![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750374_1.jpg.webp)
घूमना इस दुनिया का सबसे खुशनुमा एहसास है। यात्रा में हम सिर्फ पहाड़ों, नदियों और झीलों के सुंदर नजारे नहीं देख रहे होते हैं बल्कि इस दुनिया को देखने का नजारा बदल जाता है। पहले मुझे घूमना पैसे और समय की बर्बादी लगती थी लेकिन जब से घुमक्कड़ी शुरू की है, घूमने के अलावा मुझे कुछ और सूझता ही नहीं है। दिमाग में वही चलता रहता है।
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750467_3.jpg)
पहाड़ तो हर किसी को पसंद होते हैं। शांत और खूबसूरत लंढौर को देखने के बाद हम वापस मसूरी आ गए। अब हमें एक और नई जगह पर जाना था। हम फिर से स्कूटी से मसूरी से बाहर निकलकर एक नये रास्ते पर चल पड़े। ये रास्ता हमें मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट ट्रेक की ओर ले जा रहा था। मसूरी के लाइब्रेरी चौक से ये जगह 7-8 किमी. की दूरी पर है। हमारे पास स्कूटी थी सो हमें ज्यादा समय नहीं लगने वाला था।
हाथीपांव
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750619_gopr0908.jpg)
हम छोटे-से रास्ते से आगे बढ़े जा रहे थे। जहां हमें दिक्कत आती, हम स्थानीय लोग से पूछ लेते। कुछ देर बाद हम खूबसूरत रास्ते पर थे। जहां लोगों के कम घर, कम होटल और लोगों की भीड़ नहीं थी। ऐसे रास्तों पर चलना हमेशा सुकून का एहसास कराता है। बीच-बीच में कुछ-कुछ रास्ता भी खराब था। इस ट्रेक का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर पड़ा है जो 1830 में भारत आया था।
कुछ देर बाद हम एक ऐसी जगह पर पहुंचे, जहां कुछ दुकानें थीं और खूब सारी गाड़ी रखी हुईं थीं। इस जगह का नाम है, हाथी पांव। इसके आगे गाड़ियां नहीं जाती हैं। चारों तरफ घन जंगल और हरा-भरा मैदान था और कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। हमने यहां अपनी गाड़ी रखी और इस छोटे-से ट्रेक को करने के लिए निकल पड़े।
ट्रेक करें
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750833_gopr0941.jpg)
मैंने आखिरी बार 3 साल पहले केदारकंठा का ट्रेक किया था। उस ट्रेक में तो आनंद ही आ गया था। जॉर्ज एवरेस्ट तक जाने के लिए डिजाइनदार पत्थर का रास्ता भी बना हुआ था और एक तरफ लोहे की रेलिंग भी लगी हुई थी। हम इसी रास्ते पर बढ़ते जा रहे थे। हेरीटेज पार्क तक चढ़ाई बिल्कुल आसान थी। हम बातें करते-करते आराम से इस पक्के रास्ते को पार गये।
पहले हम सोच रहे थे कि 1 किमी. का जो ये रास्ता है बस इतनी ही चढ़ाई करनी है लेकिन जब हम खुली जगह पर पहुंचे तो पता चला कि अभी तो लंबी चढ़ाई है। अब रास्ता भी बदल गया था और नजारे भी बदल गये थे। शुरुआत में कुछ दुकानें भी हैं। जहां मैगी से लेकर खाने-पीने का सामान मिल रहा था। हम इसको नजरंदाज करके आगे बढ़ गये।
जॉर्ज एवरेस्ट ट्रेक
दुकानें से आगे बढ़े तो पहले आसपास चीड़ के पेड़ दिखाई दिए और फिर हरे-भरे जंगल। दूर-दूर हरे-भरे पहाड़ दिखाई दे रहे थे। ऐसे खूबसूरत नजारों के लिए इस छोटे-से ट्रेक को करना खल नहीं रहा था। ट्रेक करने वाले कई सारे लोग थे लेकिन इतनी भीड़ नहीं थी कि रास्ता भर गया हो। हम पहाड़ों के सुंदर और लुभावने नजारों को देखते हुए पतले से रास्ते पर बढ़े जा रहे थे।
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750929_gopr0936.jpg)
हम थोड़ा चल रहे थे और फिर रूककर आसपास के दृश्यों को निहार रहे थे। हमें कहीं जाने की जल्दी भी नहीं थी इसलिए आराम-आराम से आगे बढ़ रहे थे। कुछ देर बाद सीढ़ियां आ गईं, जिन पर फिसलनदार छोटे-छोटे कंकड़ पड़े हुए थे। कुछ देर मैं उस जगह पर पहुंचा जहां रंग-बिरंगे झंडों पर कुछ मंत्र लिखे हुए थे। पहाड़ों में घूमने वली ज्यादातर जगहों पर ये झंडे जरूर होते हैं।
सबसे ऊंची जगह
कुछ देर की चढ़ाई के बाद हम जॉर्ज एवरेस्ट की चोटी पर थे। मसूरी की सबसे ऊंची जगह से सबसे खूबसूरत नजारे को देख रहे थे। ऊंचाई पर पहुंचकर सबसे कुछ छोटा और खूबसूरत लगने लगता है। यहां से दूर-दूर तक सिर्फ हरियाली और पहाड़ दिखाई दे रहे थे। हमारे साथ चलते हुए एक कुत्ता भी यहां पर आ गया था। यहां मैं कुछ देर तक बैठा रहा। पहाड़ की ऊंची जगह पर बैठना वाकई अच्छा लगता है।
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750771_2.jpg)
मसूरी का ये ट्रेक बिल्कुल भी कठिन नहीं था। मैं आराम से इस ट्रेक को कर गया लेकिन इस जगह पर आकर खराब भी नहीं लग रहा था। लुभावने नजारों ने मेरा दिन बना दिया। कुछ देर ठहरने के बाद हम नीचे उतर आये। पहले हम हाथीपांव पहुंचे और फिर वहां से मसूरी। शाम हो गई थी और मेरे काम करने का समय हो गया था। दोस्त की छुट्टी थी, सो वो मसूरी की अन्य जगहों को देखने के लिए निकल गया।
मसूरी में एक और दिन
हमने एक और दिन मसूरी में बिताया लेकिन इस दिन हम मसूरी शहर में ही घूमे। पहले हमने एक छोटी-सी दुकान पर मैगी खाई जोकि बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। फिर हमने मसूरी को पैदल नापा। लाइब्रेरी चौक पर बनी लाइब्रेरी में भी गये लेकिन वहां जाकर पता चला कि लाइब्रेरी में वही लोग जा सकते हैं जिनके पास मेंबरशिप हो। हम कुछ देर के लिए मेंबरशिप तो नहीं लेने वाले थे।
![Photo of मसूरी के नजदीक इस ट्रेक ने मेरी उत्तराखंड यात्रा को सुंदर से लाजवाब कर दिया by Rishabh Dev](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/Image/1653750829_4.jpg)
मसूरी भीड़भाड़ वाला शहर है लेकिन शहर से बाहर बहुत खूबसूरती है। मेरा तो मानना है कि मुझे तो हर छोटी और लोकप्रिय जगह की यात्रा करनी है। मैं इससे पहले एक बार मसूरी कई साल पहले आया था लेकिन तब न इतनी समझ थी और न ही घूमने का बहुत शौक। अब तो हर रोज एक नये सफर पर जाने का मन करता है।
क्या आपने उत्तराखंड के मसूरी की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।