उज्जैन के एक कैलाशी परिवार के घर शादी समारोह के दौरान महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग की भस्म आरती को देखने का अवसर मिला। सुबह 4 बजे से ज्योर्तिलिंग का श्रृंगार शुरू होता हैं और करीब 5 बजे से आरती।
इसमें शामिल होने के लिए एडवांस्ड बुकिंग की जरूरत होती हैं। यहां, आरती में शामिल होने के लिए ,अंधेरे में करीब 2.30 बजे से ही लाइन लगना चालू हो जाती हैं। हालांकि , हमारी सब बुकिंग शाद वाले परिवार की तरफ से ही थी,तो बुकिंग प्रोसेस का मुझे आइडिया नही लग पाया।लेकिन अभी जस्ट मैंने इसके बारे में इंटरनेट पर डिटेल्स ढूंढी और पाया कि इसकी बुकिंग करने के लिए 100 रूपये का एक निश्चित अमाउंट पे करना होता हैं।आरती में शामिल होने के लिए आपको बुकिंग फॉर्म के साथ अपना पहचान पत्र भी साथ रखना होता हैं।भीड़ काफी होती हैं तो यहाँ ध्यान यह रखना होता हैं कि ऐसी जगह बैठा जाय जहाँ से शिवलिंग साफ़ दिखाई दे रहा हो। हालाँकि हम लोगों का नंबर आलरेडी सबसे आगे ही था। गर्भगृह में 4 बजे से शुरू होने वाले शृंगार एवं आरती को मंदिर में लगी अलग अलग स्क्रीन्स पर लाइव भी दिखाया जाता हैं ,ताकि कोई भी इसको देखने से वंचित ना रहे।
श्रृंगार और आरती केवल वहां के पुजारी ही करते हैं। भांग ,दूध ,दही ,शहद ,डॉयफ्रुइट्स के उपयोग के अलावा इस सुबह की आरती श्रृंगार में जो बात ख़ास हैं वह हैं - श्मशान की ताजा भस्म। ज्योतिर्लिंग को रोज अलग-अलग रूप से श्रृंगारित कर ,कुछ समय भस्म से आरती की जाती हैं। भस्म आरती के उन कुछ समय स्त्रियों को शिवलिंग की तरफ देखने से मना किया जाता हैं।ऐसा सुना है कि इस भस्म के लिए भी पहले से लोग मंदिर में रजिस्ट्रेशन कराते हैं कि मृत्यु के बाद उनकी भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है।लेकिन अब सुना हैं कि श्मशान की राख की जगह गाय के गोबर के कंडे की राख से आरती की जाती हैं।
इन सबके अलावा , दिन के एक निश्चित समय पर गर्भगृह में जाकर भी शिवलिंग के दर्शन किये जा सकते हैं ,जिसके लिए करीब 1500 रूपये जमा करवाने होते हैं। यहाँ के लिए भी हम कुछ कैलाशियों का ग्रुप तैयार था लेकिन ,गर्भगृह में दर्शन हो नहीं पाए थे क्योंकि हम कुछ देरी से पहुंचे थे।
'कैलाशी' उनके नाम के आगे लगाया जाता हैं जिन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा कर ली हो।साल में कई बार कई जगहों पर कैलाशी सम्मान समारोह भी आयोजित होते रहते हैं।जिस परिवार की शादी समारोह में शामिल हुआ था ,उन्होंने भी शादी में पधारे सभी कैलाशियों के लिए छोटा सा सम्मान समारोह आयोजित किया और नवदम्पति से सभी कैलाशियों का स्वागत करवाया।
उज्जैन आने वाले यात्रियों के लिए अन्य स्थलों में ओम्कारेश्वर ,महेश्वर और देवास माता जैसे धाम भी शामिल हैं जिनके लिए 2 से 3 दिन एक्स्ट्रा चाहिए। बरसात के बाद का मौसम यहाँ के लिए सबसे बढ़िया हैं ,क्योकि इस समय वहां गर्मी इतनी ज्यादा हैं कि मैं खुद भी अभी बिना कही गए , गाडी घुमाकर वापस भीलवाड़ा ले आया।
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