अधिकतर लोगों की चाहत होती है कि जब भी सुबह उनकी आंखें खुले तो सामने चमकता हिमालय और लाली बिखेरता सूरज दिखाई पड़े! अपनी इस तमन्ना अगर आप पूरा करना चाहते हैं तो उत्तराखंड का खूबसूरत मुनस्यारी आपको अपने पास बुला रहा है। हिल स्टेशन तो सारे खूबसूरत होते हैं लेकिन हर हिल स्टेशन की अपनी अलग खूबसूरती और विशेषता होती है। उत्तराखंड की चोटी पर बसा मुनस्यारी काफी खूबसूरत है। समुद्र तल से 2300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी को कुदरत का वरदान प्राप्त है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, बर्फीली चोटियां, हरे-भरे खूबसूरत जंगल, हिमालय वस्पतियों और वन्य जीवन के लिए मुनस्यारी विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। मुनस्यारी की खूबसूरती को देखते हुए इसे उत्तराखंड 'मिनी कश्मीर' कहा जाता है।अगर आप भी आने वाले दिनों में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो मुनस्यारी आपको ज़रूर जाना चाहिए। आज इस लेख में हम आपको यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे बताने जा रहे हैं।
खलिया पर्वत पर है यह जन्नत
मुनस्यार दो शब्दों ‘मुन’और ‘स्यार’ से मिलकर बना है। मुन का अर्थ है बर्फ (हिमकण जिसे स्थानीय भाषा में ‘मुण’ भी कहा जाता है) और स्यार का अर्थ है कीचड़। मतलब इस बर्फीले इलाके में बर्फ व कीचड़ के घालमेल की वजह से ही इस शब्द की उत्पत्ति हुई। जिस पर्वत पर यह इलाका बसा है, उसे खलिया पर्वत कहा जाता है।
मनभावन पंचचूली पर्वत
मुनस्यारी में घूमने और देखने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान है पंचचूली पर्वत। इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि यह पांच शिखरों से मिलकर बनी हुई है। यह भी मान्यता है कि महाभारत काल में इसी पर्वत पर पांडवों ने स्वर्गारोहण की शुरुआत की थी। ये भी कहा जाता है कि ये पांच चोटियां इन्हीं पांचों पांडवों का प्रतीक है। बर्फ से ढके इन पर्वतों को देखकर यक़ीनन आप उत्तराखंड की अन्य जगहों पर घूमने का कतई विचार नहीं करेंगे। ये पर्वत सामरिक रूप से भी इंडो-तिब्बत बॉर्डर के लिए काफी महत्व रखता है।
दर्शनीय स्थल कलामुनी टॉप
अगर आप मुनस्यारी जा रहे हैं वहां पर आप कलामुनी टॉप भी घूम सकते हैं। मुनस्यारी से लगभग पंद्रह किलो मीटर की दूरी पर स्थित कलामुनी टॉप यहां की एक प्रमुख जगह है। प्राकृतिक दृश्यों के लिए यह जगह बेहद ही खास है। अगर आप एक पर्वत पर बैठे-बैठे सम्पूर्ण मुनस्यारी के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा उठाना चाहते हैं, तो आपको यहां ज़रूर घूमने जाना चाहिए। यहां जाने के लिए आप मुख्य शहर से ऑटो या टैक्सी लेकर जा सकते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह एक पवित्र जगह भी है क्यूंकि यहां एक मां काली को समर्पित प्राचीन मंदिर भी है।
सबसे ऊंचा ब्रिथी वॉटरफॉल
मुनस्यारी के प्राकृतिक खजानों में से एक है ब्रिथी वॉटरफॉल। ब्रिथी वॉटरफॉल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के पास तेजम से लगभग 14 किमी दूर स्थित है। यह झरना समुद्र तल से 400 फीट ऊपर से गिरता है और यह कलामुनी दर्रे के पास से गुजरता है। ब्रिथी वॉटरफॉल मुनस्यारी से लगभग 35 किमी दूर है और एक छोटे ट्रेक द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मुनस्यारी की यात्रा में आप यहां भी घूमने के लिए जा सकते हैं। अद्भुत दृश्यों के साथ यह वॉटरफॉल मुनस्यारी के चुनिंदा और सबसे खास पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है। यहां कई सैलानी ट्रेकिंग करने के लिए आते रहते हैं। इसके आसपास मौजूद छोटी-छोटी घास और विभिन्न प्रकार के फूल इसे और भी खास बनाते हैं। ब्रिथी वॉटरफॉल कि खास बात है कि यह झरना बारिश हो, गर्मी या फिर सर्दी का मौसम हर समय एक जैसा रहता है। इसका पानी कभी कम नहीं होता है।
खूबसूरत थमरी कुंड
मुनस्यारी शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर स्थित है थमरी कुंड। थमरी कुंड सबसे ताजे पानी की झील भी मानी जाती है। इस झील के बारे में धार्मिक मान्यता है कि जब यहां अधिक दिनों तक बारिश नहीं होती है तो लोग यहां आकर इंद्रदेव की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि बारिश हो सके। इस झील के आसपास मौजूद अल्पाइन के पेड़ इस जगह को और भी खूबसूरत बनाते हैं। कहा जाता है कि इस झील में अक्सर कस्तुरी मृग पानी पीने के लिए आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में कस्तुरी मृग बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। यहां पर आने के लिए भी आपको ट्रेक करना होगा। ट्रेक के माध्यम से मुख्य शहर से इस झील तक पहुंचने के लिए लगभग 8 घंटों का वक्त लग जाता है। इसलिए अगर आप यहां पर आना चाहते हैं तो शहर से सुबह ही निकलें।
आकर्षक महेश्वरी कुंड
मुनस्यारी से कुछ दूर स्थित महेश्वरी कुंड एक प्राचीन झील है, जिसके साथ पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि जब प्रतिशोध लेने के लिए मुनस्यारी के ग्रामीणों ने इस झील को सूखा दिया था तब यक्ष ने उनसे बदला लेने का फैसला किया।
जिसके बाद यह पूरा शहर सूखे की चपेट में आ गया। गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने यक्ष से माफी मांगी। मांफी मांगने की परंपरा का पालन आज भी यहां किया जाता है। महेश्वरी कुंड की पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के अद्भुत रूप पेश करती है।
लुभावना मैडकोट
मुनस्यारी से लगभग 5 किलोमीटर उपर जाने के वाद मैडकोट पड़ता है। मैडकोट अपने गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह की मान्यता है कि अगर इस प्राकृतिक रूप से निकलते गर्म पानी से त्वचा संबंधी रोग, बदन दर्द और गठिया जैसी बीमारियां ठीक हो जाती है। यहां पर काफी शांति रहती है। भीड़भाड़ काफी कम रहती है। शांति में बैठने का मन है तो आप यहां घंटों गुजार सकते हैं। यह खूबसूरत स्थल शहरी भीड़भाड़ से अलग एक शांत परिवेश में स्थित है, जहां सैलानियों का आना बहुत ही अच्छा लगता है। मुनस्यारी से मैडकोट आप कैब सेवा के माध्यम से पहुंच सकते हैं।
टूरिस्ट प्लेस दरकोट
मुनस्यारी से 6 किलोमीटर दूर स्थित दरकोट एक गाँव है जोकि खरीदारी के लिए बहुत लोकप्रिय है। दुकानदारों के लिए यह स्थान स्वर्ग के सामान है। इस गाँव में मिलने वाले पश्मीना शॉल और भेड़ के ऊन से बने कम्बल बहुत प्रसिद्ध है। पर्यटकों के लिए यह स्थान मुनस्यारी के आसपास के शिल्पकारों की कलाओं का प्रदर्शन दिखाने वाला है।
मुनस्यारी घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
मुनस्यारी घूमने जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितम्बर से अक्टूबर महीने के दौरान का माना जाता हैं। हालाकि पर्यटक किसी भी समय इस पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा का आनंद उठा सकते है। गर्मियों के समय पर्यटक यहाँ की शानदार चोटियों पर ट्रेकिंग का मजा ले सकते है।
मुनस्यारी का प्रसिद्ध भोजन
मुनस्यारी छोटा सा गाँव है इसलिए यहाँ ज्यादा रेस्टोरेंट नही है परन्तु मुनस्यारी के ढाबों पर बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन मिलता है। भारतीय और कुमाउनी भोजनों में मुख्य रूप से कुलका (Kulka) बहुत प्रसिद्ध पकवान है। इसके साथ ही मूंगफली, आटे और आलू के व्यंजन बहुत प्रसिद्ध है।
मुनस्यारी में कहाँ रुके ?
मुनस्यारी और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि मुनस्यारी में कई होटल उपलब्ध हैं। जोकि आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट की रेंज में मिल जायेंगे।
इन सबके अलावा सरमोली गांव में करीब 40 होम स्टे भी हैं, जो पर्यटकों को खूब भा रहे हैं। दरअसल, पर्यटकों को ध्यान में रखकर यहां के पारंपरिक घरों को खूबसूरती से विकसित किया गया है।
मुनस्यारी कैसे पहुंचें?
मुनस्यारी जाना है तो सबसे अच्छा है कि आप अपनी गाड़ी से या फिर टैक्सी से जाएं। अगर आपको ट्रेन से जाना है तो काठगोदाम तक आप ट्रेन से जा सकते हैं वहां से मुनस्यारी लगभग 280 किलोमीटर दूरी पर है। काठगोदाम से भी आपको टैक्सी मिल जाएगी। यहां से बसें भी जाती हैं लेकिन यह बसें सीधे मुनस्यारी तक आपको नहीं पहुंचाती हैं। बस आपको अलमोड़ा तक की मिलेगी। अलमोड़ा से आपको मुनस्यारी की अलग बस लेनी पड़ेगी। पंतनगर एअरपोर्ट मुनस्यारी से लगभग 310 किलोमीटर दूर है।
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