मिर्जापुर उत्तर प्रदेश की ऐसी जगह है जो अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक खूबसूरती को लेकर देशभर में प्रसिद्ध है। यह शहर देश की धार्मिक नगरी काशी यानि कि बनारस से मात्र 61 कि.मी की दूरी पर है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक नजारों को देखने के लिए लोग देश विदेशों से आते हैं। मिर्जापुर में आप पहाड़, हरियाली, पानी के झरने और कई ऐसे पशु पक्षी भी देख पाएंगे। तो अक्सर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसी पहाड़ी राज्यों के हिल स्टेशनों में ही पाए जाते हैं। सिर्फ यही नहीं प्राकृतिक नजारों के अलावा यहाँ कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भी हैं, जहाँ श्रद्धालुओं का सालभर तांता लगा रहता है। यहाँ के मंदिरों में साल भर लोगों की भीड़ लगी रहती है। अगर आपका धार्मिक स्वभाव है तो आपको अपने जीवन काल में एक बार तो यहाँ आना ही चाहिए। अगर आप उत्तर प्रदेश या उसके आसपास के वासी हैं तो आपको बता दें कि पहाड़ों का मजा लेने के लिए आपको घंटो का सफर तय करने के बजाय मिर्जापुर जाना चाहिए। पर्यटन की दृष्टि से मिर्जापुर एक आदर्श स्थल है, जहाँ आप फैमिली और दोस्तों के साथ एक बढ़िया ट्रिप पर जा सकते हैं।
व्यंधाम जलप्रपात
मिर्जापुर में स्थित व्यंधाम वाटर फॉल को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। फैमिली के साथ पिकनिक मनाने या पार्टनर के साथ कुछ पल आराम के बिताने के लिए यह बेस्ट जगह है। यहाँ आपको चट्टानी रास्तों से बहती नदी एक जलप्रपात का रूप लेती दिखेगी। पहाड़ों की तरह दिखने वाले चट्टान, हरियाली व बड़े बड़े पेड़ और ठंडी हवाएं आपको कुछ पल के लिए ऐसा एहसास कराएगी जैसे आप उत्तराखंड के किसी हिल स्टेशन में बैठें हों। कहते हैं कि इस झरने का नाम एक अंग्रेज अफसर के नाम पर पड़ा है। व्यंधाम जलप्रपात जाकर आप बहती नदी में स्नान के साथ-साथ प्राकृतिक नजारों का आनंद भी उठा सकते हैं। सिर्फ यही नहीं इस पिकनिक स्पॉट में आपको एक छोटा ज़ू और चिल्ड्रन पार्क भी मिलेगा। जहाँ बच्चे खूब मजा लूटते हैं।धार्मिक स्थलों के अलावा आप यहाँ के प्राकृतिक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। व्यंधाम जलप्रपात यहाँ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यहाँ के लोकल लोग व्यंधाम को उत्तराखंड का नैनीताल कहते हैं।
चुनार किला
मिर्जापुर के निकट चुनार में स्थित चुनार किला कैमूर पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है या किला गंगा नदी के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी पर बसा है। आप लोगों ने टीवी सीरियल चंद्रकांता देखा होगा ,चंद्रकांता की कहानी इसी किले से संबंध रखता है। इतिहास में यह किला चुनारगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण 56 ईसा पूर्व उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने करवाया था। चुनार का किला एक आकर्षण का केंद्र है यहाँ कई सारे पर्यटक घूमने के लिए आते हैं इस किले का एंट्री फीस फ्री है इस समय इस किले में पीएसी कैंप बना हुआ है अगर आप को मौका मिले तो इस किले को घूमने जरूर जाएं। इस किले में बहुत सारे राज छुपे हुए हैं। सोनवा रानी का मंडप इसी किले में बना हुआ है कहा जाता है कि इस मंडप में कभी किसी का शादी नहीं हो पाया यह हमेशा कुंवारा ही रहा मंडप।
बाबा सिद्धनाथ की दरी
बाबा सिद्धनाथ की दरी चुनार से 20 किलोमीटर की दूरी पर अड़गड़ानंद आश्रम मार्ग पर स्थित है या हम कह सकते हैं कि सिद्धनाथ की दरी चुनार से राजगढ़ रोड पर 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा सिद्धनाथ की दरी पर गाड़ियों के पार्किंग के लिए बहुत अच्छी जगह है तथा यहाँ पर कुछ एंट्री फीस भी देना पड़ता है। सिद्धनाथ की दरी पर प्राकृतिक रूप से लगभग 100 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है एक कुंड में इस कुंड से पानी एक नदी में चला जाता है। यदि आप सावन में शनिवार- रविवार के दिन जाते हैं तो आपको ज्यादा भीड़ मिलेगी यहाँ पर आपको फोटोग्राफर भी मिल जाएंगे जो आपको तुरंत फोटो खींच कर दे देते हैं तथा कुछ स्थानीय लोग खाने पीने के सामान भी बेचते हैं।
लखनिया दरी
यदि आप वाराणसी से लखनिया दरी जाना चाहते हैं तो आप नारायणपुर से रावटसगंज वाला हाईवे (NH-5A) पर औरोरा से कुछ दूरी पर स्थित है। बहुत ही खतरनाक दरी है अगर आप यहाँ पर पिकनिक के लिए जाते हैं तो बहुत ही सावधानी से इंजॉय कीजिए और मेरी एक सलाह है कि इन सब जगहों पर सबसे ज्यादा दुर्घटना सेल्फी लेने के चक्कर में होते हैं तो कृपया आप सेल्फी लेते समय एहतियात ज़रूर बरतें।
सीता कुंड
सीता कुंड मिर्जापुर में प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है, जो रामायण की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। किंवदंती के अनुसार, जब देवी सीता लंका से अपनी यात्रा पर प्यासी थीं, तब लक्ष्मण ने इस स्थल पर जल के लिए पृथ्वी पर एक तीर चलाया। जिसके फलस्वरूप पानी एक बारहमासी वसंत निकला। पानी के समग्र महत्व के कारण, श्रद्धालुओं द्वारा सीता कुंड के रूप में जाना जाने लगा। श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहाँ आते है। लोककथाओं की मान्यता के अनुसार, यह पानी आगंतुकों को दुख से राहत देने के अलावा प्यास बुझाता है। आधार से 48 सीढियों की चढाई के बाद सीता कुंड तक पहुंचा जा सकता है। पवित्र स्थल के साथ, पहाड़ी पर एक दुर्गा देवी मंदिर भी है।
अष्टभुज मंदिर
मिर्जापुर भ्रमण की शुरुआत आप यहाँ के मंदिरों से कर सकते हैं। अष्ठभुज मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जहां रोजाना श्रद्धालुओं का आवागमन लगता रहता है। यह मंदिर देवी पार्वती के ही एक रूप अष्टभुज देवी को समर्पित है। यह मंदिर यहाँ की विंध्या श्रृंखलाओं के ऊपर स्थित है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों रूपों में महत्व रखता है। देवी अष्टभुज का यह मंदिर यहाँ की पहाड़ियों के मध्य एक गुफा में स्थित है। उत्तर भारत की तीर्थ यात्रा के दौरान आप यहाँ आ सकते हैं।
विंध्यवासिनी देवी मंदिर
मिर्जापुर का विंध्यवासिनी मंदिर सिर्फ पहाड़ों से घिरा हुआ है। मां दुर्गा के मंदिर के दर्शन करने और यहाँ के खूबसूरत और प्राकृतिक नजारे को करीब से देखने के लिए लोग अपना सौभाग्य समझते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां विंध्यवासिनी के मंदिर जाकर सच्चे दिल से जो मांगो वह जरूर मिलता है। नवरात्रि और त्यौहारों के समय यहाँ भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। बता दें कि यह मंदिर सती के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। मां दुर्गा के आर्शीवाद के लिए लोग यहाँ शादियां भी करते हैं।
काली खोह मंदिर
मिर्जापुर का काली खोह मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। कहते हैं कि इस मंदिर में स्वर्ग लोक से लेकर धरती लोक तक, कई राज मिलते हैं। मां काली का यह मंदिर विंध्या की पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर में रात के वक्त इतनी ठंड होती है कि भक्तों को चादर और कंबल तक ओढ़ने पड़ते हैं। यहाँ के कुदरती नजारे को देखने के लिए लोग कई महीने पहले से ही बुकिंग कर लेते हैं। अगर आप काशी के आसपास रहते हैं तो आपके लिए यहाँ जाना आसान है।
टांडा फॉल
बारिश के मौसम में मिर्ज़ापुर घूमने के नज़रिए से अच्छा हो जाता है। यहाँ के पहाड़ हरे भरे हो जाते हैं। यहाँ के झरनों में पानी भी खूब आ जाता है। टांडा फॉल घूमने के लिहाज से बढ़िया जगह है। हर साल यहाँ लाखों पर्यटकों की भीड़ लगती है।
कैसे जाएं मिर्ज़ापुर
वायु मार्ग
अगर आपको हवाई रास्ते से मिर्ज़ापुर जाना है तो निकटतम हवाई अड्डा बाबतपुर (वाराणसी विमानक्षेत्र) है। मिर्जापुर से वाराणसी की दूरी 60 किलोमीटर है। दिल्ली, आगरा, मुम्बई, चेन्नई, बंगलौर, लखनऊ और काठमांडू आदि से वायुमार्ग द्वारा मिर्जापुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
अगर आप रेल मार्ग से यहाँ पहुंचना चाहते हैं तो यह शहर रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनें जैसे कालका मेल, पुरूषोतम एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, गंगा ताप्ती, त्रिवेणी, महानगरी एक्सप्रेस, हावड़-मुम्बई, संघमित्रा एक्सप्रेस आदि द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
मिर्जापुर सड़कमार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, दिल्ली और कलकत्ता आदि जगह से सड़कमार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता हैं। (जौनपुर से भदोही वाया मीरजापुर) ग्रांड ट्रंक रोड (शेरशाह सूरी रोड) जो वाराणसी से लेकर कन्याकुमारी तक जाती है जिसे मिर्ज़ापुर के बाद रीवां रोड के नाम से भी जानते हैं। मिर्ज़ापुर का दक्षिणी छोर मध्यप्रदेश को भी जोड़ता है। इस तरह आपको यहाँ आने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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