क्या आपको पता है भारत के मूनलैंड के बारे में यहां रही पूरी जानकारी

Tripoto
23rd Feb 2024
Photo of क्या आपको पता है भारत के मूनलैंड के बारे में यहां रही पूरी जानकारी by Priya Yadav


        हर जगह की अपनी एक खासियत होती है जो उसे खास बनाती है।जिसके कारण वो लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करती है।कुछ सांस्कृतिक विशिष्टता के कारण तो कुछ ऐतिहासिक विशिष्टता के कारण और कुछ अपनी प्राकृतिक विशेषता के कारण सभी को अपनी तरफ आकर्षित करती है। आज हम आपको एक ऐसे ही विशेष स्थान के विषय में बताएंगे जो अपनी भागौलिक परिस्थितियों के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है,जिसे सब "भारत के मूनलैंड" के नाम से जानते है।तो आइए जानते है इस अनोखे जगह के बारे में।

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लामायुरू

लामायुरू जिसे भारत का मूनलैंड के रूप में जाना जाता है।ऐसा उसकी चंद्रमा की तरह ऊबड़ खाबड़ संरचना के कारण ही उसे यह नाम दिया गया है।लद्दाख में लेह से लगभग 127 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव है लामायुरू यही पर स्थित है मूनलैंड।कहते है इस स्थान पर पहले एक झील हुआ करती थी जो बाद में सुख गई । यहां की पीली और सफेद मिट्टी जो हुबहू चांद के सतह की तरह ही दिखती है।माना जाता है कि इसकी स्थापना 11 वी शताब्दी में की गई थी।जब यहां स्थित झील सुख गई तो महासिद्धाचार्य नरोपा नामक विद्वान ने यहां एक मठ की स्थापना की ।माना जाता है की पूर्णिमा के दिन जब चांद की रोशनी यहां की मिट्टी पर पड़ती है तो यह स्थान भी चांद के जैसे ही चमक उठता है इसी कारण इसे मूनलैंड की संज्ञा दी गई है।

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लामायुरू के मुख्य आकर्षण

लामायरू समुद्र तल से 3,510 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा सा गांव है जो अपनी चंद्रमा की पृष्ठभूमि के कारण प्रसिद्ध है।पर इस गांव में और क्या क्या है जो आप देख सकते है।

लामायुरू मठ

लामायरू के सबसे मुख्य आकर्षणों में से एक है वहां का सबसे पुराना बौद्ध मठ लामायरु मठ।माना जाना है इस मठ की स्थापना 11 वी शताब्दी में की गई थी जिसका जिक्र पहले ही बौद्ध ग्रंथों में किया जा चुका था कि एक झील के सूखने के बाद वहां एक मठ का निर्माण किया जाएगा।मूल रूप से इस मठ में पांच इमारतें थी लेकिन अब बस एक ही इमारत रह गई है।इस मठ में पहले लगभग 400 भिक्षु रहा करते थे जिनकी संख्या अब मात्र 150 ही रह गई है।मठ में आप प्रार्थना सभा में शामिल होकर शांति के कुछ पल व्यतीत कर सकते है।

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लामायुरू के आसपास ट्रेक करें

यदि आप उन पर्यटकों में से एक है जो बाहरी गतिविधियों में रुचि रखते हैं, तो आपको  लामायुरू के आसपास ट्रैकिंग पर जाना चाहिए ।आप चाहे तो  लामायुरू से दारचा तक की यात्रा पर जा सकते है जिसमे लगभग 18-20 दिन लगते हैं। इसके अलावा आप लामायुरू से वानला तक भी ट्रैकिंग कर सकते हैं, जिसे पांच दिनों के भीतर पूरा किया जा सकता है।ट्रेकिंग के दौरान आप लद्दाख के सौंदर्य को अपने कैमरे में क़ैद कर सकते हैं।

मेडिटेशन हिल

मूनलैंड के नाम से मशहूर इस जगह की असली खूबसूरती अगर आप देखना चाहते है तो आपको मेडिटेशन हिल पर जाना चाहिए जहां से इस पूरे इलाके का इतना खूबसूरत व्यू आपको दिखाई देगा की आपकी आंखे खुली रह जाएंगी।

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अलची और स्टाकना मठ

लामायरू मठ के पास ही दो और मठ है इनका अन्वेषण आपको अवश्य करना चाहिए।अलची और स्टाकना मठ ये दोनो ही मठ सिंधी नदी के के किनारे पर स्थित है।स्टाकना मठ को स्टाकना गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है।यह मठ एक पहाड़ी पर स्थित है जोकि सिद्धू घाटी के मनोरम दृश्य को प्रस्तुत करता है।मठ में प्रार्थना कक्ष के साथ ही साथ एक संग्रहालय भी है जहां बौद्ध कलाकृतियों को सहेजा गया है।

लामायुरू के मेले और त्यौहार

लामायरू अपने खास उत्सव और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है।यहां प्रत्येक वर्ष युरु कब्ग्यात नाम का उत्सव बड़े ही धूम धाम से लामायरू मठ में मनाया जाता है ।दो दिन तक चलने वाला यह उत्सव जुलाई- अगस्त के महीने में मनाया जाता है।इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है लामाओ द्वारा किया गया मुखौटा नृत्य।इसके अलावा इस त्यौहार में पुतला भी जलाया जाता है ।माना जाता है कि इससे व्यक्ति के अंदर के अहंकार और बुराइयों का नाश होता है।इसके अलावा यहां एक और त्यौहार हेमिस त्से चुब है जो साल के दूसरे महीने में मनाया जाता है जिसमे कई प्रकार के अनुष्ठान किए जाते है। दोनो ही त्यौहारों के दौरान यहां मेले का आयोजन किया जाता है।

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लामायरू जाने का सबसे अच्छा समय

लामायरू जाने का सबसे अच्छा समय मानसून का होता है यह स्थान काफी ऊंचाई पर स्थित होने के कारण सर्दियों में यहां कड़के की सर्दी पड़ती है।जिस कारण यहां रह पाना मुश्किल हो जाता है।मानसून के दौरान भी यहां हल्की हल्की ठंड पड़ती है तो अपने गर्म कपड़े साथ में लाना न भूले।साथ ही इस समय आने से आप यहां के त्यौहारों का लुफ्त भी उठा पाएंगे।

कैसे जाएं

हवाई मार्ग से

लामायरू लेह से 127 किमी की दूरी पर लेह-श्रीनगर राजमार्ग पर स्थित है।यदि आप यहां हवाई मार्ग से जाना चाहते है तो यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कुशोक बकुला रिनपोछे हवाई अड्डा, लेह है। यहां से आगे आप बस टैक्सी या कैब की सहायता से जा सकते है।

ट्रेन से

अगर आप लामायुरू से जाना चाहते है तो यहां का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है, जो 685 किलोमीटर दूर है।आप रेलवे स्टेशन से श्रीनगर लेह राजमार्ग पर लामायुरू तक टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। 

सड़क मार्ग से

यदि आप लामायरू सड़क मार्ग से जाना चाहते है तो आपको श्रीनगर-कारगिल-लेह या मनाली-लेह सड़क मार्ग से वहां पहुंचना होगा।

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