मैक्लोडगंज एक ऐसी खूबसूरत जगह है हिमाचल में जो हर श्रेणी के यात्रियों के बीच काफी मशहूर है। मेरे माँ-बाप ने यहाँ चार धाम की यात्रा की तो मेरा कॉलेज के दोस्तों के साथ पहला हिल स्टेशन ट्रिप भी यहीं लगा। ट्रिप से याद आया, कई लोग यहाँ 'ट्रिप' करने भी आते हैं तो भक्ति की तलाश में दलाई लामा के दर्शन भी यहीं होते है। फिर आते हैं ट्रिप नहीं ट्रेक के शौकीन जो त्रिउंड का ट्रेक करने की इच्छा रखते हैं। अब बताइये एक ही जगह पर इतने प्रकार के पर्यटक आपको कहाँ मिलेंगे।
बस स्टॉप से लगभग 2-3 कि.मी. की दूरी पर छुपा है यह नगीना। एक मिनी ट्रेक के बाद जब आपके ऊपर ठंडे पानी की छींटे पड़ेंगे तो ही आप विश्वास कर पाएँगे मेरी बातों पर। अगर थोड़ा समय और जवानी का जोश है तो शिवा कैफे पर जाकर मैग्गी के मज़े ज़रूर लीजियेगा।
हिमाचल में बसे इस शहर में तिब्बत के काफी प्रवासी रहते हैं। और उनके मसीहा, भगवान और गुरु दलाई लामा का घर भी यहीं है। दुनिया के हर कोने से लोग यहाँ बौद्ध धर्म का पाठ करने आते हैं। आपको आस पास काफ़ी सन्यासी दिख जाएँगे जो मोनास्ट्री में काम और सेवा करते हैं। दलाई लामा शायद आपको ना दिख पाएँ, पर शांति से आप रूबरू ज़रूर हो जाएँगे। इस बादलों के बीच बसे हुए मंदिर में आपको एहसास होगा कि शायद जन्नत का रास्ता यहीं से शुरू होता है।
7 कि.मी. का यह मदहोश कर देने वाला ट्रेक आपको बिन नशे ट्रांस में पहुँचाने में सफल होगा। मेरे गैरन्टी है। आना जाना 14 कि.मी. है जिसके लिए आपको एक पूरा दिन तो निकलना पड़ेगा। सफर का आग़ाज़ जितनी जल्दी करेंगे उतना बहतर। आपके पास पहाड़ी पर ऊपर टेंट में कैम्प करने का भी ऑप्शन है जिसके बारे में आप पक्का सोचेंगे, ऊपर का नज़ारा देखकर। और रास्ते में आने वाले नज़ारों को भी कम मत समझना। बस कम्फ़र्टेबल जूते पहन कर प्रकृति की खूबसूरती के और करीब चले जाना। (फिलहाल यहाँ पर रात को रुकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यात्रा करने से पहले इसकी जानकारी ज़रूर ले लें।)
यहीं पहुँच कर आपको शायद थोड़ा बुरा लगेगा कि आपने क्रिकेट को अपना करियर क्यों नहीं बनाया। बर्फीले पहाड़ों से घिरा यह मैदान एक खिलाड़ी के लिए वरदान है। आप तो बस ₹45 देकर इस नज़ारे का मज़ा उठा सकते हैं। धर्मशाला, मैक्लोडगंज से 10 कि.मी. पहले आता है। यहाँ जाने के लिए आपको बस, टैक्सी का सहारा लेना पड़ेगा।
मैक्लोडगंज में खाना-पीना
बाकी आप समझदार पर्यटक हैं, मुझे पता है आप भी वहाँ जाकर ना सिर्फ वादियों का आनन्द उठाएंगे पर उस जगह की शांति और खूबसूरती को बनाए रखने में साथ निभाएंगे। कचरा और प्लास्टिक को सही से डिस्पोज़ ज़रूर करना दोस्तों।
मेरा मकसद है कुछ शब्दों में आपको मैक्लोडगंज की सैर करवाना। दिल्ली से सफर की शुरुआत कीजिये। आई एस बी टी से आपको हिमाचल टूरिज्म और प्राइवेट, दोनों बसें मिल जाएँगी। शाम को बैठ जाइये और सुबह 7 से 10 के बीच आप मैक्लोडगंज में होंगे।
हसीन मौसम से स्वागत होने का 99 प्रतिशत चांस है।
चलिए बात करते हैं कुछ ऐसे स्थल की जो मैक्लोडगंज को खूबसूरत बनाते हैं:
बस स्टॉप से लगभग 2-3 कि.मी. की दूरी पर छुपा है यह नगीना। एक मिनी ट्रेक के बाद जब आपके ऊपर ठंडे पानी की छींटे पड़ेंगे तो ही आप विश्वास कर पाएँगे मेरी बातों पर। अगर थोड़ा समय और जवानी का जोश है तो शिवा कैफे पर जाकर मैग्गी के मज़े ज़रूर लीजियेगा।
हिमाचल में बसे इस शहर में तिब्बत के काफी प्रवासी रहते हैं। और उनके मसीहा, भगवान और गुरु दलाई लामा का घर भी यहीं है। दुनिया के हर कोने से लोग यहाँ बौद्ध धर्म का पाठ करने आते हैं। आपको आस पास काफ़ी सन्यासी दिख जाएँगे जो मोनास्ट्री में काम और सेवा करते हैं। दलाई लामा शायद आपको ना दिख पाएँ, पर शांति से आप रूबरू ज़रूर हो जाएँगे। इस बादलों के बीच बसे हुए मंदिर में आपको एहसास होगा कि शायद जन्नत का रास्ता यहीं से शुरू होता है।
7 कि.मी. का यह मदहोश कर देने वाला ट्रेक आपको बिन नशे ट्रांस में पहुँचाने में सफल होगा। मेरे गैरन्टी है। आना जाना 14 कि.मी. है जिसके लिए आपको एक पूरा दिन तो निकलना पड़ेगा। सफर का आग़ाज़ जितनी जल्दी करेंगे उतना बहतर। आपके पास पहाड़ी पर ऊपर टेंट में कैम्प करने का भी ऑप्शन है जिसके बारे में आप पक्का सोचेंगे, ऊपर का नज़ारा देखकर। और रास्ते में आने वाले नज़ारों को भी कम मत समझना। बस कम्फ़र्टेबल जूते पहन कर प्रकृति की खूबसूरती के और करीब चले जाना। (फिलहाल यहाँ पर रात को रुकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यात्रा करने से पहले इसकी जानकारी ज़रूर ले लें।)
यहीं पहुँच कर आपको शायद थोड़ा बुरा लगेगा कि आपने क्रिकेट को अपना करियर क्यों नहीं बनाया। बर्फीले पहाड़ों से घिरा यह मैदान एक खिलाड़ी के लिए वरदान है। आप तो बस ₹45 देकर इस नज़ारे का मज़ा उठा सकते हैं। धर्मशाला, मैक्लोडगंज से 10 कि.मी. पहले आता है। यहाँ जाने के लिए आपको बस, टैक्सी का सहारा लेना पड़ेगा।
मैक्लोडगंज में खाना-पीना
अब इतना सफर करके भूख लगना तो लाज़मी है। मैक्लोडगंज आपको बहुत विकल्प देगा। हर तरीके के यात्री के लिए हर तरीके का खाना। पंजाब के पास होने की वजह से बटर चिकन और परांठे भी आपको उतने ही अच्छे मिलेंगे जितने के स्टीम मोमोज़। मेक्लोड, स्नो लायन कैफे और कॉमन ग्राउंड कैफे का काफी नाम है, उनके लाजवाब स्वाद और सर्विस की वजह से।
बाकी आप समझदार पर्यटक हैं, मुझे पता है आप भी वहाँ जाकर ना सिर्फ वादियों का आनन्द उठाएंगे पर उस जगह की शांति और खूबसूरती को बनाए रखने में साथ निभाएंगे। कचरा और प्लास्टिक को सही से डिस्पोज़ ज़रूर करना दोस्तों।
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