अभी हाल ही में खबर आयी थी, कि समिट के रास्ते में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वालों का जाम लग गया है।
हुआ यूँ कि मौसम खुलने पर मई-जून में चढ़ाई करने वालों का झुण्ड माउंट एवरेस्ट पर पहुँच गया। समिट तक पहुँचने के लिए एवरेस्ट के रास्ते में एक रिज को पार करना पड़ता है, जिसके लिए सिर्फ एक सीढ़ी लगी होती है।
तो अब जो समूह समिट फ़तेह करके नीचे उतर रहा था, वो उस सीढ़ी तक पहुँचने पर ऊपर चढ़ाई करने जा रहे लोगों के हुजूम से टकरा गए।
एक-एक करके रस्सी इस्तेमाल करने पर नीचे जा रहे लोगों और ऊपर चढ़ रहे 100 लोगों का जाम सा लग गया। इंतज़ार कर रहे लोगों के ऑक्सीजन सिलेंडर ख़त्म होने लगे और कुछ थकान के कारण हिम्मत हार गए।
इस जाम में फंस कर 11 लोग अपनी जान गवाँ बैठे।
आंकड़ों की मानें तो पिछले कई दशकों के मुकाबले साल 2019 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वालों की सबसे ज़्यादा मौतें हुई है।
इस भयंकर त्रासदी को पूरी दुनिया ने देखा, और इसकी भीषण भर्त्सना भी की ; जिसके बाद नेपाल पर्यटन बोर्ड ने सरकारी अफसरों और चुनिंदा पर्वतारोहियों का एक पैनल तैयार किया है। इस पैनल ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वालों के लिए कुछ अहम फैसले लिए हैं।
पहला ये कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का परमिट उन्हीं लोगों को दिया जायेगा जिन्होनें कम-से-कम 6,500 मीटर यानी 21,325 फ़ीट की किसी नेपाली चोटी की चढ़ाई कर रखी हो।
चढ़ाई करने वालों को अपनी शारीरिक फिटनेस और स्वास्थ्य के सर्टिफिकेट भी जमा करवाने होंगे। चढ़ाई करने के लिए परमिट मांगने वालों को ऊँची चढ़ाई करने की ट्रेनिंग लेना भी अनिवार्य किया जाएगा।
चढ़ने वाले के साथ में एक प्रशिक्षित शेरपा का होना भी ज़रूरी है।
मगर लोगों के हिसाब से जब तक नेपाल पर्यटन विभाग चढ़ने वालों को सिर्फ 11,000 डॉलर में चढ़ने की परमिट देता रहेगा, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वालों की तादात यूँ ही बढ़ती रहेगी।
इस पर विचार करते हुए पैनल के सदस्यों ने एवरेस्ट पर चढ़ाई के परमिट की कीमत 35,000 डॉलर और 8,000 मीटर से ऊँची चोटी के परमिट की कीमत 20,000 डॉलर करने की योजना बनायी है।
दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों में नेपाल का नाम भी आता है। दुनिया की 14 सबसे ऊँची चोटियों में से 8 नेपाल में हैं। तो यहाँ चढ़ाई के लिए परमिट लेने से कमाई हो जाती है, और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। इस साल नेपाल ने 381 परमिटों को मंज़ूरी दी थी।
ऐसे में माउंट एवरेस्ट का व्यवसायीकरण हो गया है, कहना गलत नहीं होगा। इस व्यवसायीकरण के चलते आने वाले सालों में 2019 जैसे कई जाम लगेंगे, ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।