ये ट्रेक उत्तराखंड के उत्तरकाशी में है।भारत-चीन सीमा से लगा यह ट्रैक भारतीयों ही नहीं, विदेशियों की भी विशेष पसंद है। हालांकि, इनर लाइन क्षेत्र में होने के कारण चुनिंदा विदेशी पर्यटकों को ही अनुमति मिल पाती। समुद्रतल से 5980 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री धाम से बदरीनाथ को जोडऩे वाले इस ट्रैक पर हर सीजन में बहुत से लोग अपनी जान तक गवा देते हैं, लेकिन फिर भी इस ट्रेक का क्रेज आज तक कम नहीं हुआ है।इस ट्रैक पर भारत की नामचीन चोटियों में शामिल शिवलिग, खर्चकुंड, भागीरथी-प्रथम, द्वितीय व तृतीय, केदारडोम, वासुकी पर्वत, सतोपंथ, चौखंभा, माणा पीक सहित कई प्रसिद्ध चोटियों का दीदार होता है। 80 फीसद बर्फ से ढके इस ट्रैक का सफर पूरा करने में 12 दिन का समय लगता है।
ये ट्रेक भी उत्तराखंड में है,जो उत्तरकाशी जिले को रुद्रप्रयाग जिले से जोड़ता है।ऑडेन का कर्नल भारत में रुदुगैरा घाटी और भिलंगना घाटी को जोड़ने वाला एक उच्च ऊंचाई वाला पहाड़ी दर्रा है। यह 5,490 मीटर (18,010 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और उत्तर-पश्चिम में गंगोत्री III (6580 मीटर) चोटी से आने वाली रिज और पूर्व में जोगिन I (6465 मीटर) से आने वाली रिज को जोड़ता है। आप इस ट्रेक के जरिये गंगोत्री से केदारनाथ जा सकते हैं लेकिन इसलिए लिए आपको घातक जानलेवा खतलिंग ग्लेशियर पार करना होगा। जहाँ हर कदम पर मौत का खतरा बना रहता है।
ये ट्रेक उत्तराखंड के चमोली जिले में है।रोंती सैड्डल ट्रेक बहुत कम लोगों को पता है। ये ट्रेक जितना खूबसूरत है उतना ही ख़तरनाक भी। नंदा घूँटी और त्रिशूल पर्वत हमेशा इस ट्रेक पर आपके साथ साथ चलता है। इस ट्रेक के जरिये आप वान गाँव से रूपकुण्ड, जूनारागली, होमकुण्ड होते, त्रिशूल और नंदा घूँटी पर्वत के बीच से होते हुए सीधे जोशीमठ निकल सकते हैं। ये ट्रेक आपको 5200 मीटर की हाइट तक ले जाता है।
यह किला जो जमीन पर नहीं बल्कि एक खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित है,और यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है क्योंकि इसकी कई जगह चढ़ाई 90 डिग्री तक है।
यह पहाड़ महाराष्ट्र के नासिक में कसारा से 60 किमी दूर है और इसकी चोटी पर स्थित किले को हर्षगढ़ किले या हरिहर किले के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस किले की चढ़ाई को हिमालय के पर्वतारोहियों द्वारा दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रैक माना जाता है।
यह पहाड़ नीचे से चौकोर दिखाई देता है, मगर इसका शेप प्रिज्म जैसा है। यह दो तरफ से 90 डिग्री सीधा और तीसरी तरफ 75 की डिग्री पर है। वहीं किला 170 मीटर की ऊंचाई पर बना है।
इस पर चढने के लिए एक मीटर चौड़ी 117 सीढियां बनी हैं। ट्रैक चिमनी स्टाइल में है, लगभग 50 सीढियां चढ़ने के बाद मुख्य द्वार, महादरवाजा आता है, जो आज भी बहुत अच्छी स्थिति में है।
यहां तक चढ़ने के बाद आगे की सीढियां एक चट्टान के अंदर से होकर जाती हैं और ये आपको किले के शीर्ष पर पहुंचा देती हैं, जहां हनुमान और शिव के छोटे मंदिर हैंं। वहीं मंदिर के पास एक छोटा तालाब भी है, जहां का पानी इतना साफ है कि पीया भी जा सकता है। यहां से आगे जाने पर दो कमरों का एक छोटा महल दिखता है, जिसमें 10-12 लोग रुक सकते हैं।
यहां से बासगढ़ किला, उतावड़ पीक और ब्रह्मा हिल्स का खूबसूरत नजारा दिखता है। अगर मौसम साफ हो तो इसके दक्षिण में अवध-पट्टा, कालासुबई रेंज और उत्तर में सातमाला, शैलबारी रेंज भी दिखाई देती हैं। यह किला वैतर्ना रेंज पर बना है।
धूमधार कांडी के ट्रेक बहुत ही लम्बा और डरावना ट्रेक है।ये ट्रेक उत्तराखंड के उत्तरकाशी में है।इस रास्ते पर पांडव शिव की तलाश में निकले थे। कहा जाता है की इस ट्रेक पर पारियों का वास है और किसी पर भी अगर पारियों का दिल आ जाय तो वो उसको उठा कर ले जाती हैं। ये दर्रा कालानाग और स्वर्गरोहिनी पर्वत के बीच स्थित है। इस पास को क्रॉस करने का रास्ता हद से ज्यादा डरावना है और हिंदर्रारों से भरा पड़ा है। आपको बहुत से ग्लेशियर पार करने पड़ेंगे।
Three passes trek -
Three passes trek- नेपाल के सोलोखम्बू जिले में है। ये ट्रेक एवेरेस्ट रीजन में पड़ता है ट्रेक बहुत ज्यादा खूबसूरत है। जहाँ खूबसूरती होती है, वहाँ खतरा तो होना ही है। जैसे की नाम से ही लग रहा है इस खरतनाक ट्रेक में आपको 3 दर्रे क्रॉस करने पड़ते हैं। कोमांगला पास, चोला पास और रंजोला पास। कोमांगला पास और चोला पास दुनियाँ के सबसे खरतनाक दर्रो में से एक हैं।
Snowman trek - स्नोमैन ट्रेक दुनिया में सबसे कठिन और कठिन ट्रेक है, लेकिन सभी ट्रेक्स में सबसे खूबसूरत और फायदेमंद भी है। यह ट्रेक शारीरिक रूप केवल बहुत सक्रिय, स्वस्थ और भावुक ट्रेकर्स के लिए है। ट्रेक तेरह से अधिक ऊंचे पहाड़ी दर्रों, सुदूर उच्चभूमि बस्तियों को पार करते हुए, भूटान के महान बर्फ से ढके पहाड़ों, शांत फ़िरोज़ा नीली हरी झीलों के शानदार दृश्यों के साथ बर्फ पर डेरा डाले हुए है और लगभग सभी अलग-अलग लुनाना क्षेत्र की खोज करता है। लुनाना भूटान के उत्तरी हाइलैंड्स (तिब्बत की सीमा से लगे) में है और इस क्षेत्र को 'द डार्क इनर रीजन' या 'द ब्लैक शीप' भी कहा जाता है। किंवदंती यह है कि यह क्षेत्र 7 तिब्बती भाइयों की आत्माओं का घर है जो युद्ध में हार गए थे और लुनाना क्षेत्र में और उसके आसपास बस गए थे और उनकी आत्माओं की अभी भी लुनाना के लोगों द्वारा पूजा की जाती है, और बदले में ये आत्माएं रक्षा करती हैं।
Sherpani col -
शेरपानी कोल दुनियाँ का सबसे कठिन ट्रेक कहा जा सकता है। ये ट्रेक नेपाल में है। ये ट्रेक आपको मकालू बेस कैंप से एवेरेस्ट बेस कैंप ले जाता है। ये ट्रेक 6000 मीटर से ऊपर ले कर जाता है। इस ट्रेक को करने के लिए आपको mountaineering की बेसिक स्किल आना बहुत जरुरी है। इस ट्रेक पर मरने वालों की संख्या काफी है।