ण ने पांडवों को अपने एक करोड़ नारायण रूपों का खुलासा किया था, जब वे भगवान शिव से नहीं मिले थे।
मंदिर समूह के निकट है भस्मासुर कुंड
मंदिर समूह के निकट परिसर में ही भस्मासुर कुंड स्थित हैं। कहा जाता हैं कि भस्मासुर ने भगवान शिव से वरदान लिया था कि वह जिसके भी सिर पे हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। जिससे परेशान होकर भगवान विष्णु ने सुंदरी रूप धारण कर छल से भस्मासुर को नचाया था। जिसके बाद भस्मासुर ने नाचते नाचते अपने ही सिर पर हाथ रख दिया और वह भस्म हो गया। कहा जाता हैं कि यह वही जगह हैं जहां भस्मासुर भस्म हो गया था। इस कुंड से गंगा और यमुना दो जल धाराएं प्रवाहित होती हैं।
नारायण कोटि मंदिर कब जाएं?
प्रसिद्ध और प्राचीन नारायण कोटि मंदिर उन मंदिरों से एक हैं जहां भक्त या तीर्थयात्री को अपने जीवनकाल में एक बार जरूर दर्शन करना चाहिए। आप इस मंदिर में कभी भी, किसी भी महीने और किसी भी मौसम में दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग से: यहां से नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा हैं। जहां से आप कैब या टैक्सी कर के मंदिर परिसर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से: इस मंदिर से नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश हैं। जहां से आप कैब या टैक्सी कर के मंदिर परिसर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से: ऋषिकेश आसानी से सड़क मार्ग से दूसरे शहरों से जोड़ा हुआ हैं। यहां से आसानी से बस,कैब या टैक्सी कर के आप मंदिर परिसर तक पहुंच सकते हैं।
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