हैलो दोस्तो, मैं प्रतीक आज फिर आपके साथ अपना एक सुखद यात्रा अनुभव शेयर करने जा रहा हूं, जिसे पढ़कर आप भी इस यात्रा के बारे में प्लान कर सकते है । इस यात्रा को मैं लखनऊ से प्रारम्भ किया, जिसमें पहली व दूसरी रात नैनीताल, तीसरी रात मुक्तेश्वर में रुका व अगले दिन वापसी किया । मैं इस बार भी सड़क मार्ग से ही अपनी कार वैन्यू से पूरी यात्रा किया, जिसमें मेरे माता-पिता, पत्नी व बेटी मेरे साथ रहीं । इस रोड यात्रा को करने में मुझे 4 दिन का समय लगा । तो दोस्तो, आप भी एक छोटे विकेन्ड में भी इस यात्रा को मेरे ब्लॉग की सहायता से प्लान कर सकते हैं और आसानी से अपनी यात्रा को पूर्ण भी कर सकते हैं । तो चलिये मैं आपको अपने यात्रा के बारे में दिन वार विस्तार से बता दूं । इस ब्लॉग को आखिरी तक पढ़े एवं कोई त्रुटि हो तो उसे मेरे साथ साझा करें, जिससे मैं आपके लिये आगे भी इसी तरह लिखता रहूं ।
पहला दिन- आज मैं दिन में लगभग 12 बजे लखनऊ से निकल कर यात्रा प्रारम्भ किया, दिन होने की वजह से लखनऊ में ट्रैफिक काफी मिली, लखनऊ से बाहर निकलने के बाद लगभग बक्शी का तालाब से ट्रैफिक थोड़ी सामान्य रही । मैं सीतापुर करीब 3 बजे पहुंच चुका था, आज ही मैं नैनीताल पहुंच कर रुकना चाहता था, वैसे देर से निकलने के कारण मुझे ये पता था की नैनीताल पहुंचने में रात तो हो ही जायेगी । मैं पहाड़ों का सुन्दर दृश्य नहीं देख पाऊंगा । इसी कारण बिना रास्ते में हाल्ट किये सीतापुर से शाहजहाँपुर, बरेली होते हुये लगभग 5 बजे के करीब बरेली से हल्द्वानी के रास्ते पर आ गया था । बरेली में ही इसी हाईवे पर रुककर एक जगह हम लोगो द्वारा हल्का नाश्ता किया गया एवं चाय पी गयी । फिर बिना देर किये हम लोग हल्द्वानी के लिये निकल चुके थे । हल्द्वानी की लगभग दूरी इस जगह से 70 किमी थी । यह मेरी सेल्फ ड्राईव में दूसरी हिमायल यात्रा थी एवं पहली ऐसी यात्रा थी जिसमें मैं हिमालय की घुमावदार पहाड़ियों पर अपने माता-पिता के साथ भी था । माता-पिता द्वारा तो ऐसे हमेशा यही कहा जाता रहा कि पहाड़ पर गाड़ी चलाने से अच्छा है कि वहां पहुंच कर वहां कि गाड़ी बुक करलें, जिससे वहां के ड्राईवर को रास्तों का अनुभव होता है, लेकिन मैं अभी कुछ समय पहले ही दार्जिलिंग व सिक्किम में खुद ड्राईव करके आ चुका था जो कि एक अच्छा अनुभव था तो मैं माता-पिता को यह विश्वास देते हुये कि एक बार मुझे भी अपने साथ पहाड़ पर गाड़ी चलाने का अनुभव दिजिये कहकर यहाँ तक लेकर आ चुका हूं । तो हम लोग करीब 06.30 बजे तक हल्द्वानी पहुंच चुके थे । हल्द्वानी के बाहर से एक रास्ता बाईपास के तरफ से नैनीताल के लिये दिखा रहा था, लेकिन रास्ते की जानकारी करने पर पता चला की यह रास्ता पुल बन्द होने से चालू नहीं है । तो हम लोगो को हल्द्वानी शहर से ही होकर काठगोदाम, रानीबाग के रास्ते से ही नैनीताल जाना था । शाम का समय होने से हल्द्वानी शहर में भी जाम का सामना करना पड़ा, लेकिन शहर में आने से यह पता चला की हल्द्वानी शहर तो वास्तव में बहुत अच्छी जगह है । यहाँ आपको लगभग हर कम्पनीयों के शोरुम मिल जायेंगे, एक और अच्छी बात ये रही कि एक ही जगह पर आपको कपड़ो के शोरुम व जरुरत के सामानों के शोरुम, इसी तरह आटोमोबाईल्स के शोरुम आदि मिल जायेंगे । लगभग 07.30 तक हम लोग हल्द्वानी शहर के बाहर आकर रानीबाग के करीब पहुंच चुके थे । यहाँ से एक रास्ता सिधे नैनीताल की तरफ जाता है और एक रास्ता भीमताल की तरफ जाता है । गुगल बाबा द्वारा बताये रास्ते से होते हुये मैं सीधे नैनीताल के रास्ते से ही चल दिया । रास्ता इस समय थोड़ा खराब मिला, वैसे पहाड़ो पर रास्ते खराब होने से गाड़ी चलाने में समस्या भी आती है । जैसे- जैसे हम लोग नैनीताल के करीब पहुंच रहे थे वैसे वैसे मौसम ठन्डा हो चुका था और रास्ते में बादल जो बिल्कुल सड़को पर ही चले आ रहे थे । पहाड़ों पर गाड़ी चलाने का एक अलग ही रोमान्च होता है । करीब 9 बजे हम लोग आ चुके थे झीलों के शहर नैनीताल में वो भी नैनी लेक के बिल्कुल किनारे पर । यह सुखद दृश्य अनुभव करके रास्ते की सारी थकावट अपने आप दूर हो जाती है । हम लोग थोड़ी देर यहाँ रुकने के बाद होटल जो पहले से बुक किये थे जो नैनी लेक के सामने ही था वहाँ पहुंच कर चेक इन किये और वहीं पर डिनर भी किया गया ।
तो दोस्तो आज के दिन का शेड्यूल हमेशा के पहले दिन की तरह काफी व्यस्त रहा लेकिन पहाड़ों की शान्ति व मौसम का आनन्द लेकर सब भूल जाना होता है । होटल से नैनी लेक का जो व्यू था उसे शब्दो में बयां भी नहीं किया जा सकता । जू के रास्ते पर थोड़ी उचाई से यह नजारा काफी मनमोहक था ।
दूसरा दिन- आज के दिन हम लोगो का कैंची धाम बाबा नीम करोरी महाराज के आश्रम पर दर्शन करने का प्लान था । नैनीताल से कैंची धाम की दूरी लगभग 18 किमी है जिसे जाने में करीब 1 घन्टे लग गया । हम लोग सुबह करीब 08 बजे होटल से कैन्ची धाम के लिये प्रस्थान कर चुके थे, नैनीताल से भवाली होते हुये करीब 9 बजे आश्रम पर पहुंच गये थे, रास्ते में एक दो जगह आपको सेल्फी प्वाईंट भी मिल जायेगा जहाँ से पहाड़ो का नजारा कैद करके आप अपने साथ यादों हेतु रख सकते हैं । कैंची धाम आश्रम के पास में ही स्थित पार्किंग में गाड़ी खड़ी की गयी जिसका चार्ज 110 रुपये है । पास में स्थित प्रसाद की दूकान से प्रसाद लेने के उपरान्त हम लोग आश्रम में प्रवेश कियें । आश्रम की एवं महाराज जी की महिमा के बारे में आप तो जानते ही होंगे और यदि नहीं भी पता है तो आप आसानी से गुगल सर्च से जान सकते हैं । महाराज जी को भगवान हनुमान जी का अवतार कहा जाता है और जो भी यहाँ अपनी मुराद लेकर आता है उसकी मुराद अवश्य पुरी होती है । प्रमुख द्वार के अन्दर ही स्थित मन्दिरों का दर्शन करते हुये एक छोटी सी लाईन से होते हुये महाराज जी के दर्शन प्राप्त हुये । उसके बाद वहीं मन्दिर प्रांगण में ही हनुमान चालिसा का पाठ किया गया । लगभग 2 घन्टे से ज्यादे समय तक आश्रम में रहने के पश्चात हम लोग आश्रम से बाहर आयें और सुबह का भोजन किया गया । इस जगह पर दर्शन मात्र से ही मन में इतनी शान्ति प्रतीत हो रही है जो अद्भुत है । आश्रम पर जाने के उपरान्त वहाँ से आने का मन भी नहीं हो रहा है । वहाँ से करीब 1 बजे हम लोग वापस गोलू देवता मन्दिर के लिये वापस भवाली के रास्ते पर चल दियें । वहाँ से गोलू देवता मन्दिर की दूरी लगभग 10 किमी है जहाँ जाने में मात्र 20 से 30 मिनट लगे । वहाँ आकर हम लोग गोलू देवता मन्दिर में दर्शन किये । यह मन्दिर भवाली से करीब 3 किमी की दूरी पर स्थित है जो काफी उचाई पर भी है । यहाँ आने तक तो मौसम धुप का था लेकिन जब यहाँ से हम लोग वापस नैनीताल के लिये निकले तो पुरी तरह से दिन में ही बादल हो चुके थे जो बिल्कुल आपके साथ साथ चल रहे थे । यह नजारा भी बहुत ही सुन्दर था ।
हम लोग गोलू देवता मन्दिर दर्शन करने के बाद करीब 3 बजे वापस नैनीताल के लिये निकल गये । रास्ते में ही एक स्थान पर रुककर हम लोग चाय नाश्ता किये और थोड़ी देर वादियों में आराम किया गया । लगभग 5 बजे वापस हम लोग नैनीताल शहर में पहुंच चुके थे । नैनी लेक के किनारे पर ही नैनीताल का मॉल रोड स्थित है । जहाँ शाम के मार्केट का नजारा बहुत ही सुन्दर है । नैना देवी मन्दिर के पास में ही तिब्बत बाजार स्थित है जहाँ आपको ठन्डी के कपड़े काफी कम दामों में मिल जायेंगे । शाम में हम लोग नैना देवी मन्दिर दर्शन करने के बाद मॉल रोड घुमें और यहीं पर डिनर करके रात लगभग 10 बजे अपने उसी होटल में पहुंचे जहाँ कल रात में रुके थे ।
तृतीय दिन- आज का दिन भी काफी व्यस्त होने वाला है, मेरी आगे की प्लानिंग यह है कि आज हम लोग नैनीताल जू भ्रमण करने के बाद नैनीताल लेक में बोटिंग करेंगे एवं उसके बाद हनुमान गढ़ी मन्दिर दर्शन करने के पश्चात हम लोग आज की रात मुक्तेश्वर में रुकेंगे । प्लानिंग के अनुसार लगभग 9 बजे के करीब हम लोग होटल से चेक आउट किये, मेरा होटल जो जू के पास में ही था, तो गाड़ी वहीं पर पार्क रहने दिया गया और पैदल ही हम लोग जू के पास पहुंच गये । जू काफी उचाई पर स्थित है एवं यहाँ जाने के लिये उचाई पर काफी पैदल भी चलना पड़ा । हम लोग जू से टिकट लेकर अन्दर प्रवेश कियें । टिकट दर 120 रुपये है एवं बच्चो व बुजुर्गों का प्रवेश निःशुल्क है । नैनीताल जू भी काफी उचाई पर स्थित है । यहाँ पर हम लोगो को काफी जानवर दिखे । अभी तक के मेरे समस्त जू के अनुभव में यहाँ पर टाईगर सबसे करीब से हम लोगो ने देखा । जू से करीब 12 बजे बाहर आकर हम लोग बाहर ही स्थित कैन्टिन में लन्च कियें । यहाँ का राजमा चावल जो काफी फेमस बताकर ही वहाँ दिया जा रहा था किन्तु काफी स्पाइसी होने के कारण मुझे तो उतना अच्छा नहीं लगा । बाकी सारी चिजे अच्छी थीं । जू से हम लोग नीचे आकर नैनीताल लेक के किनारे बोटिंग का आनन्द लेने पहुंचे । नैनीताल आये और बोटिंग नहीं किये तो कुछ खालीपन तो नजर आता ही है । बोटिंग का चार्ज 01 बोट का 320 रुपये 30 मिनट के और 420 रुपये 01 घन्टे का है । 01 घन्टे की बोटिंग में लगभग 2 से 3 बार बादल बिल्कुल से नीचे आये और फिर से कहीं गायब हो गयें। यह अपने आप में ही एक रोमांचित अनुभव था । करीब 2 बजे नैनीताल से हम लोग बाहर आकर वहां से 03 किमी दूर स्थित हनुमानगढ़ी मन्दिर दर्शन हेतु पहुंचे । दर्शन करके करीब 04.30 बजे हम लोग मुक्तेश्वर के लिये प्रस्थान किये । मुक्तेश्वर की दूरी नैनीताल से करीब 45 किमी है । मुक्तेश्वर के बारे में मैं अपने दोस्तो से काफी सुन चुका था की यह बहुत ही शान्त व सुन्दर जगह है । यहाँ जाने के लिये मुझे मेरे मित्र सौरभ ने सलाह दिया जिन्हे हम लोग RI साहब के नाम से भी बुलाते हैं । रास्ता जो बिल्कुल घुमावदार था एवं रास्ते में काफी जंगल भी था । इस रास्ते पर मुझे लगता है रात में चलने पर जंगली जानवर के मिलने की सम्भावना होती होगी । हम लोग रास्ते का आनन्द लेते हुये करीब 07 बजे मुक्तेश्वर पहुंच चुके थे । यहाँ पर रुकने के लिये रिसार्ट व होमस्टे का विकल्प बहुत अच्छा है । यहाँ आप जितनी उचाई की तरफ होंगे सुबह व शाम का नजारा उतना ही खुबसुरत देखने को मिलेगा । रास्ते पर ही स्थित एक रिजार्ट पर हम लोग रुके और आज का डिनर भी यहीं किया गया । यहाँ सेव, रामफल, नाशपाती, चाय के बागान आपको देखने के लिये खुब मिलेंगे । जिस रिजार्ट पर हम लोग रुके वहाँ पर भी इन सबके पेड़ लगे हुये थे । वैसे हम लोग समय से होटल आ चुके थे तो आज आराम करके सुबह प्रकृति का आनन्द लेने के लिये जल्दी जगना था ।
चौथा दिन- सुबह सुबह ऐसा नजारा आज के पहले मैने अभी कभी नहीं देखा था । रात में आने पर जो पहाड़ो पर बने घर की लाईटें ऐसे टिमटिमा रहीं थी जैसे आसमान के तारे नीचे आ चुके हों, अब सुबह में सबसे दूर की एवं सबसे उंची चोटी ही बस दिखाई दे रही थी, बाकी बादल बिल्कुल नीचे । मैं करीब 05.15 बजे ही यह नजारा देखने के लिये जग चुका था । सूर्योदय का नजारा अद्भुत ही था । सुबह का नजारा देखने के बाद हम लोग होटल से चेकआउट करके करीब 10 बजे पास में ही मुक्तेश्वर महादेव मन्दिर दर्शन करने के लिये पहुंचे । यहाँ पहुंचने पर मन्दिर को जाने हेतु दो रास्ते हैं । 01 रास्ता लगभग 100 सीढ़ीयों से सीधे मन्दिर को ले जाता है और दूसरा रास्ता चौली की जाली होते हुये जाता है । मैं जाते समय सीधे सीढ़ीयों से मन्दिर पहुंच चुका था । महादेव के दर्शन करने के उपरान्त हम लोग दूसरे रास्ते से नीचे उतरने लगे ।
रास्ता जो बिल्कुल पेड़ों के मध्य से बना हुआ है, यह दृश्य भी बहुत खुबसुरत था । हम लोग 10 मिनट में ही चौली की जाली पहुंच चुके थे और यहाँ आने के बाद मुझे याद आया कि लोग पहाणों से जो नीचे की तरफ पैर करके फोटो क्लिक कराते हैं वह यहीं का होता है । मैं भी बिना देर किये इस पल को अपने कैमरे में कैद करने लगा । लगभग 01 घन्टे उस स्थान पर रहने के बाद हम लोग वापस अपनी कार के पास आकर मुक्तेश्वर से वापस लखनऊ के लिये प्रस्थान कियें । रास्ते में भालुगढ़ वाटरफाल जाने के लिये हम लोग दूसरे रास्ते से चल दिये । यह रास्ता थोड़ा खराब है । फिर भी दूरी ज्यादे नहीं होने के कारण करीब 45 मिनट में हम लोग भालूगढ़ वाटरफाल पहुंच चुके थे। यहाँ पर 60 रुपये का प्रवेश शुल्क है । यदि आप मुक्तेश्वर आते हैं तो भालूगढ़ वाटरफाल का आनन्द भी ले सकते हैं ।
मुख्य मार्ग से वाटरफाल की दूरी लगभग 900 मीटर है । रास्ता ऐसा जो बिल्कुल भी आपको दूरी का पता नहीं चलने देगा, कभी उपर कभी नीचे और बीच बीच में नदी के बिल्कुल किनारों पर लगे फुड स्टॉल । लगभग 20 मिनट में हम लोग वाटरफाल आ गये और यहाँ पर थोड़ी देर रुके । पानी में जाने पर पता चला की यहाँ आपको फ्री में ही फिश स्पा भी मिल जायेगा । पानी में छोटी छोटी मछलियां हैं, जो पैरों को छुती रहती हैं । कुछ देर रुकने के बाद करीब 04 बजे हम लोग भालुगढ़ वाटरफाल से वापस हल्द्वानी के रास्ते पर चल दिये । दूरी काफी होने से मुझे पता था कि आज रात के करीब 2 बज जायेंगे । रास्ते में भीमताल झील के किनारे पर हम लोग करीब 30 मिनट रुके । फिर यहाँ से सीधे हल्द्वानी के लिये चल दिये । रानीबाग हम लोग समय से करीब 7 बजे तक तो आ गये थे किन्तु यहाँ शाम का जाम होने के कारण हल्द्वानी से बाहर आने में रात के 09 बज चुके थे । बिना देर किये और कहीं रुके सीधे बरेली और करीब 11 बजे हम लोग शाहजहाँपुर में एक ढाबे पर रुके जहाँ डिनर किया गया । रात में नींद आने के कारण एवं दिन भर की थकावट होने के कारण हम लोग गाड़ी में ही करीब 01 घन्टे आराम किये और फिर करीब 03.30 बजे हम लोग लखनऊ पहुंच गये ।
तो दोस्तो यह रहा मेरे नैनीताल, कैंची धाम, मुक्तेश्वर यात्रा का विवरण । कैसा लगा आपको आप अपना अनुभव जरुर शेयर करें । इस यात्रा में कुल करीब 1500 किमी की हमारी रनिंग रही । आगे भी मैं अपने यात्रा विवरण के बारे में आपको बताता रुहुंगा । मुझे विश्वास है कि आप भी यदि नैनीताल, मुक्तेश्वर का प्लान बनाते हैं और इस लेख को पढ़ेंगे तो आपको जरुर सहायता प्राप्त होगी । एक और बात, माता-पिता से अपने ड्राईविंग की तारीफ सुनकर मन तो और भी प्रसन्न हो गया ।
।।धन्यवाद।।