ये मॉनसून का समय है और पहाड़ों में बहुत भारी बारिश हो रही है। मॉनसून के मौसम में पहाड़ों पर भारी बारिश की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मैंने सुना है कि बारिश की वजह से रास्ते उखड़ जाते हैं, टांसपोर्ट तक बंद हो जाता है। ऐसे जगह पर रहने वाले लोग बारिश के समय खुश कम और परेशानियों के लिए पहले से तैयार रहते हैं। जब पहाड़ों में बारिश होती है तो कहा जाता है कि इस समय यहाँ नहीं आना चाहिए। लेकिन बारिश ही तो पहाड़ों को खूबसूरती देती है। इस समय पहाड़ सबसे खूबसूरत लगता है। मैं भी पहाड़ों में उन लोगों के साथ रहना चाहता था और देखना चाहता था कि बारिश के दौरान किन-किन मुश्किलों से टकराना पड़ता है। मैंने हिमालय की तलहटी में जाने का फैसला लिया। मैंने इसके लिए ऐसी जगह चुनी जहाँ बहुत बारिश हो रही थी। वो जगह थी उत्तराखंड का फेमस हिल स्टेशन, लैंसडाउन। बारिश दिखने में भले ही कितनी अच्छी लगती हो लेकिन जब बारिश में पहाड़ों में पैर बढ़ाने होते हैं तो ये बहुत ही मुश्किल काम होता है। लैंसडाउन जिसके बारे में कहा जाता है कि ये बेहद खूबसूरत है। यहाँ सभी बर्फ देखने आते हैं लेकिन मॉनसून के समय भी ये जगह बेहद खूबसूरत लगती है।
शनिवार की सुबह 5 बजे मैंने दिल्ली छोड़ा, उस समय मौसम पूरी तरह से उमस भरा था। दिल्ली ऐसी ही है यहाँ बारिश ठंडक की जगह उमस देती है। अगर आप अपनी गाड़ी से लैंसडाउन जा रहे हैं तो सिर्फ 5 घंटे की डाइव में ही पहुँच जाएँगे। इसलिए शुक्रवार की रात को लैंसडाउन के लिए निकलना कोई तुक नहीं बैठता। इससे अच्छा ये है कि आप शनिवार की सुबह दिल्ली से निकल जाएं और सुबह के 10 बजे तक लैंसडाउन पहुँच जाओगे। अगर आप डाइव करके नहीं जाना चाहते हैं तो बस से भी लैंसडाउन बड़े आराम से पहुँचा जा सकता है। इसके लिए आप आईएसबीटी दिल्ली से कोटद्वार के लिए बस ले सकते हैं। जो लैंसडाउन 5-6 घंटे में पहुँचा देती है। कोटद्वार से लैंसडाउन की दूरी 40 कि.मी. है जहाँ पहुँचने में 1 घंटा लगता है। लैंसडाउन जाने के लिए आपको कोटद्वार में बस और टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।
लैंसडाउन पहुँचने के बाद मैंने जीएमवीएन गेस्ट हाउस में चेक इन किया, जिसकी बुकिंग मैंने पहले से की थी। अगर आप परिवार के साथ जा रहे हैं तो आपको ये जगह बेहद अच्छी लगेगी। यहाँ सुंदर टी हाउस हैं, काॅटेज हैं और झोपड़ियाँ भी। इन जगहों पर आप कुछ घंटों के लिए आराम कर सकते हैं। इसके बाद लैंसडाउन के सेंट जोंस एंड मैरी चर्च, द मिलिट्री म्यूजियम और भुल्ला ताल जैसी कुछ जगहों पर जा सकते हैं और उनको देख सकते हैं। ये चर्च लगभग किसी भी अन्य चर्चों की तरह ही हैं और इसी तरह म्यूज़ियम भी है। लैंसडाउन की भुल्ला ताल एक झील है, जो प्रकृति की देन नहीं है। बल्कि उसे लोगों ने यहाँ की खूबसूरती बढ़ाने के लिए बनाई है। आपको झील के आस-पास बहुत से लोग मिल जाएँगे, लेकिन मॉनसून के समय ये सोचना ही बहुत सुकून देता है।
इन सबमें सबसे बेस्ट था टिप एंड टाॅप तक जाना। टिप एंड टाॅप तक जाना खूबसूरत लगता है ही इसके साथ जब वहाँ से डूबते हुए सूरज को देखते हो तो फिर उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। मैं पूरे समय वहीं ठहरा रहा, चारों तरफ पहाड़ों में बादल तैर रहे थे। ये खूबसूरत और लाजवाब दृश्य कहीं और देखने को नहीं मिलता। ये आपको आश्चर्य लगेगा कि मैं एक ही जगह पर कुछ घंटे बैठा रहा। प्रकृति के बीच आना और उससे जुड़ना एक अलग लेकिन खूबसूरत अनुभव था। अगर आप भी ऐसा ही कुछ देखना चाहते हैं तो आपको उगते हुए सूरज को देख सकते हैं। लेकिन उसके लिए किस्मत भी अच्छी होनी चाहिए। हो सकता है आप सनराइज को देखना चाहते हैं और उस दिन बादल की वजह से सूरज निकले ही ना। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब मैं वहाँ बादल देखने गया तो बादल की वजह से नहीं देख पाया। लेकिन मैं निराश नहीं था क्योंकि मैं प्यारे बादलों को जो देख पा रहा था।
रविवार को मेरी दिल्ली की वापसी थी। इस खूबसूरत जगह से लौटने का मन तो नहीं हो रहा था। क्या करें हर खूबसूरत जगह मेरी तो नहीं हो सकती न? लैंसडाउन से दिल्ली के दोपहर 1 बजे निकल पड़ा। मेरा अनुमान था कि मैं शाम के 6 बजे तक दिल्ली पहुँच जाउँगा लेकिन मैं पहुँचा रात के 8 बजे। अगर आप भी इस खूबसूरत जगह पर जाना चाहते हैं तो इसके लिए वीकेंड सबसे सही रहेगा।
ऐसे बनाएँ प्लान
शनिवार को दिल्ली से सुबह 5 बजे निकल जाइए जिससे सुबह 10 बजे तक लैंसडाउन पहुँच जाओगे। यहाँ कुछ घंटों आराम करें और तरोताज़ा हो जाइए। इसके बाद लैंसडाउन को एक्सप्लोर करने के लिए तैयार हो जाइए। यहाँ देखने के लिए सेंट मेरी एंड सेंट जॉन चर्च, भुल्ला ताल झील हैं। इसके अलावा टिप एंड टॉप से सनसेट का व्यू ज़रूर देखें। रविवार को नाश्ता करें और कुछ अच्छी जगहों पर कुछ समय बिताएँ। दोपहर के 1-2 बजे दिल्ली के लिए वापस निकल आइए जिससे रात तक आराम से दिल्ली भी लौट आओगे।