पहाड़ों में हर बार जाकर लगता है कि कुछ रह-सा गया है। कुछ और आगे किसी नई जगह पर जाया जा सकता था। हर नई जगहों को देखने के बाद लगता है कि यही सबसे सुंदर है। ये पहाड़ हमें आकर्षित करते हैं और बार-बार अपने पास बुलाते है। बहुत सारे लोग इन वादियों में भटकते भी रहते हैं। उत्तराखंड इन्हीं खूबसूरत वादियों का घर है। यहाँ पर बहुत मशहूर जगहें भी हैं और अनछुई जगहें भी हैं। फेमस जगहों को तो कभी भी एक्सप्लोर किया जा सकत है, रिमोट इलाके में स्थित जगहों पर कम ही लोग जा पाते है। उत्तराखंड में ऐसी ही खूबसूरत जगह है, मिलाम।
मिलाम उत्तराखंड का एक छोटा-सा गाँव है जो पिथौरागढ़ की जोहार घाटी में स्थित है। 1962 की जंग से पहले इस मार्ग से भारत और तिब्बत का व्यापार हुआ करता था। बॉर्डर के पास होने की वजह से यहाँ जाने के लिए परमिट लेना पड़ता है। यदि आप एडवेंचर के शौकीन हैं और उत्तराखंड की किसी छिपी हुई जगह पर जाना चाहते हैं मिलाप एकदम परफेक्ट जगह है। आपने कई खूबसूरत जगह देखी होंगी लेकिन इस जगह से सुंदर कुछ नहीं है।
मिलाम- आसान या कठिन?
मिलाम उत्तराखंड का बेहद खूबसूरत गाँव है जो समुद्र तल से 3,438 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मिलाप मुनस्यारी से 60 किमी. की दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने का एक ही रास्ता है, ट्रेकिंग। इसका मतलब है कि आपको 120 किमी. की ट्रेकिंग करनी होगी। मिलाम भारत के सबसे बड़े ट्रेक में से एक है, जिसके बारे में कम लोगों को पता है। इसे पूरा करने में लगभग 10-11 दिन लगते हैं। मिलाम ग्लेशियर से त्रिशुल, हरदौल, मैंग्रोन और सकराम जैसी पीक देखने को मिलती है। इस ट्रेक को करना आसान नहीं है लेकिन सबसे खूबसूरत नजारे कठिन रास्तों पर चलकर ही मिलते हैं।
ऐसे करें ट्रेक?
दिन 1ः मुनस्यारी पहुँचे
मिलाम ट्रेक मुनस्यारी से शुरू होता है इसलिए आपको मुनस्यारी पहुँचना होगा। आप दिल्ली से वाया रोड बस से मुनस्यारी पहुँच सकते हैं। इसके अलावा टेन से काठगोदाम पहुँचिए और फिर वहाँ से बस ये अल्मोड़ा होते हुए मुनस्यारी पहुँचना होगा। ये ध्यान रखें कि अंधेरा होने से पहने मुनस्यारी पहुँच जाएं और अपने जरूरत की चीजें ले लें। समुद्र तल से 2,290 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मुनस्यारी उत्तराखंड के जाने-माने हिल स्टेशनों में से एक है। यहाँ आप रात गुजारेंगे।
दिन 2ः मुनस्यारी से लिलम
अगले दिन सुबह-सुबह उठिए और ब्रेकफास्ट करने के बाद ड्राइव करते हुए स्योलकोट तक पहुँचिए। जहाँ से मिलाम ग्लेशियर ट्रेक शुरू होता है। लगभग 3 किमी. चलने के बाद आप गोरी गंगा के किनारे-किनारे चलने लगेंगे। पहाड़ों के बीच नदी किनारे चलना बेहद खूबसूरत है। जंगल और मैदान से भरा रास्ता आपको पसंद जरूर आएगा। आखिरी के कुछ किलोमीटर खड़ी चढ़ाई की वजह से कठिन हैं। जिसके बाद आप लिलम पहुँचेंगे। लिलम समुद्र तल से 1,850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहीं पर आप अपने-अपने टेंट में रात गुजारेंगे।
दिन 3: लिलम-बोगुदियार
ये दिन आपके लिए काफी मुश्किल भरा होगा। एक दिन पहले की थकान आप पर हावी रहेगी। इस वजह से इस दिन ज्यादा न चलें तो ही अच्छा है। आप लिलम से बोगुदियार तक जा सकते हैं जो सिर्फ 2 से 3 किमी. की दूरी पर है। रास्ता भी बहत ज्यादा कठिन नहीं है। हरे-भरे बुग्याल से गुजरते हुए आप बोगुदयार पहुँचेंगे। यहाँ आप बैठकर घंटों पहाड़ों को निहार सकते हैं।
दिन 4: बोगुदियार से रिकोट
रोज की तरह सुबह जल्दी उठिए और तैयार होकर रिकोट के लिए निकल पड़िए। इस दिन आपको लगभग 12 किमी. की ट्रेकिंग करनी होगी। इस दिन आपको बहुत सारे ब्रिज और धाराएं मिलेंगी। रास्ते में आपको लास्पा गाँव मिलेगा। जहाँ कुछ देर आराम करने के बाद रिकोट के लिए आगे बढ़ेंगे। रिकोट एक गाँव है जो समुद्र तल से 3,130 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ आप स्थानीय लोगों के साथ ठहर सकते हैं।
दिन 5ः रिकोट-मारतोली-मिलाम
इस दिन आपको सबसे लंबा और कठिन रास्तों पर चलना होगा। ब्रेकफास्ट करके मारतोली के लिए ट्रेकिंग शुरू कीजिए। रिकोट से मारतोली लगभग 7 किमी. की दूरी पर है। अब तक आपको पहाड़ों पर चलने की आदत भी हो गई होगी। मारतोली समुद्र तल से 3,430 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रिकोट से कुछ ही दूर चलने के बाद ट्रेक दो भागों में बंट जाता है। एक रास्ता उपर की ओर जाता है और एक नीचे की ओर। मिलाम जाने के लिए हमें नीचे का रास्ता लेना होगा।
बुर्फु और मारतोली इस ट्रेक के मिड प्वाइंट्स हैं। लगभग एक घंटे के बाद एक कच्चा पुल पार करने के बाद बुर्फ पहुँचोगे। बुर्फ से कुछ किमी. चलने के बाद हम मिलाम पहुँचेंगे। मिलाम इस ट्रेक का आखिरी गाँव है। इसी गाँव के नाम पर इस ट्रेक का नाम रखा गया है। यहीं पर मिलाप ग्लेशियर है। मिलाम उत्तराखंड के सबसे रिमोट गाँव में से एक है। यहाँ आप खूबसूरत नजारों के बीच स्थानीय लोगों से बात कर सकते हैं।
दिन 6: मिलाम ग्लेशियर देखें
अगले दिन सूरज उगने से पहले उठें और त्रिशुली पीक का खूबसूरत नजारा देखने के लिए लिए निकलें। गाँव से ग्लेशियर लगभग 3 किमी. की दूरी पर है। जब आप ग्लेशियर देखें तो हैरान रह जाएंगे। लगभग 10 किमी. लंबा ये ग्लेशियर बेहद खूबसूरत है। अगर आपने ग्लेशियर नहीं देखा है तो खुशी से झूम उठेंगे। उत्तराखंड के खूबसूरत नजारों को देखने के बाद उसी दिन मिलाम गाँव आइए और रात में ठहरिए।
दिन 7: मिलाम गाँव से रिकोट
मुनस्यारी से 60 किमी. पैदल आए हो तो पैदल ही लौटना होगा। मिलाम गाँव से रिकोट 16 किमी. है। लगभग 7 घंटे की यात्रा के के बाद आप रिकोट पहुँच जाएंगे। ये जगह जन्नत क्यों है? ये आपको यहाँ आकर समझ आ जाएगा। आपको रात में रिकोट ही ठहरना होगा।
दिन 8: रिकोट से बोगुदियार
जैसे-जैसे नीचे की तरफ आएंगे रास्ता आसान हो जाएगा। रिकोट से बोगुदियारी भी 12 किमी. है। लगभग 5 घंटे चलने के बाद बोगुदियार पहुँच जाएंगे। रास्ते में आपको घास के मैदान और खूबसूरत झरने मिलेंगे। जहाँ आप कुछ देर ठहर सकते हैं।
दिन 9: बोगुदियार-लिलम
बोगुदियार से लिलम तक जाने का रास्ता बहुत आसान है। लगभग 14 किमी. का रास्ता आप कुछ ही घंटों में तय कर लेंगे। आप अपनी थकान लिलम में मिटा सकते हैं।
दिन 10: लिलम से मुनस्यारी
मिलाम ग्लेशियर का ये आखिरी दिन है। लिलम से मुनस्यारी की दूरी 14 किमी.। सुबह-सुबह अगर आप निकलते हैं तो दिन में मुनस्यारी पहुँच जाएंगे। जहाँ से आप अल्मोड़ा होते हुए काठगोदाम पहुँच सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
मिलाम ग्लेशियर या गाँव तक जाने के लिए कोई रोड कनेक्टविटी नहीं है। आपको ट्रेकिंग करके ही मिलाम पहुँचना होगा। रास्ते में कई सारे गाँव हैं लेकिन आपको अपने साथ टेंट और स्लीपिंग बैग तो रखना ही है। अगर रहने के लिए जगह नहीं मिलती है तो टेंट मे आराम कर सकते हैं।
सुझावः
- मिलाम ट्रेक बहुत लंबा है और इसमें काफी दिन भी लगते हैं इसलिए ट्रेक पर जाने से पहले फैमिली को बता दें।
- इस ट्रेक को करने के लिए अकेले न जाएं। आप एक ग्रुप या 1-2 लोगों के साथ करें।
- अगर आप गाइड लेते हैं तो आपको ट्रेक करने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
- अगर आप पूरी तरह से फिट हैं तब ही इस ट्रेक को करने के बारे में सोचें।
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