चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। जैसे-जैसे आप ऊँचाई पर चढ़ते जाते हैं, यहाँ का पूरा नज़ारा बदलने लगता है। यहाँ आने पर एकाएक हवा में ठंडक बढ़ जाती है। तब आपको ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों की ज़रूरत पड़ती है। चारों तरफ यूकेलिप्टस के ऊँचे- ऊँचे पेड़ नजर आते हैं, जो इस जंगल को और भी सुंदर बनाता है। इसके अलावा ये जगह गहरे गुलाबी और बैंगनी रंगीन के फूलों से भरी हुई है। घने जंगलों के बीच सजीली वादियाँ, चोटियों के नीचे उड़ते बादल और दूर-दूर तक नजर आने वाली बलखाती पगडंडियाँ जो इस इलाके को किसी स्वप्नलोक-सा सुंदर बना देती है, कुछ ऐसा ही है तमिलनाडु का कोडइकनाल।
कोडइकनाल हिल स्टेशन दक्षिण भारत के डिडिगुल ज़िले में स्थित है। कोडइकनाल का तमिल भाषा में अर्थ है- जंगल का उपहार। इस जगह को देखकर लगता है कि ये सचमुच कुदरत का अनमोल उपहार है। तो आज उसी दिलकश कोडाइकनाल हिल स्टेशन के सफर पर चलते हैं।
खूबसूरती का एक नायाब नगीना
दक्षिण भारत के बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है कोडइकनाल। ये जगह मदुरै शहर से तकरीबन 120 कि.मी. दूर पश्चिमी घाट की पलानी पहाड़ियों के बीचों बीच स्थित है। प्रेमी जोड़ों के लिए तो कोडइकनाल सबसे अच्छी जगहों में से एक है। इस हिल स्टेशन के रोमानी आकर्षण की वजह से इसे भारत के सबसे फेमस हनीमून डेस्टिनेशन माना जाता है। शहरी जीवन की भीड़भाड़ से दूर एकांत के आगोश में बसा ये टूरिस्ट प्लेस तकरीबन 7,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी अहमियत आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि इसे ‘हिल स्टेशन की राजकुमारी’ भी कहा जाता है।
सिल्वर कास्केड वाटरफाॅल
कोडइकनाल शहर से तकरीबन 8 कि.मी. पहले सड़क के दोनों तरफ गाड़ियों की कतारें और पर्यटकों की भीड़ देखकर आप भी रुक जाएँगे। इससे पहले कि माजरा समझ में आए आप एक मोड़ पर दाईं ओर काफी ऊँचाई से गिरते झरने को देखकर आप हैरान हो सकते हैं। यह एक तरह से कोडाइकनाल पहुँचने से पहले प्रकृति की तरफ से आपका स्वागत है। ‘सिल्वर कास्केड’ वाटरफाॅल की जलधारा को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे पिघली हुई बहुत सारी चांदी एक साथ नीचे गिर रही हो। इसी वजह से इसका नाम ‘सिल्वर काॅस्केड’ पड़ा।
ऊँची पहाड़ियों से घिरे नज़ारों के बीच पैदल चलते जाने की ओर नीचे मैदानी इलाकों का सौंदर्य निहारने का आनंद क्या होता है? आप यहाँ आकर महसूस कर सकते हैं। दरअसल, यहाँ नेबो पर्वत के इर्द-गिर्द करीब एक किलोमीटर लंबा पाथ-वे है जिस पर लोग पैदल घूमते नजर आएँगे। यहाँ से नीचे घाटी में बादलों के टुकड़े तो कभी घने कोहरे के बीच सेल्फी लेते टूरिस्टों की खुशी देखते ही बनती है। कोडई का मैप तैयार करने वाले लेफ्टिनेंट के नाम पर इस जगह का नाम ‘कोकर्स वाॅक’ पड़ा। साफ मौसम में यहाँ से दूर तलक तक बसी बस्तियाँ, नदियाँ और खेत दिखाई पड़ते हैं। ये दृश्य देखना बेहद सुखदायी होता है।
स्टारफिश लेक
आपने स्टारफिश को तो देखा ही होगा, एक बार उसकी कल्पना कीजिए। क्योंकि जब आप यहाँ की झील देखेंगे तो स्टारफिश की बात ज़रूर करेंगे। यहाँ एक झील है जिसका आकार स्टारफिश की तरह है। जिसे देखकर आपका मन बाग-बाग हो जाएगा। इसका पानी भी बहुत साफ है और चारों तरफ पेड़ों की हरियाली इस जगह को और भी शीतल बनाए रखता है। इस झील में आप बोटिंग कर सकते हैं, लेकिन वोटिंग से भी ज्यादा आपको अच्छा लगेगा इसके आसपास घूमने में। यहाँ आप घुड़सवारी और साइक्लिंग का भी आनंद ले सकते हैं।
कोडइ लेक से तकरीबन 5 कि.मी. दूर एक घना जंगल है। उसकी बनावट की वजह से वो जगह खतरनाक लगती है और उसे सुसाइड प्वाइंट कहा जाता है। लेकिन यदि आप यहाँ की हरी-भरी वादियों को निहारना चाहते हैं तो इस जगह पर ज़रूर आना चाहिए। यहाँ से आप घाटी में तैरते सफेद बादल देख सकते हैं और दूर पहाड़ियों पर अपनी दिखाई देती ये धुंध वैगई बांध के नज़ारे को मनमोहक कर देती है।
प्रेम का प्रतीक कुरिंजी का फूल
कोडइकनाल की शान है कुरिंजी का फूल जो 12 साल में एक बार खिलता है। इस फूल को भगवान मुरुगन का पवित्र फूल माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान मुरुगन ने कुरिंजी के फूल की माला पहनकर एक शिकारी की पुत्री से शादी की थी। इसलिए इस फूल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जब ये फूल खिलता है तो यहाँ ‘कुरिंजी फेस्टिवल‘ भी मनाया जाता है। पिछले साल जून से अक्टूबर के बीच ये फेस्टिवल बड़ी धूम-धाम से मनाया गया था। अब ये फूल 12 साल बाद वर्ष 2030 में खिलेगा। कोडाई झील से 3 कि.मी. दूर है कुरिंजी मंदिर। ये मंदिर भी कोडइकनाल के आकर्षण का एक केन्द्र है। यदि आप कला प्रेमी हैं तो इसकी वास्तुकला से मुग्ध हो सकते हैं। ये मंदिर मुरुगन का समर्पित है।
पिलर राॅक्स
कोडइकनाल बस स्टैंड से 8 कि.मी. दूर है पिलर राॅक्स प्वाइंट। जहाँ कभी आप प्रकृति का विशाल रूप देखेंगे तो कभी प्रकृति की मनमोहक छंटा देखकर स्तब्ध हो जाएँगे। यहाँ पर 122 मीटर की ऊँचाई वाले तीन बहुत बड़े स्तंभ हैं। जब यहाँ ज्यादा कुहरा होता है तो इनका अलग ही रूप देखने को मिलता है। थोड़ी-थोड़ी देर में इन चट्टानों को रहस्मयी कोहरे में छिपते-उभरते देखना हर किसी को हैरान करता है। इन स्तंभों के बीच पानी की धाराएँ भी बहती रहती हैं। यहाँ कोहरे के कारण पल-पल में नज़ारे बदलते देखकर आप यहाँ देर तक रुकना चाहेंगे।
इसके अलावा कोडइकनाल में दो टेलिस्कोप हाउस हैं। पहला, कुरिंजी अंदावर मंदिर के पास और दूसरा, कोकर्स वाॅक के पास। इन दोनों की जगहों पर बड़ी-बड़ी दूरबीनें लगी हुई हैं। जिनके जरिए आप दूर-दूर तक के दृश्य को देख सकते हैं। कोडइकनाल से करीब 21 कि.मी. दूर एक लेक है जिसका नाम है, बेरिजम लेक। यह एक शानदार पिकनिक स्पाॅट है, लेकिन यहाँ जाने के लिए पहले से जिला वन अधिकारी की परमिशन लेनी पड़ती है।
कोडाइकनाल का जायका
कोडइकनाल हिल स्टेशन अपनी खूबसूरती के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन यहाँ के ज़ायका का भी स्वाद लिया जा सकता है। उत्तर भारत या दक्षिण भारत के ज़ायके ही नहीं, बल्कि चाइनीज़, तिब्बती, यूरोपियन, मैक्सिकन और मिडिल ईस्ट का भी स्वाद मिलता है। यहाँ आप हर राज्य की डिश का स्वाद ले सकते हैं। इसके साथ ही इडली, उपमा, सांभर, रसम, केसरी, स्वीट पोंगल आदि खाते समय यह एहसास भी बना रहेगा कि आप दक्षिण भारत में ही हैं। कोडइकनाल के अन्नासलाइ बाज़ार रोड पर स्थित पेस्ट्री काॅर्नर से आप बेकरी आइटम खरीद सकते हैं। बाज़ार रोड पर होटल एस्टोरिया में काफी भीड़ नज़र आएगी क्योंकि यहाँ थाली सिस्टम से भरपेट खाना मिलता है। पास में ही स्थित पटेल रेस्टोरेंट पर किफायती दाम पर स्वादिष्ट गुजराती खाना मिलता है।
कब और कैसे जाएँ?
अगर आप इस जगह को सबसे खूबसूरत देखना चाहते हैं तो मॉनसून के समय आइए। हर मौसम में इसकी खूबसूरती अपने चरम पर होती है। यहाँ आने के लिए आप यातायात के किसी भी साधन से आ सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से आने की सोच रहे हैं तो कोडाइकनाल से सबसे नजदीक एयरपोर्ट मदुरै में है। जिसकी दूरी कोडाइकनाल से लगभग 120 कि.मी. है। इसके अलावा कोयंबटूर एयरपोर्ट भी है, कोडाइकनाल से जिसकी दूरी 120 कि.मी. है। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो कोडाइकनाल में ही रेलवे स्टेशन है। सड़क मार्ग से कोडाइकनाल देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।