उत्तराखंड में मौजूद है एक छोटा स्वर्ग, पहाड़ों पर घास के मैदान के बीच चोटी पर है परियों का मंदिर

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Photo of उत्तराखंड में मौजूद है एक छोटा स्वर्ग, पहाड़ों पर घास के मैदान के बीच चोटी पर है परियों का मंदिर by We The Wanderfuls

हमारे देश का उत्तराखंड राज्य वैसे तो देवभूमि के तौर पर जाना जाता है। चार-धाम यात्रा के साथ ही अनेक तीर्थ स्थलों वाली ये धरती हर वर्ष लाखों देशी-विदेशी भक्तों को अपनी और खींच लाती है। लेकिन धार्मिक नगरी होने के साथ ही उत्तराखंड की भूमि प्रकृति-प्रेमियों और हर तरह के सैलानियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। दिनों-दिन यहाँ के मुख्य पर्यटन स्थल जैसे मसूरी, नैनीताल इतने अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं कि उत्तर भारत में गर्मियों के समय तो इनमें से कई हिल स्टेशंस पर 'हाउसफुल' तक का बोर्ड लगाकर पर्यटकों के प्रवेश को सीमित करना पड़ता है।

लेकिन इन भीड़ भरे हिल स्टेशंस से दूर उत्तराखंड में आप कल्पना कीजिये कि आप मखमली घास से भरे एक विशाल पहाड़ी मैदान के टॉप पर पर हैं जहाँ से दूर-दूर तक दिखते चारों और के हिमालय के खूबसूरत नज़ारे और पास में घोड़ों और अन्य मवेशियों को शांतिपूर्वक घास खाते देखते हुए खुले आसमान के बीच कुदरत की बनायीं हुई इस मखमली चादर पर बिना किसी भीड़ के कुछ सुकून भरे पल अपनों के साथ बिता रहे हैं... होगा ना ये किसी बेहतरीन सपने जैसा? तो बस इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे आप इस सपने को सच में जी सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं...

मोइला बुग्याल (मोइला टॉप)

उत्तराखंड में भीड़-भाड़ से दूर किसी खूबसूरत हिल स्टेशन की तलाश करने वाले पर्यटकों के बीच चकराता हिल स्टेशन बड़ी तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। चकराता से करीब 25-30 किलोमीटर दूर स्थित लोखंडी गाँव के पास स्थित है मोइला टॉप जहाँ तक आप ट्रेक करके ही पहुँच सकते हैं लेकिन मजे की बात ये है कि यह ट्रेक बिलकुल भी मुश्किल नहीं है।

हालाँकि थोड़ी थकान तो हर ट्रेक में होती ही है लेकिन इस ट्रेक की थकान तो मंजिल पर पहुँचते ही यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती की एक झलक से ही दूर हो जाएगी इसका हम आपको विश्वास दिला सकते हैं। मोइला टॉप को मोइला बुग्याल के नाम से भी जाना जाता है। जैसे की आप जानते हैं की उत्तराखंड अपने बुग्यालों के लिए भी बेहद लोकप्रिय है और मोइला बुग्याल यहाँ के सबसे खूबसूरत बुग्यालों में से एक है।

अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें कि बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है जो सर्दियों के अलावा आम तौर पर मखमली घास से भरा रहता है। स्थानीय लोगों के लिए और मवेशियों के लिए तो यह महत्वपूर्ण जगह होती ही है लेकिन साथ ही सैलानियों और ट्रैकिंग लवर्स के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं होती। साथ ही ये घास का मैदान सर्दियों में बर्फ से ढकने की वजह से स्कीइंग और अन्य बर्फ के खेलों के लिए एक शानदार जगह बन जाता है।

परी मंदिर

यहाँ मखमली घास के मैदान पर कैंपिंग करके या फिर ऐसे ही कुछ पल सुकून से तो आप बिता ही सकते हैं लेकिन इसकी खूबसूरती यहीं ख़त्म नहीं होती। मोइला टॉप पर बना एक बेहद प्राचीन मंदिर जिसे 'परी मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है, वो भी इस स्थान की खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। दूर से इस घास के मैदान वाली पहाड़ी के टॉप पर बने इस मंदिर की एक झलक ही आपको इस जगह की खूबसूरती का दीवाना बना देगी। एक बार दूर से देखने पर तो लगता है मानो यह हरी-भरी घास वाला रास्ता आकाश की ओर जा रहा है और मंजिल पर सच में परियों का ही घर बसा है और शायद इसीलिए इस मंदिर को परी मंदिर कहा जाता होगा।

परी मंदिर चूँकि पहाड़ी के टॉप पर है तो यहाँ से आप चारों ओर के शानदार नज़ारों का आनंद ले सकते हैं और साथ ही फोटोग्राफी के लिए तो यह स्थान एकदम परफेक्ट है ही।

मोइला टॉप पर अन्य आकर्षण केंद्र

परी मंदिर के अलावा भी यहाँ कुछ अन्य देखने लायक जगहें हैं जैसे कि यहाँ मौजूद एक बेहद सुन्दर प्राकृतिक झील। यह झील यूँ तो गर्मी के मौसम में पूरी तरह सूख जाती है लेकिन बारिश के मौसम के बाद जब यह पानी से भर जाती है तो मोइला बुग्याल की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है। इसके अलावा सर्दी के मौसम में जब यह जगह चारों ओर से बर्फ से ढक जाती है तब भी सफ़ेद बर्फ के बीच बनी इस प्राकृतिक झील की खूबसूरती वाकई अद्भुत लगती है।

साथ ही आपको बता दें कि यहाँ एक कोने में एक बेहद प्राचीन गुफा भी है। गुफा बेहद प्राचीन तो है ही लेकिन इसके बारे में कोई खास जानकारी वहां उपलब्ध नहीं है लेकिन हाँ इसे बुधेर गुफा के नाम से जाना जाता है। हालाँकि थोड़ी बहुत परेशानी के साथ इस गुफा के अंदर भी जाया जा सकता हैं लेकिन अंदर ज्यादा दूर आप नहीं जा पाएंगे। यह गुफा भी फोटोग्राफी करने के लिए एक अच्छा स्थान है।

कैसे पहुंचे?

यहाँ पहुँचने के लिए पहले आप उत्तरखंड की राजधानी देहरादून तक बस, ट्रेन या फिर फ्लाइट के जरिये आसानी से पहुँच सकते हैं। देहरादून देश के सभी बड़े शहरों से सड़क, रेल और हवाई तीनों ही मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। तो देहरादून पहुँचने में आपको बिलकुल परेशानी नहीं होने वाली।

इसके बाद आप देहरादून से करीब 90 किलोमीटर दूर चकराता सड़क मार्ग से बस या फिर टैक्सी वगैरह से पहुँच सकते हैं। अब चकराता पहुँचने के बाद आप चकराता में तो घूम ही सकते हैं लेकिन यहाँ से मोइला टॉप जाने के लिए आपको पहले लोखंडी गाँव पहुंचना होगा जो चकराता से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक सडक की स्थिति ठीक है और आप आसानी से टैक्सी या फिर खुद की कार से यहाँ पहुँच सकते हैं। फिर लोखंडी पहुँचने के बाद ठीक-ठाक सा वन विभाग द्वारा बनाया हुआ कच्चा रास्ता आपको जंगलों के बीच से होते हुए ले जायेगा बुधेर गाँव। बुधेर में एक शानदार वन विभाग द्वारा संचालित रेस्ट हाउस भी है। जंगल के बीचों-बीच बने वन विश्राम गृह में आप चाहें तो कई तरह के जंगली जानवरों,वनस्पतियों और अनेक प्रजाति के परिंदों से भरे इस जंगल में एक रात बिता सकते हैं जो कि अपने आप में एक शानदार अनुभव होगा।

फोटो क्रेडिट: Wikimedia Commons

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फिर बुधेर से एक पगडण्डी मोइला टॉप की तरफ जाती है जिससे करीब 3 किलोमीटर का आसान ट्रेक करके आप मोइला टॉप तक पहुँच सकते हैं। हालाँकि एक-दो जगह खड़ी चढ़ाई मिलती है लेकिन वैसे यह एक आसान ट्रेक है जिसे पूरा करने में 1 से 2 घंटे का समय लग सकता है। यह पूरा ट्रेक देवदार के पेड़ों से घिरा है और जैसे ही यह जंगल ख़त्म होता है आप पहुँच जाते हैं मोइला बुग्याल जहाँ मखमली घास के मैदान की अनेक परतें आपकी सारी थकान एक ही झटके में दूर कर देती हैं।

तो अगर आप उत्तराखंड में किसी बेहद सुकून और प्राकर्तिक खूबसूरती से भरे किसी स्थान को ढूंढ रहें हैं तो आपके लिए यह स्थान एकदम परफेक्ट रहेगा। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी वो हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो प्लीज इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।

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