मॉनसून का इंतज़ार कौन नहीं करता है! जब धरती गर्मी से तपती रहती है तो वो मॉनसून ही है जो झोली भर खुशियाँ लेकर आता है। इसको लेकर पुराने समय से लेकर आजतक कई किस्से, गीत लिखे गए जिससे पता चलता है कि हमारे जीवन को मॉनसून कितना गुलज़ार करता आया है। कवियों, लेखकों ने जहाँ एक ओर बारिश को लेकर अपनी कलम चलाई तो वही एक ऐसा राजा हुआ जिसके मॉनसून प्रेम ने नई इबारत लिख डाली।
जी हाँ! ये राजा कोई और नहीं बल्कि अपने राजस्थान के उदयपुर से ताल्लुक रखता है जिसने वहाँ बादलों और बारिश की छटा को देखने के लिए पूरा किला ही बना डाला। उदयपुर स्थित इस किले को आज भी लोग बड़े दिलचस्पी से देखने आते हैं, जिसे 'मॉनसून फोर्ट' भी कहा जाता है। मॉनसून के इस दौर में मॉनसून फोर्ट के बारे में बताना भी बेहद रोमांचकारी जान पड़ता है।
मॉनसून फोर्ट बनने की कहानी
सज्जनगढ़ किला जो कि अब 'मॉनसून फोर्ट' के नाम से विख्यात हो गया है, उदयपुर स्थित एक राजमहल है। ये अरावली के बंसदारा चोटी पर स्थित है जिसकी ऊँचाई समुद्र स्तर से 944 मीटर की है। महाराजा सज्जन सिंह ने अपने बादलों और बारिश के प्रेम की वजह से इस किले को 1884 में बनवाया था। दरअसल वो इस ऊँचाई से बादल को बारिश करते निहारना चाहते थे। सफ़ेद संगमरमर का ये महल आज भी आपका मन मोह लेता है। महल को बनाने में कारीगरों ने फूलों और पत्तियों को स्तम्भों पर उकेरा है। यहाँ टूरिस्ट पिछोला झील के साथ ही ऊँचाई से ग्रामीण इलाकों के मनोहारी दृश्य को देखकर आनंदित हो जाते हैं।
बता दें कि सज्जनसिंह ने भले इसकी शुरुआत की लेकिन उनकी अचानक मृत्यु से इसे पूरा करवाने में असफल रहे। बाद में उनके उत्तराधिकारी महाराज फ़तेह सिंह ने इस महल के निर्माण को पूरा करवाया। आजकल नौ मंजिला ये इमारत न केवल टूरिस्टों को आकर्षित करता है बल्कि खगोलीय अनुसंधानों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है। हालांकि सज्जन सिंह ने खूबसूरती निहारने के लिए ही नहीं बल्कि प्रजा की भलाई को भी ध्यान में रखकर इसकी योजना बनाई थी। वे यहाँ से बादलों की स्थिति देखकर बारिश का पूर्वानुमान लगा सकते थे।
दिलचस्प बात है कि यहाँ बारिश की पहली बूंद पड़ती है। उदयपुर आने वाले टूरिस्ट यहाँ न आएँ ऐसा अमूमन होता नहीं। मॉनसून ट्रिप पर जो लोग होते हैं, उनके लिए तो ये मुख्य आकर्षण की तरह ही है। राजपरिवार के लोग मानसून के दिनों में यहाँ डेरा डाला करते थे।
आज मैं ऊपर, आसमां नीचे
ठीक पढ़ा आपने! बॉलीवुड गाने के इस बोल की तरह ही आपको उदयपुर का किला बेहतरीन अनुभूति देता है। यहाँ से बादलों को देखने के साथ ही झील का नज़ारा देखते ही बनता है। पिछोला झील के किनारे ही उदयपुर शहर बसा हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस जमाने में भी लोग पर्यावरण को लेकर कितना कुछ सोचते थे। वैसे राजस्थान सदियों से जलसंकट से जूझता रहा है। पिछोला झील जो कि मानव निर्मित है, इस बात की गवाह है कि इतिहास भले युद्धों से भरे पड़े हों लेकिन राजाओं ने कभी निर्माण और जनजीवन के बारे में सोचना नहीं छोड़ा।
मॉनसून किले से आप स्पष्ट देखेंगे कि कैसे बादल जल भरकर लाता है और झील को जीवन प्रदान करता है। आप जीवन की इस सच्चाई से यहाँ वाकिफ होंगे कि प्रकृति ने हमारे लिए कितने प्यार से सारे इंतजाम कर रखे हैं!
इन नजारों का आनंद उठाएँ
ऊँचाई से नीचे निहारने के साथ ही आप पिछोला झील में नाव की सवारी करते हुए ऊँचाई पर महल को देख सकते हैं। यहाँ से भी महल देखते ही बनता है। मॉनसून फोर्ट के आसपास के नज़ारों में झील का अपना महत्व है। पिछोला झील पर जो चार द्वीप हैं, जग निवास (लेक पैलेस), जग मंदिर, मोहन मंदिर और आरसी विलास हो आएँ। यहाँ कई तरह के पक्षियों की प्रजातियों को देखा जा सकता है जिनमें गुच्छेदार बतख, कूट, इगरेट्स, टर्न्स, किंगफिशर आदि प्रमुख हैं।
महल जाने के लिए सज्जन सिंह अभयारण्य से होकर जाना होता है। दरअसल ये अभयारण्य महल के चारों तरफ फैला हुआ है। इसका निर्माण 1987 में किया गया। 5.19 वर्ग कि.मी. में फैला ये अभयारण्य पूरी तरह से संरक्षित है जिसके चारों ओर कंक्रीट की दीवार है। ये जगह कई युद्धों के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। अब भी पुराने तोप आदि यहाँ देखने को मिल सकते हैं। अभयारण्य में बाघ, नीलगाय, सांभर हिरण, जंगली सूअर, हाइना, पैंथर्स और गीदड़ों को रखा गया है। लिहाजा प्रकृति से इस निकटता का भी आनंद लें। अपनी खूबसूरती और लोकेशन की वजह से यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।
मॉनसून ट्रिप के लिए पर्फेक्ट
अमूमन लोग गर्मी में यहाँ की यात्रा से बचते हैं तो वहीं सदियों में जाना चाहते हैं। मॉनसून ट्रैवलरों के लिए तो मॉनसून ही सबसे पर्फेक्ट समय हो सकता है। मॉनसून फोर्ट को तो मॉनसून में देखने का जो मज़ा है वो दूसरे मौसम में कहां! हालांकि मॉनसून के दौरान भी यहाँ उतनी ज्यादा वर्षा तो होती नहीं है जिससे कि कोई ख़ास समस्या हो। लिहाजा ट्रिप की प्लानिंग अभी आप कर सकते हैं!
बताते चलें कि मॉनसून फोर्ट एक 5 सितारा होटल के रूप में कार्य करता है। इसे सुंदर शीशे, गुलाबी पत्थरों और फूलों से सजे कमरों के लिए जाना जाता है। उदयपुर का मुकुटमणि कहा जाने वाला ये किला शहर से 5 कि.मी. पश्चिम में पड़ता है। सप्ताह के सभी दिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक ये टूरिस्टों के लिए खुला रहता है।