भारत विविधताओं का देश है ये तो हम सब जानते है।यहां हर जाति और धर्म के लोग है।जिनका रहन सहन, भाषा शैली,पहनावा,खान पान,रीति रिवाज, सब एकदम अलग है फिर भी एक चीज है जो सबसे common है वो ये की इतनी विविधता के बाद भी वो एक है एक देशवासी।पर क्या आप जानते है इस भारत देश के एक कोने में एक छोटा अफ्रीका भी बसा है।जी हां हमारे भारत देश में ही एक मिनी अफ्रीका भी है जोकि गुजरात के जंबूर गांव में है। जहां अफ्रीकी मूल के हजारों लोग सालो से रह रहे है।दरअसल गुजरात के जंबूर गांव में रहने वाले अफ्रीकी मूल के ये लोग सिद्धी जनजाति के लोग है जो यहां करीब 200 साल से भी पहले से रह रहे हैं।आज भारत में इन अफ्रीकी मूल के लोगो की संख्या 50 हजार से भी अधिक हो गई है जिस कारण इस। मिनी अफ्रीका का नाम दे दिया गया है। आइए जानते इस मिनी अफ्रीका के बारे में।
गुलाम बनाकर लाए गए थे ये अफ्रीकी
कहा जाता है कि सिद्धी जनजाति के लोग अरब देशों के मजदूर लोगो के वंशज हैं।दक्षिण पूर्व अफ्रीका के बंटू मूल के कई हब्श यहां आए थे। इसलिए इन्हें हब्शी कहा जाता है। कहा जाता है कि जूनागढ़ के नवाब ने इन्हे यहां लाया था।नवाब इन जनजाति के लोगो को अपने गुलाम के तौर पर यहां लाए थे और यहां के राजा रानियों को शौप दिया था।तब से ये लोग यहां रह रहे हैं। इनमें से अधिकतर अफ्रीकी इस्लाम धर्म को मानते हैं जबकि कुछ ईसाई और हिंदू धर्म को भी मानते हैं।
जंबूर गांव की लोककथा भी है प्रचलित
इस गांव के बारे में एक लोककथा भी काफी प्रचलित है।कहते है की गुजरात के जूनागढ़ के नवाब जब अफ्रीका गए तो उन्हें वहां पर एक अफ्रीकी लड़की से प्यार हो गया।जब नबाब उन्हें अपने साथ भारत लाए तो उस लड़की ने अपने साथ 100 सिद्धी जनजाति के लोगो को भी अपने साथ गुलाम बनाकर लाई।जी बाद में भारत में ही बस गए। और आज भी यहां रहते है।अफ्रीकी मूल के लोग न सिर्फ गुजरात में बल्कि पूरे भारत में हर जगह है।
गुजराती बोलते हैं ये अफ़्रीकी
आप को जान हैरानी होगी कि ये अफ्रीकी मूल के लोग अफ्रीकी नही बल्कि गुजराती में बात करते है।कई सालो से रहने की वजह से ये लोग वहां की भाषा सीख गए है और उसी में बात करते है।एक गुजरात का यह गांव एक पर्यटन स्थल के रूप में काफी प्रचलित है। यहां पर्यटक खास तौर पर इन अफ्रीकी के साथ फोटो खिंचवाने और इनके रहन सहन के बारे में जानने के लिए आते है।अगर आप कभी जंबूर गांव जायेंगे तो आप समझ जायेंगे कि ये लोग कितने अलग और अनोखे हैं। इन लोगों की ख़ासियत है कि ये किसी अन्य धर्म में शादी नहीं करते।बल्कि अपने धर्म और अपने समुदाय में हो शादी करते है।
खाना ,रीति रिवाज और मनोरंजन
वैसे तो इन्होंने भारत में रहकर भारत के कल्चर को अपना लिया लेकिन अपने कल्चर को यह लोग आज भी नही छोड़ पाए है।भले ही ये अफ्रीकी गुजराती खाना खाते है और गुजरे बोलते है लेकिन जब बात इनके रीति रिवाजों की आती है तो ये अपनी अफ्रीकी रीति रिवाज को हो फॉलो करते है।किसी भी खुशी के मौके पर ये अपना अफ्रीकी डांस करते है।ये डांस इनके जीविका चलाने का साधन भी है।पर्यटक अक्सर इनके डांस और कल्चर को देखने के लिए यहां आती है।जब भी आप गुजरात जाए तो जंबूर गांव जाना न भूले।
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