भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित यह छोटा-सा शहर रोमांटिक यात्रा के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में शुमार तो नहीं है लेकिन चम्फाई जिस बात के लिए मशहूर है वो कुछ और ही है। इसे देश का ' राइस बोल' या चावल का कटोरा' कहा जाता है। यह शहर केवल पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि एक अनुभव है जो आपके जीवन को एक नया नज़रिया दे सकता है।
क्यों करें चम्फाई की यात्रा?
चम्फाई संस्कृति और परंपरा में लिपटा हुआ 21वीं सदीं की हलचल से बिल्कुल अलग है। ज़िंदगी धीमी है लेकिन पूरी तरह जीवंत है। यहाँ के लोगों का व्यवहार बिल्कुल सरल है और यहाँ की परंपराएँ आज भी बरकरार हैं। आप जैसे ही यहाँ एंट्री लेंगे करेंगे छोटी-छोटी झोपड़ियाँ और मकान आपका स्वागत करने को तैयार रहती हैं। धान के खेतों और दाख की बाड़ियों से घिरी हुए इस जगह को देखने पर आपको लगेगा आप फ्रांस में आ गए हों। अगर आप रोमांटिक गेटअवे या ऑफबीट हनीमून डेस्टिनेशन की तलाश में हैं, तो ये जगह परफेक्ट है।
सादगी के अलावा, यहाँ स्थित प्राचीन स्मारक इसकी गवाही देते हैं कि चम्फाई खुद में एक गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है। चम्फाई राज्य को मिज़ो जनजाति की सबसे पुरानी बस्तियों के रूप में जाना जाता है। फिलहाल ये जगह भारत और म्यांमार के बीच बिजनेस कॉरिडोर का रूप ले चुका है।
यहाँ आकर क्या करें
रिह दिल मे लें रोमांटिक दोपहर का मज़ा
रिह दिल के आकार की ये झील चम्फाई के मुख्य आकर्षणों में से एक है जो कि शहर से करीब 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह आत्माओं के लिए मुक्ति की ओर जाने का प्रवेश मार्ग है। यहाँ पर जाने के लिए आपको डिप्टी कमिश्नर कार्यालय से अनुमति लेनी होती है, इसके बाद ही इस झील का दौरा किया जा सकता है। अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए आप इस खूबसूरत झील के लिए चम्फाई से लोकल बस ले सकते हैं।
वन्यजीवों के साथ करें मस्ती
चंम्फाई के करीब दो क्षेत्र अपने वनस्पतियों और जीवों के लिए जाने जाते हैं। जिसमें पहला मुरलेन नेशनल पार्क है और यह शहर से करीब 50 कि.मी. दूर है। सदाबहार जंगलों वाला यह पार्क 100 वर्ग कि.मी. क्षेत्रमें स्थित है। इसे हिमालयन काले भालू, तेंदुए और बाघों के लिए जाना जाता है। वहीं नेशनल पार्क के निकट स्थित लेंगटेंग वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी जहाँ भौंकने वाले हिरण, रिसस मकॉक और गोरल्स जैसे जानवरों का निवास है।
मुरा पुक में गुफाओं को देखें
यहाँ के मुरा पुक में कुल 6 गुफाएँ हैं। प्राचीन कहावत है कि वहाँ के ग्रामीणों ने आदमखोर बाज़ से बचने के लिए ही इन गुफाओं की खुदाई की थी। स्थानीय लोककथा की मानें तो मुरा नामक एक क्रूर, विशालकाय बाज़ जो झोपड़ी से बाहर निकलने वाले लोगों को अपना शिकार बना लिया करता था। इस बाज से अपनी जान बचाने के उद्देश्य से गाँव वालों ने ही इन गुफाओं का निर्माण किया। चम्फाई से मुरा पुक की दूरी महज 10 कि.मी. है और यहाँ पहुँचने के लिए आप स्थानीय परिवहन ले सकते हैं।

देखें अंगूर के बाग और वाइनरी
चम्फाई को वाइन कलेक्शन के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। चम्फाई और हेनलान ग्रेप वाइनरी में ज्लाविडी नामक बढ़िया शराब का उत्पादन किया जाता है। इस वाइनरी की स्थापना 2007 में हुई थी और इसे 2010 में खोला गया था। राज्य सरकार की तरफ से शराब पर कुल प्रतिबंध को संशोधित करने के बाद ही यह जारी हुआ था। यहाँ आज भी इसके अलावा कोई अन्य शराब नहीं मिलती और इस शराब में अल्कोहल की मात्रा बहुत कम रहती है। अगर आप चाहें तो दिन में यहाँ आकर इस वाइनरी के कर्मचारियों के साथ बातचीत कर शराब बनाने संबंधी जानकारी हासिल कर सकते हैं। याद रहे, वहाँ से निकलते वक्त एक बॉटल लेना मत भूलें!
कीवी उगाने के बारे में जानें
चंम्फाई में बीते साल से ही कीवी की खेती की शुरुआत की गई है। इस फल के लिए चम्फाई की मिट्टी और जलवायु दोनों ही अनुकूल हैं। किवी के खेत का दौरा करने से आपको खुशी मिलेगी और वहाँ के कर्मचारी इस बारे में आपके तमाम सवालों का जवाब भी देंगे। जिस समय यह फसल होती है उस वक्त अगर आप वहाँ जाते हैं तो वहाँ से घर के लिए भी कुछ ले जा सकते हैं।
खाने में क्या मिलता है?
चम्फाई में सड़क के किनारे छोटे-छोटे रेस्तरां और जनरल स्टोर हैं लेकिन ये सभी बहुत ज्यादा बड़े नहीं है। इन सभी जगहों में ज्यादातर पारंपरिक मिजो व्यंजन ही मिलते हैं। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं जैसे मछली, बाई (उबली हुई सब्जियों में सूअर का मांस), छंगबन (उबले हुए चावल का आटा) के अलावा खासी व्यंजन जैसे जदोह (चावल और मांस), किकपू, तुंग-तोह और अचार भी शामिल हैं।

चम्फाई के रिसॉर्ट्स या होटलों में कॉन्टिनेंटल नाश्ते के साथ उत्तर भारतीय भोजन की भी व्यवस्था रहती है। आपको अगर शाकाहारी भोजन करना है या फिर आप स्थानीय भोजन नहीं करना चाहते तो फिर यह आपके लिए बेस्ट ऑपशन हो सकता है।
ऐसे पहुँचें चम्फाई
चम्फाई का सबसे निकटतम शहर आइजोल है, जिसकी दूरी यहाँ से करीब 192 कि.मी. है।
हवाई मार्ग: लेंगपुई हवाई अड्डा आइजोल का सबसे करीबी हवाई अड्डा है। यहाँ के लिए कोलकाता व गुवाहाटी से रोजाना फ्लाइट मिल जाती हैं। यहाँ से चम्फाई तक की यात्रा आप सड़क मार्ग से कर सकते हैं।
रेल मार्ग: चम्फाई के लिए सबसे करीबी रेलवे स्टेशन बैराबी (290 कि.मी.) या फिर सिलचर (350 कि.मी.) है। यहाँ से शहर तक पहुँचने में 12 घंटा समय लगता है। आइजोल में कोई रेलवे स्टेशन नहीं होने की वजह से हवाई मार्ग से यात्रा करना ही बेहतर है।
सड़क मार्ग: चम्फाई का सड़क मार्क के साथ बहुत ही बढ़िया कनेक्शन है। इसलिए सड़क ही यहाँ पहुँचने का सबसे लोकप्रिय माध्यम है। आइजोल से चम्फाई तक नियमित रूप से बस सेवाएँ उपलब्ध हैं और यहाँ की सड़क भी बहुत ही सुव्यवस्थित है। रविवार के अलावा बाकी सभी दिन यहाँ टाटा सूमो की सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। आइजोल से चंपई तक का इसका किराया करीब ₹600-₹800 है। इससे आइजोल से चम्फाई जाने में करीब 8 घंटे लगते हैं।
यहाँ ठहरें
चम्फाई में आवास की व्यवस्था बहुत ही सीमित है और इनमें से ज्यादातर राज्य सरकार ही चलाती है। इन आवासों में साफ कमरों के अलावा तमाम आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। मेहमान नवाजी में यहाँ के लोग बहुत आगे हैं।
चम्फाई में ठहरने के लिए ये बहुत ही खूबसूरत और शांत जगह है। यह मिज़ोरम सरकार के कला व संस्कृति विभाग के अधीन है। इसमें सिंगल और डबल कमरों के साथ कॉटेज भी है।

होटल हॉलिडे होम
यह आवास बिल्कुल शहर के बीचोंबीच स्थित है और इसमें भी सिंगल व डबल कमरों की व्यवस्था है।
एजुकेशन इन
यह राज्य शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित हॉस्टल की तरह है।
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