बादलों का घर, घने जंगल, घनघोर बारिश और गहरी हरियाली। मॉनसून के मौसम में तो मेघालय स्वर्ग सरीखा हो जाता है। मेघालय जब भूगोल की किताबों से निकलकर अपने वास्तविक स्वरूप में तो और भी अपना सा लगता है। कौन कौन सी जगहें हैं, वहाँ क्या करें, कहाँ रहें, सारी जानकारी यहाँ पर आपके लिए ही है।
घूमने के लिए बढ़िया जगहें
मेघालय बहुत बड़ा प्रदेश नहीं है, लेकिन जिन्हें पहाड़ों और हरियाली से प्रेम है, उनके लिए तो कदम कदम पर प्यार उमड़ेगा।
1. शिलॉन्ग
मेघालय को कुदरत से जितना प्यार मिला है, उसके केन्द्र में आता है, शिलॉन्ग। पर्यटन के हिसाब से इस पर ख़ूब प्यार लुटाया गया है ऊपर वाले ने, अशर्फ़ियाँ भर भर के। प्रदेश की पर्यटन से होने वाली कमाई का बढ़िया स्रोत। यहाँ आपको पुराने ज़माने की चमक दिखेगी, दिखेगा एक नयापन भी। अपनी ट्रेवल यात्रा को कुछ दिन यहाँ रोकना नुक़सान का सौदा नहीं है।
आप एक दिन में शहर घूम लेंगे आसानी से, और एक दिन यहाँ की पारम्परिक संस्कृति को दे दीजिए। आकर्षक नज़ारे, अलहदा संस्कृति और देसी पकवान हमेशा ही इस शहर की पहचान रहे हैं।
शिलॉन्ग से 15 किमी0 दूर उमियम झील घूमने लायक है। शहर से आपको यहाँ के लिए जाने की पर्याप्त बसें गाड़ियाँ भी मिल जाएँगी। सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए दर्शकों का जमावड़ा तो जमता ही है, साथ ही यह झील जिस पूर्वी खासी पहाड़ियों के इर्द गिर्द बसी है, वह भी देखने लायक है। पास में ही पिकनिक मनाने के लिए बाग हैं। लग्ज़री रिसॉर्ट और होटलों से घिरे इस शहर में रुकने की दिक्कत आपको शायद ही हो।
2. मॉसिनराम
कुल जमा 60 किमी0 की दूरी होगी शिलॉन्ग से मॉसिनराम की। दो घण्टे का ये सफ़र आपका हमसफ़र न हो जाए, तो जो कहो वो क़ुरबान कर देंगे। भारत के सबसे ज़्यादा बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में एक। प्रकृति प्रेमियों के लिए तो क्या नहीं है यहाँ। गाँव के गाँव जन्नत हैं। एक स्टैलेगमाइट है यहाँ का, जिसकी तुलना शिवलिंग से की जाती है। यहाँ पर जब भी आएँ, एक टूर गाइड के साथ ही आएँ, ताकि लोकल लोगों की भाषा समझने में समस्या न हो।
3. चेरापूँजी
चेरापूँजी घूमे बिना ट्रिप कब ख़त्म हुआ है। चाहे यहाँ का डबल डेकर ब्रिज हो, या फिर सैकड़ों की संख्या में दर्शनीय स्थल। वैराग्य प्राप्त करने से पहले लोग यहाँ के पहाड़ों की हरियाली देखने ख़ूब आते हैं। ताकि बाद में अफ़सोस तो न हो। शिलॉन्ग से 55 किमी0 दूर इस शहर को घूमने के लिए टैक्सी मिल जाती हैं। भारत के शायद सबसे ज़्यादा झरने आपको इस शहर में देखने मिलें।
यहाँ पर 2400 फ़ीट ऊँचे डबल डेकर जिंगकिंग नॉनग्रेट ब्रिज को देखने सैकड़ों पर्यटक आते हैं। सिर्फ़ पुल को देखने नहीं, जिस उमशियांग नदी पर बना है, वो और उसके आस-पास की हरियाली देखने भी। कैब आपको टारना गाँव पर उतार देगी, वहाँ से आपको 2 घण्टे का ट्रेक ख़ुद से करना होगा। बादलों में सराबोर होते इस पुल को देखने का अनुभव सच में जादुई है। मवसई गुफाएँ और नोहकलिकाई जलप्रपात को देखने का मौक़ा ग़लती से भी न छोड़ें।
4. मॉलिननोंग
याद करो, जब एक गाँव को एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव का अवॉर्ड मिला था। मॉलिननोंग वहीं गाँव है। एक छोटा, कुदरत के प्यार से जन्मा यह गाँव शिलॉन्ग से 100 किमी0 दूर है, जो कि बांग्लादेश बॉर्डर के काफ़ी नज़दीक है। चाहे घने जंगल हों, या फिर फूलों के बड़े बागान, पेड़ों की जड़ों वाला पुल यहाँ बहुत प्रसिद्ध है। प्रकृति प्रेमियों के लिए अति अति उत्तम। केवल इस गाँव को घूमने के लिए दो दिन का समय निकाल कर चलिए।
क्योंकि उसमें आपको मॉलिननोंग झरना घूमना है, जो कि है तो बहुत बड़ा नहीं लेकिन पर्यटकों का ख़ूब प्यारा है। फिर रिवई गाँव जाना है, जहाँ ख़ूब सारे नए रास्तों पर घूमना है। हरे जंगलों के बीच घूमते टहलते ये दो दिन कब बीत जाएँगे, पता नहीं चलेगा।
बस रह जाएँगी तो मेघालय की ढेर सारी यादें, जिन्हें बार बार जीने के लिए आप इस जगह का रुख़ करोगे।
घूमने के लिए अन्य जगहों में तूरा, जोवई, नोंगपोह, डॉकी और विलियमनगर भी मशहूर हैं, जिनके बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए।
ठहरने के लिए बढ़िया जगहें
लग्ज़री होटल
- री किंजई, शिलॉन्ग
- लक्खाता लॉज, शिलॉन्ग
- पोलो ऑर्किड रिसॉर्ट, चेरापूँजी
- होटल पोलो टावर्स, शिलॉन्ग
- ऑर्किड लेक रिसॉर्ट, उमियाम झील के पास
बजट में होटल
- होटल बारबरीक इन, शिलॉन्ग
- सैन नियाल ला रिसॉर्ट, चेरापूँजी
- ड्यू ड्रॉप इन, शिलॉन्ग
- ट्रेवेन्जो कैंपिंग, डॉकी
ज़ायका
जब भी यहाँ पर आना हो, मेघालय का लोकल खाना ज़रूर ट्राय करें।
जदोह, यह डिश यहाँ के हर रेस्तराँ में मिलेगी। लाल चावल से बनने वाली इस डिश को पोर्क, चिकन या मछली के साथ बहुत पसन्द किया जाता है। कुछ जगहों पर इसे पोर्क के ख़ून में भी पकाया जाता है, जो यहाँ इस डिश की विशेषता को और निखार देता है।
दो खेलिह भी यहाँ की लाजवाब डिशों में मानी जाती है। सुअर के दिमाग और हरी साग सब्ज़ियों से बनी इस डिश को ब्रेड के साथ चाव से खाया जाता है।
इन डिशेज़ के अलावा नहकम, दोह नियोंग, पुमालोइ, दोह जेम, दो कप्पा और पुदोह भी बड़े स्वाद से चखी जाती हैं।
घूमने का सही समय
अधिकतर लोग मेघालय घूमने के लिए अप्रैल से जून का महीना चुनते हैं। कारण, सर्दियों की हाण्ड कँपाने वाली सर्दी से आज़ादी। इसके साथ ही मेघालय के दो प्रमुख उत्सव भी इस सीज़न में होते हैं, शाद सुक मिनसियम और चाद सूकरा।
इसके साथ ही मेघालय को घूमने के लिए सबसे ख़राब मौसम होता है मॉनसून का। इस प्रदेश के दो बड़े शहर, चेरापूँजी और मॉसिनराम हर साल भारी बारिश ख़ुद ही तोड़ते हैं। लेकिन मॉनसून के बाद यहाँ आना वाक़ई शानदार अनुभव होता है। उस समय मौसम भी साफ़ होता है और बारिश भी कम होती है, मतलब पर्यटन के लिए परफ़ेक्ट।
कैसे पहुँचें
रेल मार्गः मेघालय के सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन गुवाहाटी का है, जहाँ से मेघालय 180 किमी0 दूर पड़ता है। गुवाहाटी के लिए आपको दिल्ली, अमृतसर, बंगलौर जैसे बड़े शहरों से ट्रेन आसानी से मिल जाएँगी।
हवाई मार्गः गुवाहाटी का लोकप्रिय गोपीनाथ हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी है, जो क़रीब 160 किमी0 दूर है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता से आसानी से फ़्लाइट आपको मिल जाएँगी।
सड़क मार्गः मेघालय में आने और घूमने का सबसे बढ़िया रास्ता है सड़क का। अच्छी सड़कों से सुसज्जित मेघालय की वादियों का स्वाद इन सड़कों पर गाड़ियाँ घुमाते ही बनता है।
क्या कहना चाहेंगे आप इस आर्टिकल के बारे में, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।