ये 10 बातें जान लो फिर आप भी कहोगे ये है मुंबई मेरी जान

Tripoto
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दुनिया में कुछ शहर ऐसे होते हैं जहाँ आप सिर्फ काम के लिए जाते हैं। फिर कुछ शहर ऐसे होते हैं जहाँ आप अपने दोस्तों या परिवार से मिलने और उनके साथ समय बिताने जाते हैं। लेकिन हर किसी के लिए कुछ शहर ऐसे होते हैं जहाँ आप सिर्फ रहने या काम करने नहीं बल्कि उन शहरों को तलाशने और महसूस करने जाते हैं। उन शहरों में आपकी बहुत सारी यादें होती हैं जिन्हें आप संजोना चाहते हैं। जिन्हें आपका बार-बार जी लेने का मन करता है। ऐसे खूबसूरत पलों को आप कुछ दिनों के लिए याद करते हैं लेकिन शहरी जिंदगी में वापस आते ही ये लम्हे कहीं पीछे छूटते चले जाते हैं। ऐसे शहरों की आपके जीवन में खास जगह होती है जो इन्हीं अच्छी और बुरी यादों के पिटारे जैसी होती है। उन शहरों में से एक है मुंबई।

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मुंबई में हर इंसान के लिए जगह है। इस शहर में मेहमानों को भी उतना ही अपनापन और प्यार मिलता है जितना कि यहाँ रहने वालों को। लेकिन ये शहर इतना बड़ा है कि यहाँ एक बार आने से आपका मन नहीं भरेगा। मुंबई को अच्छी तरह से महसूस करने के लिए आपको कुछ दिन तो क्या कुछ हफ्ते मुंबई में रहना चाहिए। यहाँ की भीड़, उमस भरी गर्मी और बिन मौसम बारिश का एहसास लेना चाहिए। यकीन मानिए आप एक बार मुंबई आ गए तो आपका वापस जाने का दिल नहीं करेगा।

1. लोकल ट्रेन

देश के सबसे बड़े शहरों में से होने के साथ-साथ ये शहर कुछ खास भी है। मुंबई में कुछ बातें ऐसी है जो शायद आपको किसी और शहर में नहीं मिलेंगी। इनमें सबसे पहला नाम आता है लोकल ट्रेन का। अगर आप शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक कम समय में जाना चाहते हैं तो लोकल ट्रेन से बेहतर ऑप्शन और कोई नहीं है। भीड़ की वजह से शुरू में इन ट्रेनों में सफर करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन कुछ समय बाद आपको इसकी आदत हो जाएगी। मुंबई को चीरकर दौड़ती ये ट्रेनें इस शहर के लोगों के लिए मजबूरी से ज्यादा जरूरत बन चुकी हैं। दुनिया के सबसे बेहतरीन ट्रेन सिस्टम होने के बावजूद मुंबई के लोगों के लिए ये केवल ट्रेन नहीं हैं। क्योंकि ये ट्रेनें केवल कुछ सैकंडों के लिए ही रुकती हैं इसलिए इन ट्रेनों में सफर करने के बाद आपको एक-एक सेकंड की कीमत पता चलती है। रोजाना लगभग 7.2 मिलियन यात्रियों का साधन बन चुकी लोकल में एक बार सफर करना तो बनता है।

2. वड़ा पाव

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श्रेय: लोकल समोसा

मुंबई उन शहरों में से है जहाँ स्ट्रीट फूड को पूजा जाता है। अगर आप चटोरा खाना खाने के शौकीन हैं फिर ये शहर आपको जन्नत जैसा लगेगा। स्वादिष्ट चाट से लेकर गली के कोनों पर मिलने वाली पानी पूरी तक यहाँ आपको वो हर स्वाद मिलेगा जो आपके अंदर बसे फूडी को खुश कर देगा। लेकिन एक डिश ऐसी है जो यकीनन मुंबई की पहचान है। बम्बई का मसालेदार वड़ा पाव फैंसी बर्गर और पिज्जा को बराबर टक्कर देता है। ये एक ऐसी डिश है जो आपको हर थोड़ी दूर पर मिलना लगभग तय है। किसी भी मुंबईकर से उसका पसंदीदा स्ट्रीट फूड पूछ लीजिए यहाँ हर कोई सबसे पहले वड़ा पाव का ही नाम लेगा।

3. संजय गांधी नेशनल पार्क

बोरिवली नेशनल पार्क के नाम से मशहूर ये जगह मुंबई की खास जगहों में से एक है। आंकड़ों की माने तो इस पार्क को देखने हर साल करीब 2 मिलियन लोग आते हैं जिनमें देशी और विदेशी लोग दोनों शामिल हैं। इसी वजह से ये पार्क दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पार्कों की सूची में शामिल है। ये पार्क 104 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पार्क में 2400 साल पुरानी कन्हेरी गुफाएँ हैं जिन्हें चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इसके अलावा आप यहाँ लायन और टाइगर सफारी का मजा ले सकते हैं, बोटिंग कर सकते हैं और टॉय ट्रेन की सवारी भी कर सकते हैं। पार्क की खास बात है इसकी सफारी। मुंबई दुनिया का इकलौता शहर है जहाँ शहर के अंदर ऐसा पार्क है जिसमें आप शेरों को आराम से घूमते हुए देख सकते हैं।

4. बॉलीवुड और मराठा मंदिर में डीडीएलजे

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श्रेय: इंडियटर

फिल्मों की दुनिया में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का विश्वभर में नाम है और इसकी एक वजह भी है। अकेले बॉलीवुड में हर साल लगभग 1000 से भी ज्यादा फिल्में बनाई जाती हैं। दुनिया में शायद ही कोई फिल्मी कीड़ा होगा जिसने बॉलीवुड में बनाई हुई फिल्में नहीं देखी होंगी। भारतीय लोग हर साल लगभग 2.7 बिलियन मूवी टिकट खरीदते हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। फिल्मों के लिए प्यार और दीवानापन मुंबई के हर गली मोहल्ले में साफ दिखाई देता है। कहीं सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर लगे दिखेंगे तो कहीं किसी कैफे की सजावट किसी फिल्म से जुड़ी मिलेगी। केवल यही नहीं लोग अपने चहेते फिल्मी सितारों की एक झलक पाने के लिए घंटों भीड़ और लाइनों में खड़े रहने के लिए तैयार रहते हैं। कुछ सितारों के बंगले तो मुंबई दर्शन टूर में भी दिखाए जाते हैं।

इसके अलावा मुंबई उन चुनिंदा शहरों में से है जो सिंगल स्क्रीन थियेटर वाली परंपरा को जीवित रखने में कामयाब हुआ है। मुंबई का मराठा मंदिर इसमें सबसे पहला नाम है। इस थियेटर ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे फिल्म को 1274 हफ्तों चलाकर रिकॉर्ड भी बनाया है। अगर आप मुंबई में हैं और अगर आप सही जगह पर हैं तो यकीन मानिए आपको बॉलीवुड का स्वाद जरूर मिल जाएगा।

5. आर्ट और कल्चर

सिनेमा, डांस, खाना, हेरिटेज, कल्चर, संगीत, साहित्य, दृश्य कला, आर्किटेक्चर, डिजाइन। आप इनमें से किसी का भी नाम ले लीजिए, अगर आप आर्ट और उससे जुड़ी चीजों के बारे में जानने में रुचि रखते हैं तो आपकी खोज मुंबई के काला घोड़ा फेस्टिवल पर आकर रुकेगी। मुंबई का ये इवेंट सचमुच में किसी त्योहार से कम नहीं है। इस फेस्टिवल का आयोजन काला घोड़ा एसोसिएशन द्वारा हर साल जनवरी और फरवरी के महीनों में किया जाता है। ये एसोसिएशन एक एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठन है जो आर्ट और कल्चर के क्षेत्र में सालों से काम करती रही है।

केवल यही नहीं मुंबई का बाणगंगा टैंक हर साल सर्दियों में एक अद्भुत भारतीय शास्त्रीय संगीत समारोह का आयोजन करता है जो सचमुच में जादुई अनुभव होता है। मुंबई की बात करें और पृथ्वी थियेटर का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। इस थियेटर को अभिनेता शशि कपूर ने अपने स्वर्गीय पिता पृथ्वीराज कपूर की याद में बनवाया था। फिल्मों के अलावा ये थियेटर कई और वर्कशॉप्स की मेजबानी करता है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाती है।

6. पारसी और कोडी समुदाय

मुंबई एक तरह से भारत का कमर्शियल हब है। यहाँ हर समुदाय के लोग साथ मिलकर एक परिवार की तरह रहते हैं। लेकिन मुंबई के कुछ इलाके ऐसे हैं जो खास किसी एक स्पेशल समुदाय के लोगों का घर है। इसमें सबसे पहला नाम आता है पारसी लोगों का। कहते हैं पारसी लोग 1640 में पहली बार मुंबई आए थे जिसके बाद इनमें से कुछ लोग यहीं बस गए। उस समय के बाद आज मुंबई पारसी समुदाय के लोगों का घर है। इस शहर में पारसी कारोबारियों और उनसे जुड़ी संस्कृति की अलग पहचान है जो बाकी सबसे अलग है। केवल यही नहीं मुंबई के कुछ मशहूर जगहों के नाम भी इन्हीं लोगों के नाम पर रखे गए हैं जिसमें नरीमन प्वाइंट भी शामिल है।

क्या आप जानते हैं मुंबई का नाम यहाँ की मछली पकड़ने वाली कोडी समुदाय की एक देवी के नाम पर रखा गया है? मुंबा देवी कोडी समुदाय की प्राचीन देवी का नाम है जिससे मुंबई के पहले दो अक्षरों को लिया गया है। मराठी में आई शब्द का मतलब होता है माँ। इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर इस खूबसूरत शहर का नाम रखा गया है। मुंबई का कोडी समुदाय उनकी पोशाक, उनकी भाषा, उनका खाना और उनकी अलग तरह की जीवनशैली के लिए जाना जाता है। मुंबई का सी फूड का ज्यादातर हिस्सा इन्हीं लोगों की मेहनत की वजह से आता है।

7. सपनों का शहर

मुंबई को सपनों का शहर कहा जाता है। वो सपने जो शायद किसी और शहर में केवल मजाक की तरह देखे जाते होंगे वो सभी इस शहर में आकर सच हो जाते हैं। बस जरूरत होती है तो मेहनत और लगन की। ये शहर हर किसी को सपना देखने की आजादी देता है और उन सपनों का पीछा करने में मदद भी करता है। हर साल करीब 1.7 मिलियन लोग ऐसे ही कुछ सपने लिए मुंबई आते हैं। चाहे आप एक्टर बनने की चाहत रखते हों या क्रिकेटर, अगर आप मुंबई में हैं तो आप अपनी हर ख्वाहिश को पूरा कर सकते हैं।

8. बम्बई की बारिश

आपने ये जवानी है दीवानी फिल्म देखी है? अगर देखी है तो आपको वो सीन ज़रूर याद होगा जिसमें दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर देशी और विदेशी अनुभवों को याद करते हुए खट्टी मीठी नोक झोंक करते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन बम्बई की बारिश का नाम आते ही दोनों कैसे ठहर से जाते हैं। इस शहर की बारिश बिल्कुल वैसा ही एहसास लेकर आती है। उमस और गर्मी के बाद बारिश का मौसम आते ही जैसे पूरा बम्बई झूम उठता है। शहर की फेमस मरीन ड्राइव पर तो जैसे लोगों के उत्सव जैसा माहौल हो जाता है। मौसम ठंडा और खुशनुमा होता है और लोग छुट्टियाँ बिताने के लिए खंडाला और अलीबाग जाना पसंद करते हैं।

9. सरपट दौड़ती जिन्दगी की मिसाल

कहते हैं समय के साथ सब ठीक हो जाता है। गिरकर वापस उठने की ये बात मुंबई से सीखी जा सकती है। 1993 में हुए भयानक विस्फोट हों या 2005 की बाढ़। 2008 के हमला हो या 2011 के बम धमाके, मुंबई वो शहर है जिसमें हर मुसीबत से लड़ने की ताकत है। ये शहर मुसीबत का सामना करना तो जानता ही है लेकिन उसके साथ परेशानी से बाहर निकलकर वापस खड़े होने का जज्बा भी रखता है। हर लड़ाई और हर परेशानी को झेल लेने वाले इस शहर में आत्मविश्वस और एकता की बिल्कुल कमी नहीं है। इस शहर में ऐसा बहुत कुछ है जो लड़ने की हिम्मत देता है।

10. मुंबई डब्बावाला

लगभग 1890 से सफेद कपड़े और पारंपरिक गांधी टोपी पहने मुंबई की 5000 डब्बावलों की इस सेना ने एक तरह से मुंबई के खाने की परेशानी को खत्म कर दिया है। घर से ऑफिस तक बढ़िया और स्वादिष्ट खाना पहुँचें इसका पूरा ध्यान रखने वाली ये टोली रोजाना लगभग 200000 मुंबईकरों की भूख मिटाती है। लेकिन इस रोमांचक कहानी की शुरुआत आखिर कैसे हुई? लगभग 125 सालों पहले एक पारसी बैंकर ऑफिस में घर का बना खाना चाहता था। इसके चलते उसने पहली बार एक डब्बावाले को ये जिम्मेदारी दी। कई और लोगों को उसका ये तरीका पसंद आया जिसके बाद ये एक चेन बनती चली गई। शुरू में ये काम केवल एक व्यक्ति तक सीमित था। लेकिन थोड़े ही समय में ये प्रयास इतना पसंद किया जाने लगा कि आज मुंबई के आधे से ज्यादा लोग अपने खाने के लिए इन्हीं डब्बेवालों पर निर्भर हैं।

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