पश्चिम बंगाल के किरीटेश्वरी गाँव को भारत सरकार द्वारा टॉप पर्यटन गाँव के लिस्ट में पहला स्थान मिला है। जो राज्य के मुर्शिदाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर है। इसी वर्ष सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें देश के 31 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से आए 795 आवेदनों में से मुर्शिदाबाद के किरीटेश्वरी गाँव को खिताब के लिए चुना गया है। 27 सितंबर (विश्व पर्यटन दिवस का अवसर) को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में यह पुरस्कार दिया जाएगा। किरीटेश्वरी गाँव में एक बहुत प्राचीन मंदिर है- किरीटेश्वरी शक्ति पीठ मंदिर। मंदिर का बहुत धार्मिक महत्व है। जिसे देख कर यहाँ की प्रशासन ने यहाँ विकास कार्य को शुरू किया। धीरे-धीरे यह गाँव आज राष्ट्रीय फ़लक पर आ चुका है। गाँव का नाम भी इस मंदिर के कारण ही रखा गया था।
आइये जानते हैं किरीटेश्वरी के बारे में
किरीटेश्वरी गाँव मुर्शिदाबाद में भागीरथी नदी के तट पर किरीटकोना गाँव में पड़ता है। इस गाँव में स्थानीय हथकरघा उद्यम बहुतायत से पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में 1,000 साल पुराना किरीटेश्वरी मंदिर है। यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठ मंदिरों में से एक है। शक्तिपीठ उन मंदिरों को कहा जाता है, जहाँ देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे।
वर्तमान मंदिर को लालगोला के राजा दर्पणनारायण ने बनवाया था
पुराने मंदिर के अवशेष जिसका निर्माण 1405 ई. में किया गया था
गाँव के स्थानीय लोग इस मंदिर को महिषा(सुर) मर्दिनी भी कहते हैं। माता किरीटेश्वरी देवी मुकुटेश्वरी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि जो पुराना मंदिर था वह तकरीबन सन 1405 में नष्ट कर दिया गया था। वर्तमान में जो मंदिर स्थित है उसे 19वीं शताब्दी में लालगोला के राजा दर्पणनारायण ने बनवाया था।
तीर्थ क्षेत्र में क्या हुआ खास?
किरीटेश्वरी को भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव का खिताब मिला। लेकिन अब सवाल है कि ऐसा क्या कर दिया गया इस क्षेत्र में कि यह गाँव अचानक गुमनामी से राष्ट्रीय पटल पर छाने लगा। दरअसल इस खिताब के विजेता की घोषणा से भी पूर्व जिला पर्यटन प्रशासन ने इस मंदिर के चारों ओर तीर्थयात्री और पर्यटक सुविधाएँ स्थापित की। गाँव में 19 होमस्टे को मंजूरी भी दे दी गई। पौष और बैसाख महीनों के दौरान गाँव में बहुत तीर्थयात्री आते हैं। किरीटेश्वरी के पास ही जगतबंधु धाम भी स्थित है। ये मंदिर चारबंगला, राज राजेश्वरी मंदिर, भास्कर पंडित और भट्टबाती शिव मंदिर के साथ एक तीर्थ सर्किट के रूप में उभरे हैं।
राज राजेश्वरी मंदिर-
किरीटेश्वर गाँव के लोगों का सौहार्द बनाता है इसे खास
यह गाँव सांप्रदायिक सौहार्द का भी बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। यहाँ के मंदिर समिति में स्थानीय मुस्लिम समुदाय की भी सदस्यता हैं। वे हिंदू धर्म और संस्कृति से संबंधित विभिन्न अनुष्ठानों में सक्रिय रूप से भाग भी लेते हैं।
प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा (आश्विन माह शरद नवरात्रि) उत्सव के दौरान अष्टमी के दिन यहाँ भव्य दावत का आयोजन किया जाता है। जिसमें कई मुस्लिम परिवारों सहित 7-8 हजार लोग भाग लेते हैं।
कैसे पहुँचें?
किरीटेश्वरी गाँव भागीरथी नदी तट से लगभग 5 किमी दूर, अजीमगंज-कटवा लाइन पर दहापारा स्टेशन से लगभग 2 किमी दूर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर पलसंडामोर से 9 किलोमीटर दूर है।
इस गाँव का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोलकाता में है। जो मुर्शिदाबाद से लगभग 195 किमी की दूरी पर है। कलकता हवाई अड्डा से मुर्शिदाबाद पहुँचने के लिए टैक्सी आदि किराए पर लिया जा सकता है। वही अगर रेल परिवहन की बात करें तो रेलवे स्टेशन मुर्शिदाबाद में ही है। जो कि हावड़ा, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और कई अन्य भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से किरीटेश्वरी के लिए टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
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