जब कभी भी घूमने की बात हो और मनाली का जिक्र न हो ऐसा तो हो नहीं सकता। कई दशकों से यह खूबसूरत हिल स्टेशन हम सभी के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक रहा है। चाहे बात पार्टनर के साथ किसी रोमांटिक ट्रिप की, दोस्तों के साथ की एडवेंचर टूर की या फिर फैमिली के साथ एक सुकून भरी यात्रा की, मनाली का नाम हर तरह की लिस्ट में जरूर आता है।
लेकिन क्या आपको पता है इतने सालों से करोड़ों पर्यटकों की मनाली की यात्रा के बाद भी मनाली में ऐसी अनेकों जगहें हैं जो आज भी अधिकतर पर्यटकों से दूर हैं। मनाली अपनी हरियाली, अद्भुत हिमालय के नज़ारों, सुन्दर बहती ब्यास नदी और अनेकों एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए तो जाना जाता है ही लेकिन इतने ही खूबसूरत नज़ारों और सुकून भरे वातावरण के साथ मनाली से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर स्थित नग्गर क़स्बा अपनी ऐतिहासिक इमारतों और प्राचीन और अद्भुत वास्तुकला वाले मंदिरों के लिए जाना जाता है जिसकी यात्रा किये बिना आपकी मनाली की यात्रा पूरी हो ही नहीं सकती।
इसी नग्गर कस्बे में मुख्य शहर से कुछ अधिक ऊंचाई पर स्थित करीब 1000 वर्ष पुराने राधा-कृष्ण मंदिर के बारे में हम आज आपको इस लेख में बताने वाले हैं जहाँ भगवान के दर्शनों के साथ वहां बिताया हर पल आपको आत्मिक शांति और सुकून से भर देगा। चलिए बताते हैं आपको इसकी पूरी जानकारी...
मुरलीधर कृष्ण मंदिर, कुल्लू
पहले के समय में नग्गर कुल्लू की राजधानी हुआ करता था और इसी वजह से आपको यहाँ सैंकड़ों वर्षों पुराना किला और कई ऐतिहासिक मंदिर भी देखने को मिलते हैं। हालाँकि यहाँ आपको मनाली के बाकि लोकप्रिय पर्यटन स्थलों की तरह पर्यटकों की उतनी भीड़ नहीं मिलने वाली लेकिन अगर बात करें शांति और यहाँ से दिखने वाले सुन्दर दृश्यों की तो उन्हें किसी भी और जगह से कम नहीं बताया जा सकता।
इसी नग्गर में करीब 600 वर्ष पुराना किला जिसे नग्गर कैसल नाम से जाना जाता है वह पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है और वहां से थोड़ी अधिक ऊंचाई पर स्थित है करीब 1000 वर्ष पूर्ण बताया जाने वाला अद्भुत मुरलीधर मंदिर।
आपको बता दें की मुरलीधर मंदिर इस क्षेत्र के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है जो कि मुख्य रूप से देवी राधा और भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह अद्भुत वास्तुकला वाला मंदिर थावा में स्थित है जिसकी नग्गर से दुरी करीब 3 किलोमीटर है। मंदिर में राधा जी और कृष्ण भगवान कि मूर्तियों के अलावा गरुड़ जी, देवी लक्ष्मी और भगवान नारायण और पद्मसम्भव जी की भी मूर्तियां हैं।
मंदिर से जुडी अन्य महत्वपूर्ण बातें
बताया जाता है कि कुल्लू के शाही परिवार की भी इस मंदिर से गहरी आस्था जुडी थी। इसके अलावा ऐसा भी बताया जाता है कि पहले यहाँ राधा जी की मूर्ति नहीं हुआ करती थीं और इसी वजह से भगवान कृष्ण भी मंदिर परिसर से अक्सर अनुपस्थित ही रहते थे। फिर जब राधारानी जी की मूर्ति भी यहाँ स्थापित हुई तब से कृष्ण जी भी मंदिर के गर्भगृह में पूर्ण रूप से स्थापित हुए।
इसके अलावा आपको बता दें की कुल्लू के इस मंदिर में दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है जो की काफी प्रसिद्द भी है और इसके अलावा यहाँ एक छोटा रथ भी है जिसका उपयोग भगवान कृष्ण की शोभायात्रा के लिए किया जाता है।
आज के समय में भी देखा जा सकता है कि मंदिर के आधार का निर्माण गुप्तकालीन शैली में किया गया था हालाँकि इस इलाके में वर्ष 1905 आये विनाशकारी भूकंप से मंदिर के शिखर को काफी नुक्सान पहुंचा था जिसके बाद मंदिर के ऊपरी हिस्से का पुनर्निर्माण शिकार शैली में किया गया।
मंदिर से दिखते खूबसूरत नज़ारे
मुरलीधर मंदिर में प्रवेश करते ही आपका स्वागत करता है एक नारंगी का सुन्दर वृक्ष और अगर आप सीजन के समय गए हैं तो उसमें लगे संतरों की पहली झलक ही आपका मन खुश कर देती है। संतरे के पेड़ के ठीक सामने मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार है जिसमें प्रवेश करके आप भगवान के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। दर्शनों के बाद बाहर संतरे के पेड़ के बायीं ओर एक खुला चबूतरा बना है जहाँ से सामने की ओर कुछ हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों के अद्भुत नज़ारे दिखाई देते हैं।
इस अद्भुत दृश्य को आप घंटों निहार सकते हैं और दूसरी तरफ हरियाली की मोटी चादर ओढ़े पर्वतों का नज़ारा इस जगह की सुंदरता को कहीं अधिक बढ़ा देते हैं। जब हम यहाँ बैठे थे तब कई फलों के पेड़ों पर लगे रंग-बिरंगे फूलों की पत्तियां तेज़ हवा के साथ उड़कर हमारे पास आ रही थीं। इस खूबसूरत अनुभव को शब्दों में समझाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन इस शानदार जगह पर इतना सुन्दर अनुभव हमेशा के लिए हमारी यादों में शामिल हो गया।
नग्गर कैसल से मुरलीधर मंदिर
नग्गर कैसल यहाँ स्थित लकड़ी और पत्थर से बना एक ऐतिहासिक किला है जिसकी अद्भुत वास्तुकला और यहाँ से दिखने वाले खूबसूरत नज़ारों के लिए आपको इसे जरूर देखना चाहिए साथ ही आप चाहें तो यहाँ कैसल में बने रेस्टोरेंट में ब्रेकफास्ट या लंच भी कर सकते हैं। फिर नग्गर कैसल से कुछ आगे चलकर आप चाहे तो ट्रेक के द्वारा मुरलीधर मंदिर की तरफ बढ़ सकते हैं या फिर कार से भी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
ट्रेक हालाँकि छोटा है लेकिन खड़ी चढ़ाई होने की वजह से थोड़ा थकावट भरा भी है। फिर भी ट्रेक में जंगल से निकलते रास्ते और दिखने वाले शानदार दृश्यों के साथ ट्रेक की थकान आपके उत्साह पर कोई असर नहीं डालने वाली। हालाँकि हम कार से गए थे और हमें ट्रेक वाले रास्ते का पता भी नहीं था तो आपको बता दें कि नग्गर कैसल से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर तक आप सीधे जा सकते हैं फिर चाहें तो अपनी कार पार्क वहीं कर सकते हैं। त्रिपुरा सुंदरी मंदिर से एक लिंक रोड ऊपर की तरफ जाती है जिससे हम मंदिर की ओर बढ़ते हैं।
यहाँ से रोड काफी छोटी है और थोड़ा आगे जाकर रोड की स्थति भी इतनी अच्छी नहीं थीं। अगर सामने से कोई कार आती है तो थोड़ी क्रासिंग में थोड़ी परेशानी हो सकती है अन्यथा आसानी से आप मंदिर तक पहुँच जायेंगे। हालाँकि त्रिपुरा सुंदरी मंदिर से मुरलीधर मंदिर की दूरी करीब 1 किलोमीटर ही है जिसे आप चाहे तो पैदल भी पूरा आसानी से कर सकते हैं।
करीब 1 किलोमीटर का सफर करने पर बायीं ओर एक रोड दिखी जहाँ श्री कृष्ण मंदिर की दिशा दिखाता एक बोर्ड लगा था। यहाँ से मंदिर करीब 100 मीटर की दूरी पर है और मंदिर पहुँचने पर आपको पीछे की तरफ एक पार्किंग भी दिख जाएगी जहाँ आप अपनी कार पार्क कर सकते हैं।
तो अगर मनाली के पास आप किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहाँ प्राकृतिक नज़ारों के साथ आप सुकून से आत्मिक शांति प्राप्त कर सकें तो आपको नग्गर के मुरलीधर कृष्ण मंदिर जरूर जाना चाहिए। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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