मुंबई-पुणे जैसे बड़े शहरों में जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए हम सभी कहीं न कहीं खुद को भी भाग दौड़ भरे जीवन की इस रेस का हिस्सा बना ही लेते हैं। लेकिन ये बात भी हम सभी जानते हैं की इस रेस में भागते-भागते हम सुकून से भरी जिंदगी से भी दूर होते जा रहे हैं।
इसीलिए इस रेस से भरे जीवन में हमें कुछ समय खुद के और परमात्मा के साथ भी जरूर बिताना चाहिए ताकि हम कभी भूलें ना की वास्तव में एक खुशनुमा जिंदगी के मायने क्या हैं। और इसीलिए आज हम आपको पुणे से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आप परमात्मा के करीब खुद के साथ कुछ समय बिता सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं...
बिरला गणपति मंदिर, पुणे
पुणे से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिरला गणपति मंदिर चारों ओर घनी हरियाली के बीच, मुंबई-पुणे की भीड़-भाड़ से कोसों दूर स्थित है। यहाँ एक छोटी पहाड़ी पर करीब 1000 टन वजनी और 72 फ़ीट ऊँची भगवान गणेश जी की बेहद सुन्दर प्रतिमा बनी है जिसके नीचे बैठकर आपको वास्तव में सुकून से भगवान् की गोद में बैठने सा एहसास जरूर होगा। साथ ही अगर आप इस मंदिर तक ना भी जा रहे हों फिर भी अगर आप हाईवे से गुजरते हुए दूर से भगवान गणेश की इस प्रतिमा को देखते हैं तो भी ये अद्भुत दृश्य आपका एक झटके में ही मन मोह लेगा। मंदिर की इस पहाड़ी पर पहुंचकर भी जो चारों ओर का नज़ारा आपको दिखाई देगा वो भी आपकी आँखों के साथ आपके मन को सुकून देने के लिए काफी रहेगा।
विशाल गणेश जी मूर्ति की खास बातें
जैसा की हमने आपको बताया कि गणपति जी की ये विशाल मूर्ति करीब 1000 टन वजनी और 72 फ़ीट ऊँची है। इसे बनाने के लिए सीमेंट, कंक्रीट और तांबा आदि का प्रयोग किया गया है। मूर्ति के नीचे बना सीमेंट का आधार स्थल 54*54*18 फ़ीट का है। आप देख सकते हैं कि इन सभी आयामों में 9 अंक एक कॉमन अंक है और ऐसा इसलिए क्योंकि 9 अंक को एक शुभ अंक के तौर पर देखा जाता है। आपको बता दें कि गणेश जी की प्रतिमा की ऊंचाई 54 फ़ीट है और जिस आधार स्थल पर ये बनी है उसकी ऊंचाई 18 फ़ीट है जिसके साथ इसकी कुल ऊंचाई 72 फ़ीट है। बताया जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण कार्य मातूराम वर्मा और नरेश कुमार वर्मा द्वारा किया गया था जो कि राजस्थान के पिलानी शहर से निवासी हैं। साथ ही बताया जाता है कि यह प्रोजेक्ट बिरला फैमिली के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक था जिसे पूरा करने में 2 वर्षों का समय लगा। इस मंदिर का उद्घाटन जनवरी 2009 में किया गया था।
कैसे पहुंचे?
इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको एन एच 4 यानी पुराना मुंबई-पुणे हाईवे से जाना होगा जिस पर अगर आप पुणे से चलते हैं तो पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पहला टोल क्रॉस करते ही आपको बायीं ओर यह मंदिर दिख जायेगा और अगर आप मुंबई से आ रहे हैं तो करीब 120 किलोमीटर कि दूरी के बाद पुणे से पहले आखिरी टोल से कुछ दूर पहले ही दांयी ओर आपको गणेश जी कि ये विशाल प्रतिमा दिख जाएगी। फिर हाईवे से करीब 100-150 कि दूरी चलकर लेफ्ट मुड़कर आप मंदिर की पार्किंग में पहुंच सकते हैं। वहां अपना वाहन पार्क करके मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको छोटी-छोटी करीब 180 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। छोटी इसलिए क्योंकि वास्तव में इन सीढ़ियों को कम ऊंचाई के साथ बनाया गया है जिससे आपको इन्हें चढ़ने में कोई परेशानी नहीं होने वाली।
मंदिर परिसर में मौजूद सुविधाएँ
मंदिर परिसर में एक बेहद अच्छे से रख रखाव किया हुआ बगीचा है जहाँ आप सुकून से अपनी फैमिली आदि के साथ कुछ समय बिता सकते हैं साथ ही यहाँ बैठने के लिए काफी सारी बेंच भी लगी हैं जो ऊपर से ढ़की हुई भी हैं जिससे आप बारिश में भी यहाँ आसानी से बैठ सकते हैं।
मंदिर में मौजूद पार्किंग यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए काफी रहती है और इसका चार्ज 25 रुपये है। अगर बात करें यहाँ खाने पीने कि सुविधाओं कि तो मंदिर के आस पास आपको खाने कि कोई जगह नहीं मिलेगी लेकिन हाईवे पर आपको खाने पीने कि कई जगह आसानी से मिल जाएँगी।
जाने के लिए बेस्ट समय
इस अद्भुत स्थान पर आप साल में जिस समय भी जायेंगे आपको अच्छा ही लगने वाला है लेकिन फिर भी अगर आप मानसून में जाते हैं तो चारों ओर खूबसूरत पश्चिमी घाटों के साथ मंदिर का नज़ारा वास्तव में बेहद शानदार लगता है। साथ ही मंदिर तक पहुंचकर जब आप घनी हरियाली के बीच दूर से नेशनल हाईवे का सुन्दर नज़ारा देखते हैं तो वो भी आपकी यादों में हमेशा के लिए जुड़ने वाला होता है। इसलिए अगर आप इस मानसून में किसी शार्ट ट्रिप का प्लान कर रहे हैं तो ये एक बेहतरीन जगह है।
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