मिस्टिक विलेज:जितना अजूबा नाम है, उतना ही खूबसूरत हिमाचल का ये गांव है क्या अपने देखा है?

Tripoto
24th Apr 2024
Photo of मिस्टिक विलेज:जितना अजूबा नाम है, उतना ही खूबसूरत हिमाचल का ये गांव है क्या अपने देखा है? by Priya Yadav


         हिमाचल प्रदेश को भारत के सबसे खूबसूरत राज्य के तौर पर जाना जाता है,जिसका कारण है वहां का प्राकृतिक सौंदर्य।प्रकृति ने इस पूरे राज्य को अपना खूब सारा प्यार और आशीर्वाद दिया है।तभी तो हर कोई अपनी तनाव भरी जिंदगी से निकल कर शांति के कुछ पलों की तलाश में इस राज्य में पहुंच जाता है।यहां के पहाड़,नदी ,झरने ,पानी , और हवाओ में भी एक अलग सा सुकून है,जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।वैसे तो हिमाचल की बहुत सी ऐसी जगह है जो काफी लोकप्रिय है परंतु इन जगहों पर अक्सर ही पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है ऐसे में अगर आप किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं जहां कम भीड़ भाड़ हो तो आज आपको एक ऐसी ही जगह से परिचित करवाएंगे जो अभी भी पर्यटकों की नजरो से अछूता है जिसकी वजह से यहां कम भीड़ भाड़ देखने को मिलती है।लेकिन खूबसूरती में यह स्थान शिमला मनाली से किसी भी लिहाज से कम नहीं है।

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मिस्टिक विलेज

वैसे तो पूरी हिमाचल की प्रकृति की खूबसूरत चादर ओढ़े हुए हैं,लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसे स्थान भी है जिसे भारत का स्विजरलैंड कहा जाता है और मिस्टिक विलेज भी उन्ही में से एक है।यह गांव हिमाचल प्रदेश के खज्जियार से मात्र 2 या 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जितना आकर्षक इसका नाम है उतनी ही आकर्षित करने वाली इस जगह की खूबसूरती है या यूं कहें कि एक रहस्यमई सौंदर्य है इस जगह की।यह गांव समुंद्र तल से करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है।जब आप यहां पहुचेंगे तो आपके स्वागत में सूरज और चांद आपके सामने खड़े होंगे।ऐसा लगता है मानो वो ही आपका स्वागत कर रहे है।

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मन को मोह लेने वाली है इस गांव की खूबसूरती

यहां की खूबसूरती की बात करे तो उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है,यहां का प्राकृतिक सौंदर्य को आप वहां जाकर ही महसूस कर सकते है।शुद्ध ताजी हवा जो आपको भीतर तक तरो ताज़ा कर देगी, पीर पंजाल पर्वत की ऊंची ऊंची चोटी ,फूलो से लदी घाटी और आसमान का हर पल रंग बदलना किसी करिश्में से कम नहीं लगता है।इस सब को देखने के बाद यकीनन आपका यहां से आने का मन नहीं करेगा। यहां का सादा जीवन जो किसी पुराने गांव की याद दिलाता है उनका रहन सहन और जीवन शैली,खान पान ये सब आपको आपके शहरी जीवन के भाग दौड़ भरी जिंदगी से कोसो दूर एक शांति और सुकून में ले जायेगा।सर्दियों में बर्फ से ढकी चोटियां ऐसी प्रतीत होती है मानो प्रकृति से सफेद चादर ओढ़ ली है।

सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा होता है मनमोहक

यह गांव एक पहाड़ी पर स्थित है जो चारो ओर से पहाड़ो से घिरा हुआ है यहां पर आप सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय और शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देख सकते है।साथ ही ठंडी ठंडी और ताजी हवाओं के साथ ही साथ गरमा गर्म चाय की चुस्की भी ले सकते है।यकीन मानिए ये अनुभव आप जीवन भर याद रखेंगे।

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यहां के पारंपरिक और लजीज व्यंजन का ले स्वाद

यहां का प्राकृतिक सौंदर्य तो जादुई है ही साथ ही एक और चीज है जो यहां बहुत ख़ास है और वो है यहां के पारम्परिक और लजीज व्यंजन।जो कि प्योर,शुद्ध और बहुत ही स्वादिष्ट होता है,जिसे पारम्परिक तरीके से मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है।ये लोग यहां पर अपने हाथो से उगाए गए सब्जियों का प्रयोग ही खाने के लिए करते है जो की बिल्कुल शुद्ध और ताजा  होता है।तो जब भी आप यहां जाए यहां के पारंपरिक भोजन का स्वाद चखना न भूले।

होम स्टे का ले अनुभव

यह एक छोटा सा गांव है जहां आपको मात्र 15 से 20 घर ही देखने को मिलेंगे।ऐसे में यहां के लोग खास कर पुरुष अपनी आजीविका के लिए बाहर रहते है और महिलाए घर पर।लेकिन बढ़ते हुए पर्यटन को देखते हुए सरकार ने यहां 5 घरों को होम स्टे बनाने का फैसला किया जिससे पर्यटकों की सुविधा भी बढ़ी और लोगो को रोजगार भी मिला।यहां के होम स्टे काफी सस्ते और अच्छे हैं,जहां पर आपको आपकी जरूरत की सारी सुविधाएं मिल जायेंगी।इन घरों में आप लकड़ी की कलाकृतियां, जूट के पर्दे, मिट्टी के बर्तन, दीवार पर मिट्टी की पेस्टिंग आदि सबकुछ देख सकते हैं।यह होम स्टे हिमाचली संस्कृति को जानने और समझे का एक बहुत अच्छा विकल्प भी है।

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मिस्टिक विलेज जाने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो आप साल भर यहां किसी भी समय जा सकते है लेकिन अक्टूबर से अप्रैल तक का मौसम यहां जाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।गर्मियों में यहां ही हरियाली भरी घाटी और सर्दियों में बर्फ से ढकी हुई घाटी का नजारा किसी का भी मन मोह लेगी ।लेकिन मानसून के दौरान यहां जाने से बचे।क्योंकि लैंडस्लाइड के कारण सभी रास्ते बंद रहते है और इन पर ट्रेक करना खतरनाक हो सकता है।

कैसे पहुंचें?

मिस्टिक विलेज पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले खज्जियार पहुंचना होगा, जहां से 2 किमी. की ट्रेक या स्थानीय टैक्सी से आप यहां तक पहुंच सकते हैं।अगर आप हवाई मार्ग से यहां आना चाहते है तो आपको बता दें कि यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा धर्मशाला में गग्गल हवाई अड्डा है जो की यहां से  122 किमी की दूरी पर स्थित है।अगर आप रेल द्वारा यहां जाना चाहते है तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है।

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