पुरी समुद्र तट पर दो दिन बिताने के बाद हम कोलकाता की ओर निकल पड़े। भुवनेश्वर से रात में ट्रेन लेनी थी और हम शहर में दोपहर के आसपास पहुँचे चुके थे।
दिन के खाने के लिए एक रेस्तरां में रुके। खाना कोई ख़ास नहीं लगा तो हम बाहर कुछ चटपटा खाने के लिए झाँकने लगे।
हमने देखा कि बाहर तेज़ बारिश शुरू हो गई है और निकलना मुश्किल है। काउंटर पर जाकर हमने पूछा कि आसपास क्या कुछ देखने लायक है?
उसने हमें बताया कि जब लौट ही रहे हैं तो नंदन कानन घूम लें! रात को ट्रेन है तो शाम तक जंगल की सैर कर सकते हैं लेकिन बारिश बाधा बन सकती है।
हमने थोड़ी देर इंतज़ार किया कि बारिश को भी जैसे तरस आ गया और जैसे कुछ ही देर में आसमान साफ़ हो गया। रेस्तरां से निकलकर हम नंदन कानन की ओर निकल पड़े। कुछ मिनटों में ही हम विशाल आकर्षक गेट पर थे। वहाँ हमने देखा कि मात्र ₹10 में किराए पर छाता मिल रहा है। टिकट तो लिया ही, एक छाता भी लेते रहे। बारिश के मौसम में छाता साथ होना बेहद ज़रूरी होता है। खासकर तब जब आपको 'जंगल की सैर' करनी हो!
नंदन कानन आखिर है क्या?
ओडिसा की राजधानी भुवनेश्वर के चिड़ियाघर को ही नंदन कानन नाम दिया गया है लेकिन आपको बता दूँ कि ये मात्र एक चिड़ियाघर नहीं बल्कि एक विशाल वन्य जीव उद्यान है। सफेद बाघों के लिए मशहूर नंदन कानन अपने आप में पूरा का पूरा जंगल है। ऐसा देखा जाता है कि चिड़ियाघर के लिए शहर के आसपास बनावटी जंगल बनाकर या फिर पिंजरों में जानवरों को रखने की व्यवस्था होती है। लेकिन नंदन कानन ऐसा चिड़ियाघर है जो कि प्राकृतिक जंगल में ही बनाए गए हैं। मेन सिटी से 15 कि.मी. दूर घना वन जहाँ जीव अपने मौलिक आवास की तरह ही झूमते मिलेंगे।
नंदन कानन चिड़ियाघर होने के साथ-साथ एक बॉटनिकल गार्डन भी है जो कि 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहाँ कांजिया झील और चंदका-दंपारा वन्यजीव अभ्यारण्य के हरे-भरे पेड़-पौधे आपको सुरक्षित जंगल में घूमने की अनुभूति देते हैं। पेड़ों के बीच से गुज़रती सड़क आपको एक से एक जानवर व पशु-पक्षियों से मिलाते हैं। बताया जाता है कि यहाँ लगभग 126 प्रजाति के जानवर निवास करते हैं। आप जितना एक्सप्लोर करेंगे, उतने ही जीव-जंतु और पक्षियों को देख सकते हैं।
सफेद बाघों के लिए मशहूर
नंदन कानन सफेद बाघों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इसकी स्थापना 1960 में कुछ लुप्त होने वाले विशेष जीवों को रखने के लिए की गई। कांजिया झील के चारों ओर फैले वन क्षेत्र के कुछ हिस्सों को चिड़ियाघर के रूप में विकसित किया गया। जहाँ सामान्य रंग के बाघ दम्पत्ति ने 1980 के आसपास सफेद रंग के बाघ को जन्म दिया। तब से यहाँ वैज्ञानिक तरीके से कई सफेद बाघों ने जन्म लिया।
असल में, बाघों में जीन दोष के कारण जो शावक पैदा होते हैं उनका रंग सफेद हो जाता है। ये बंगाल टाइगर का ही दुर्लभ रूप होता है जिसे प्रजाति नहीं कही जा सकती। ये अलग प्रकार के नहीं होते बल्कि कुछ शारीरिक गुण-दोष की वजह से ऐसे होते हैं।
बता दें कि साल 1991 से यहाँ टाइगर सफारी की भी सुविधा मौजूद है। सफ़ेद रंग के बाघ की बात चली है तो जानकारी हो कि यहाँ विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके सफेद पीठ वाले गिद्ध का संरक्षित प्रजनन भी किया जाता है।
और क्या कुछ है खास?
नंदन कानन में सिर्फ गिद्ध ही नहीं बल्कि कई दुर्लभ जीवों का संरक्षित प्रजनन किया जाता है। लिहाजा आपको यहाँ कुछ ऐसे भी जीव मिल सकते हैं जो कि केवल यहीं देखने को मिलेंगे। मेलेनिस्टिक टाइगर, पांगोलिन, लुप्तप्राय रटेल आदि को आप यहाँ देख सकते हैं। यहाँ घड़ियाल और हिप्पो के लिए विशाल जलक्षेत्र हैं तो वहीं झील के चारों ओर अलग-अलग प्रजाति के हज़ारों पक्षी डेरा डाले रहते हैं। हाथी अपने प्राकृतिक निवास में आपके स्वागत के लिए तैयार मिलते हैं।
नंदन कानन देश का पहला ऐसा चिड़ियाघर है जिसे वाजा (WAZA) यानी वर्ल्ड एसोशिएशन ऑफ़ जू एंड एक्वेरियम की सदस्यता मिली हुई है। इतना ही नहीं, इसकी लोकप्रियता इतनी है कि नई दिल्ली से भुवनेश्वर के लिए नंदन कानन एक्सप्रेस ट्रेन चलती है। ये पहला ज़ू है, जिसके नाम से ट्रेन चलाई जाती है।
हमने जो महसूस किया
चूंकि हम ऐसे ही अचानक से नंदन कानन पहुँचे थे, समय कम मिला और जैसे-जैसे हम जंगल की सैर करते, लगता रहा कि और अधिक समय होता तो और घूमा जा सकता है। चिड़ियाघर तो हमने कई शहरों के देख आए लेकिन जंगल में ऐसे सलीके से वन जीवों को देखना वाकई बढ़िया अनुभव होता है। बारिश के मौसम में भी हमें कोई ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
अन्य चिड़ियाघरों में जीव जैसे कैद रहते हैं लेकिन यहाँ वे अपने मूल निवास की तरह पूरे तरोताजा रहते हैं और आपको एक सुरक्षित रास्ता मुहैया कराया जाता है, जहाँ आपको कोई खतरा ना हो। घूमते हुए बोर्ड पर जगह-जगह हमने लिखा पाया कि बंदरों से सावधान रहें, उन्हें न छेड़ें! आप कई प्रकार के बंदरों को झुंड में घूमते देख सकेंगे। बारिश के समय झील पानी से लबालब था और समय की किल्लत के कारण नौकायन नहीं करने का मुझे आज भी मलाल है।
नंदन कानन पूरा एक दिन का टूर है और आप पूरा दिन निकालकर ही अपनी प्लानिंग करें तो कई गुना ज्यादा मजा आएगा। फैमिली और बच्चों के साथ यहां दिन बिताना एक बेहतरीन निर्णय हो सकता है।
यात्रा के लिए सही समय
बारिश और गर्मी में आपको पानी और धूप से ज़रा परेशानी हो सकती है। जाड़े के मौसम में घूमना परफेक्ट रहेगा। वैसे सालभर लोग यहाँ आते हैं और आप भी अपनी दिल की सुनकर प्लानिंग कर लें!
नंदन कानन कब खुलता है?
नंदन कानन अक्टूबर से मार्च सुबह 8 से 5 बजे के बीच खुला रहता है तो वहीं बाकी के सालभर सुबह 7.30 से 5.30 तक खुला मिलता है। ध्यान रहे, सोमवार को पार्क बंद रहता है।
नंदन कानन भुवनेश्वर शहर के पास ही है तो रेल और हवाई जहाज़ से आसानी से पहुँचा जा सकता है। अगर ओडिसा के पुरी, कोणार्क, भुवनेश्वर आदि जगहों पर घूमने आएँ तो नंदनकानन के लिए जरूर समय निकालें।