हमारा देश भारत कितना अद्भुत है और यहाँ के लोग कितने प्रतिभाशाली हैं, दुनिया में जिनको इसका अंदाज़ा नहीं भी था उन सभी को भी हमारे चंद्रयान-3 ने भारत को चाँद पर पहुंचाकर इसका जवाब बखूबी दे दिया है। भारत में प्रतिभाशाली लोगों की तो कोई कमी है ही नहीं बल्कि यहाँ तो ऐसी अनेक अद्भुत प्राकृतिक जगहें भी मौजूद हैं जिसको देखकर किसी के भी होश उड़ जाएँ। यहाँ पर्यटक स्थलों के रूप में ऐसी कई अद्भुत जगहें हैं जिनकी एक झलक आपको हैरान करने के लिए काफी है। मध्यप्रदेश में स्थित ऐसे ही एक बेहद रहस्यमयी और अद्भुत पर्यटन स्थल के बारे में हम आपको आज बताने वाले हैं जहाँ एक विशाल चट्टान एक दूसरी चट्टान पर बिना किसी अड़चन के सालों से सिर्फ कुछ इंच के बेस पर टिकी हुई है। साथ ही इसके पीछे का राज आज तक कोई भी समझ नहीं पाया। तो चलिए बताते हैं आपको इसकी पूरी जानकारी...
बैलेंसिंग रॉक, जबलपुर
मध्यप्रदेश में जबलपुर शहर वैसे अनेक पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है लेकिन जबलपुर शहर के पास ही स्थित बैलेंसिंग रॉक या फिर संतुलित शिला एक अद्भुत और रहस्यमयी दर्शनीय स्थल है। आपको बता दें कि जबलपुर की ग्रेनाइट की चट्टानों के लिए जबलपुर भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्द है और जबलपुर में ही चट्टानों के इस अद्भुत संतुलन वाले इस प्राकृतिक उपहार को देखने का मौका भी आपको मिलता है। इन चट्टानों को एक बार देखकर तो आपको लगेगा मानो बस कोई हवा का झोंका भी इस कई क्विंटल वजनी चट्टान को कभी भी गिरा देगा। लेकिन बस यहीं आप सोच गलत साबित हो जाएगी क्योंकि इसे हवा तो क्या 6.5 तीव्रता का भूकंप भी एक इंच भी नहीं हिला पाया। चट्टान जिस बेस पर टिकी है वो मुश्किल से 6 इंच चौड़ा होगा। आपको बता दें कि यह एशिया के तीन सबसे अद्भुत बैलेंसिंग रॉक में शामिल है और जबलपुर में मदन महल की पहाड़ी पर रानी दुर्गावती किले के पास ही स्थित है।
बैलेंसिंग रॉक का रहस्य
प्रकृति की कलाकारी के आगे दुनिया के सभी कलाकार नतमस्तक हो जाते हैं। यहाँ भी कुछ ऐसा ही है, एक बेहद बड़ा पत्थर दूसरे पत्थर पर सैंकड़ों वर्षों से इस तरह से टिका हुआ है जिसे आप कल्पना में भी सोच नहीं सकते। यही नहीं यहाँ जबलपुर में जब वर्ष 1997 में एक बेहद खतरनाक भूकंप जिसकी तीव्रता 6.5 बताई जाती है जिसमे कई इमारतों को भी अच्छा खासा नुक्सान हुआ था तब भी यह रहस्यमयी चट्टान एक इंच भी अपनी जगह से नहीं खिसकी जिसने सभी को हैरान करके रख दिया। एक छोटी सी धुरी पर टिकी इस विशाल चट्टान के बारे में कई बार वैज्ञानिकों ने शोध भी किया लेकिन आज तक इसके पीछे का कोई ठोस कारण वो बता ही नहीं पाए।
क्या कारण देते हैं वैज्ञानिक?
हालाँकि इस अद्भुत चट्टान के पीछे क्या कारण है इसका कोई ठोस जवाब आज तक नहीं मिल पाया है लेकिन अगर वैज्ञानिकों की माने तो ये चट्टानें बेहद प्राचीन समय में मैग्मा के जमने से निर्मित हुई होंगी जिसे विज्ञान की शब्दावली में ग्रेनाइट बॉक्स भी कहा जाता है। इसके पीछे की एक वजह ये भी है की जबलपुर के आस पास के इलाकों में ऐसी कई संतुलित शिलायें देखी जाती हैं और जबलपुर भूकंप के लिहाज़ से भी एक संवेदनशील इलाके में आता है।
कुछ वैज्ञानिक इस चमत्कार के पीछे गुरुत्वाकर्षण बल को बताते हैं और ऐसा बताया जाता है कि गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव ही इन पत्थरों को इस तरह जमाये रखे है। अब वजह चाहे कुछ भी लेकिन ये है तो प्रकृति का चमत्कार ही और देखने वालों के लिए किसी अद्भुत दृश्य से कम बिलकुल नहीं है।
बैलेंसिंग रॉक के पास घूमने लायक जगहें
आपको बता दें कि इस संतुलित शिला के चारों ओर एक सुन्दर हरियाली से भरा बगीचा बना है जहाँ आप कुछ समय सुकून से बैठ सकते हैं। फिर वहां पास में ही रानी दुर्गावती का किला भी है जिसे आप देखने जा सकते हैं। रानी दुर्गावती के बारे में बताया जाता है कि वो एक आदिवासी शासक थी और उन्होंने ही यहाँ इस पहाड़ी की चोटी पर ये खूबसूरत किले का निर्माण करवाया था जिसे हम मदन महल के नाम से भी जानते हैं। इसके अलावा यहाँ पास में ही एक प्राचीन शारदा माता जी का मंदिर भी बना हुआ है जहाँ भी माता के दर्शनों के लिए आपको जरूर जाना चाहिए। अगर आप मानसून के समय यहाँ जाते हैं तो चारों ओर घनी हरियाली के बीच आपको ये सभी स्थान बेहद खूबसूरत लगने वाले हैं।
साथ ही आपको बता दें कि यहाँ बगीचे आपको 1-2 नहीं बल्कि कई बैलेंसिंग रॉक देखने को मिलेंगे।
यहाँ कैसे पहुंचे ?
आपको बता दें कि जबलपुर आने के लिए आप हवाई, सड़क या फिर रेल मार्ग में से कोई भी चुन सकते हैं क्योंकि जबलपुर का अपना एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी बड़े शहरों से हवाई और रेल मार्गों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा देश के सभी शहरों से जबलपुर की कनेक्टिविटी सड़क मार्ग से भी काफी अच्छी है अगर NH-7 की बात करें तो यह जबलपुर से ही गुजरता है।
फिर जबलपुर पहुंचकर आप अपने वाहन या फिर टैक्सी वगैरह की सहायता से आसानी से बैलेंसिंग रॉक तक पहुँच सकते हैं जो कि जबलपुर रेलवे स्टेशन से सिर्फ 7 किलोमीटर और जबलपुर एयरपोर्ट से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
तो अगर आप जबलपुर घूमने जा रहे हैं या फिर जबलपुर या आस पास ही रहते हैं तो इस स्थान पर घूमने जरूर जाएँ। बैलेंसिंग रॉक का अद्भुत दृश्य देखने के साथ ही आप ऊपर बतायी गयी जगहों पर भी जा सकते हैं। इससे जुडी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है और अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा तो प्लीज इसे लाइक जरूर करें और ऐसी और जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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