इतिहास हमेशा कुछ न कुछ सिखाता है पर उसमे अनगिनत रहस्य समाये होते है जिसे इंसान हर कदम पर सुलझाने की कोशिश करता है। कुछ रहस्य नये होते है और कुछ सदियों पुराने! भारतीय इतिहास में ऐसी कई कहानियाँ मौजूद है, जिसमे ढेरों राज़ छिपे है, जिन्हें जानने के लिये वैज्ञानिक और इतिहासकार हमेशा से प्रयत्न करते आ रहे है।
आईये ऐसी ही कुछ जगहों की कहानियों से रूबरू होते है।
बिहार की सोन भंडार गुफाएं :
बिहार की सोन भंडार गुफाएं एक बड़े पत्थर से बनायीं हुयी है और कहा जाता है कि ये गुफाएं मगधन राजा बिम्बिसार के ज़माने की है। लोगो का मानना है कि बिम्बिसार राजा अपने खजाने को छुपाने के लिये इन गुफाओ का इस्तेमाल करता था। सोन भंडार का मतलब है ‘सोने का खजाना’। जब बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु ने कारागार में डाल दिया तब उसके आदेश से उसकी बीवी ने राज्य का खजाना इस गुफाओ में छिपाया था। यहा पर मिली हुयी संखलिपि में लिखित शिलालेख है जिनसे शायद इस खजाने तक पहुँचने की चाबी मौजूद है। अंग्रेजो ने खजाने को हासिल करने के लिये दरवाजो पर तोप के गोले बरसाये थे जिनके निशान आज भी दिखते है पर उन्हें कुछ भी नहीं मिला था।
जयगढ़ किले का शाही खजाना :
जयगढ़ का जैवाना किला दुनिया के सबसे बड़े पहियों वाली तोपो के लिये प्रसिद्द तो है पर साथ साथ साजिश और खजानों की कहानियो के लिये भी प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि अफगानिस्तान की जंग जीतने के बाद अकबर के रक्षा मंत्री मान सिंग ने युद्ध में जीता हुआ खजाना इसी किले में छुपा के रखा था। सन 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किले में खजाना और पानी की टंकिया ढूंढने के लिये एक मुहीम चलायी। पर इसमे कुछ भी नहीं पाया गया। इस मुहीम की पूरी कहानी महारानी गायत्री देवी द्वारा लिखी गयी ‘A Princess Remembers’ नामक किताब में पढने को मिलता है।
कुलधरा- भूतो से पीड़ित गाँव :
जैसलमेर के पश्चिम दिशा में 20 किमी के बाद भूतो से पीड़ित कुलधारा गाँव है जहा 100 साल पहले पालीवाल ब्राह्मण रहते थे। लगबग 1500 लोग एक ही रात में इस गाँव को छोड़कर निकल गये। किसी को खबर नहीं थी कि वो कहा और क्यों गये पर लोगो का मानना है कि दुष्ट शासक सलीम सिंग और उसके लगाये गये लगान की वजह से लोग गाँव छोड़कर चले गए, और जाते जाते गाँव को एक श्राप भी देकर गये। उस घटना के बाद जिसने भी गाँव में रहने का निश्चय किया उसकी मौत हो गयी इसी वजह से ये गाँव आजतक नहीं बसा।
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लामा तेनझीन की 500 साल पुरानी ममी :
हिमालय में स्पीति के पास घुइन नामक एक छोटासा क़स्बा है जहा पुराने ज़माने में प्रचलित, खुद की ममी बनाने की संस्कृति देखने को मिलती है ।यहा पर एक छोटे से कमरे में 500 साल की ममी रखी गयी है जिसे कांच से सरंक्षित किया गया है। पंद्रहवी शताब्दी के महंत सांघा तेनझीन की ये ममी है, जिसकी त्वचा और सर के बाल आज भी साबुत है। ये ममी सबसे पहली प्राकृतिक ममी है।
मीर ओस्मान अली का खजाना :
हैदराबाद के असफ जाह शासन के सातवे और आखरी निज़ाम मीर ओस्मान अली खान अपने गहनो और खजाने के संग्रह के लिये प्रसिद्ध थे। सन 1937 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें दुनिया के सबसे अमीर आदमी का सम्मान दिया। उनके द्वारा संग्रहित की गयी सभी गहनों और खजाने को उनके मृत्यु के बाद भी कोई ढूंड नहीं पाया था। लोगो का कहना है कि सारा खजाना हैदराबाद के कोठी पैलेस में छुपा है जहा निजाम रहते थे।
चरामा की एलियन नुमा शैल चित्र :
छत्तीसगढ़ के बस्तर आदिवासी इलाके में चरामा गाँव के पास पुरातन गुफाए मिली है। जहा के पत्थरों पर दूसरे ग्रह के लोगों जैसे दिखने वाले चित्र पाये गये है। गुफाओ की खोज करने वाले पुरातत्ववादी कहते है कि, चित्रो में चेहरे अलग तरह से दिखते है और कुछ चित्र उड़न तश्तरी के भी है। इससे जुडी हुई एक कहानी गांववाले बताते है। जिसमे रोहेला नामक लोग उड़न तश्तरी से यहाँ आते थे और गांववालो का अपहरण करते थे। छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) को इस मुहीम में मदद करने की मांग की है।
तिब्बत का यमद्वार :
प्राचीन काल में तिब्बत को त्रिविष्टप कहते थे। यह अखंड भारत का ही हिस्सा हुआ करता था। तिब्बत को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है। तिब्बत में दारचेन से 30 मिनट की दूरी पर है यह यम का द्वार।
यम का द्वार पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। हिंदू मान्यता अनुसार, इसे मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह कैलाश पर्वत की परिक्रमा यात्रा के शुरुआती प्वाइंट पर है। तिब्बती लोग इसे चोरटेन कांग नग्यी के नाम से जानते हैं, जिसका मतलब होता है दो पैर वाले स्तूप। ऐसा कहा जाता है कि यहां रात में रुकने वाला जीवित नहीं रह पाता। ऐसी कई घटनाएं हो भी चुकी हैं, लेकिन इसके पीछे के कारणों का खुलासा आज तक नहीं हो पाया है। साथ ही यह मंदिरनुमा द्वार किसने और कब बनाया, इसका कोई प्रमाण नहीं है। ढेरों शोध हुए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।
जतिंगा गांव :
असम में स्थित यह गांव पक्षी आत्महत्या की घटनाओं के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। कहा जाता है कि पक्षी यहां आकर आत्महत्या करते हैं। जापान के माउंट फूजी तलहटी में आवकिगोहारा के घने जंगल में जिस तरह से लोग आत्महत्या करने आते हैं, ठीक उसी तरह से मानसून की बोझिल रात में जतिंगा के आसमान पर मंडराने लगता है मौत का काला साया। रोशनी की ओर झुंड के झुंड पखेरू आते हैं और काल के गाल में समा जाते हैं। चिड़ियों के इस प्रकार सामूहिक आत्महत्या के पीछे क्या कारण है इस बात का पता आज तक नहीं लगाया जा सका। इस बात का पता लगाने के लिए कई शोध हो चुके हैं, परंतु प्रकृति के इस गूढ़ रहस्य के बारे में अभी भी ठोस रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। असम के कछार स्थित इस घाटी के रहस्यों को जानना जरूरी है।
रूपकुंड झील :
उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में रूपकुंड झील है जहां साल के अधिकतर समय बर्फ जमी रहती है। गर्मी में जब ये बर्फ पिघलने लगती है तब यहां एक जगह जमा हुए मानव कंकाल देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ कंकालों में मांस का भी अंश दिखाई देता है। इस वजह से यह झील कंकालों के झील के रूप में भी जाना जाने लगा है। इनमें से कुछ कंकालों का अध्ययन करने के बाद ऐसा अनुमान लगाया गया कि ये कम-से-कम 1200 वर्ष पुराने हैं।
पिछले कई वर्षों से भारतीय और यूरोपीय वैज्ञानिकों के विभिन्न समूहों ने इस रहस्य को सुलझाने के कई प्रयास किए, पर वे नाकाम रहे।
अलेया भूत लाइट :
पश्चिम बंगाल के दलदली इलाकों में कई बार रहस्यमयी रोशनी देखे जाने की जानकारी मिली थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह उन मछुआरों की आत्माएं हैं, जो मछली पकड़ते वक्त किसी वजह से मर गए थे। लोग इन्हें भूतों की रोशनी भी कहते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन मछुआरों को यह रोशनी दिखती है, वे या तो रास्ता भटक जाते हैं या ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाते। इन दलदली क्षेत्रों से कई मछुआरों की लाशें भी मिली हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं कि यह भूतों के चलते ऐसा हुआ। उनके मुताबिक, मछुआरों के साथ अक्सर ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। हालांकि अभी तक इस रहस्य से भरी गुत्थी सुलझ नहीं पाई है। वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि दलदली क्षेत्रों में अक्सर मीथेन गैस बनती है और वे किसी तत्व के संपर्क में आने से रोशनी पैदा करती है।
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