साफ-सफाई और स्वच्छ्ता हर किसी को पसंद आता है पर बात जब आस-पास की स्वच्छ्ता की आती है तो बहुत ही कम लोग है जो इसमें आगे आते है।पर क्या आपको पता है भारत का एक ऐसा भी गाँव है जो भारत ही नही पूरे एशिया का स्वच्छ गाँव है।ऐसा गाँव जो बड़े-बड़े शहरो को भी शर्मिंदा कर दें।ऐसा ही एक गाँव है मेघालय का "मावलिननॉन्ग"।2003 में इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव घोषित किया गया।ये गाँव मेघालय की पूर्व खासी पहाड़ियों में बसा है। इस गांव की खासियत यही है कि यह 'भगवान का अपना बगीचा' यानी भगवान का बागीचा बोला जाता है। इसकी सड़कों पर हरियाली है और यहां की सड़कों पर आपको पत्ते तक दिखाई नहीं देंगें।तो अगर आप प्रकृति प्रेमी है और एक स्वच्छ स्थान की तलाश में है तो चले आइये मेघालय।
मावलिननॉन्ग के लोग
यहाँ विशेष रूप से खासी जनजाति के लोग रहते हैं और यहां के लोग सफाई को बेहद गंभीरता से लेते हैं।यहाँ के लोग स्वच्छता के प्रति इतने जागरूक है कि वो अपने घरों के साथ साथ सड़को की भी सफाई खुद ही करते है।2007 के बाद से ही यहाँ प्रत्येक घरो में शौचालयों की व्यवस्था है। हर घर के बाहर कूड़े के लिए बांस से बना कूड़ेदान है। इस गांव का मुख्य कार्य और आय का प्रमुख स्रोत कृषि है।। ये गांव पुरुष नहीं बल्कि महिला प्रधान है और यहां पर बच्चे अपनी मां का सरनेम लगाते हैं। दुनियाभर के लिए ये गांव किसी मिसाल से कम नहीं है।
प्लास्टिक का नहीं होता है इस्तेमाल
इस खूबसूरत गांव में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यहाँ बांस की बनी हुई डस्टबीन का प्रयोग किया जाता है। इस गांव में लोग सामान ले जाने के लिए कपड़ों से बने थैलों का प्रयोग करते हैं। साथ ही अगर कोई टूरिस्ट कोई कचरा फेक दे तो यहाँ के लोग खुद ही साफ करते है।यहाँ के बच्चे भी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं।यहाँ के लोग अच्छी अंग्रेजी बोल लेते है।यहाँ लकड़ी का इस्तेमाल ज्यादा होता है।
साक्षरता दर 100%
अगर आपको लगता है कि यह गाँव है और यह के लोग ग्वार है तो आप बिलकुल गलत है यहाँ के सभी लोग शिक्षित है और अपने कार्य के प्रति काफी डेडिकेटेड है।ये लोग अपने घरों के कचरे को यहाँ-वहाँ फेकने के बजाए उसे रिसाइकिल करके खाद के रूप में प्रयोग लाते है।अब आप खुद ही सोचिए यहां के लोग कितने एडवांस हैं।
पेड़ों की जड़ों से बनाए गए हैं ब्रिज
यहाँ पर ब्रिज को पेड़ो के जड़ो से बनाया गया है जो बहुत ही सुंदर और आकर्षण लगता है।यह ट्रेकिंग के लिए खास है और यहां प्रकृति प्रेमी आते हैं। देश विदेश से लोग यहाँ यह देखने आते है।साथ ही यहाँ आपको लकड़ी बास के घर देखने को मिलेंगे।
खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन
यह एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन है।यह चारो तरफ आपको हरियाली देखने को मिलेगी। नदी ,झरने, पहाड़,लिविंग रूट ब्रिज, आपका मन मोह लेंगे।यहाँ की dwaki नदी का पानी इतना साफ और स्वच्छ है कि आपको ऐसा लगेगा की आप पानी के ऊपर नही हवा में तैर रहे हो।यह गांव भारत-बंगलादेश बॉर्डर पर स्थित है ।यहाँ आप स्काई व्यू देखने को मिलेगा।जहाँ से आपको बांग्लादेश का बॉर्डर साफ दिखाई देगा।साथ ही कई रंग बिरंगे फूलो के गार्डन भी आपको देखने को मिल जाएगा।इसके अलावा यहां पर चर्च ऑफ एपीफेनी है जो काफी चर्चित है।
मावलिननॉन्ग का भोजन
अगर आप गांव में जाये तो इस गांव में रहते हुए ऑगेनिक उत्पादों से बने स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद जरूर चखें। यहाँ पर लोग खाने की सभी चीज़ें खुद अपने खेतों में उगाते हैं। यहाँ पर लाल चावल से बनी डिश जदोह जरूर खाएं। इसमें पोर्क आौर चिकन को मसालों के साथ पका कर बनाया जाता है। इसके अलावा मावल्यान्नॉंग में तुंग्रींबाई, मिनिल सोंगा, पुखलेइन भी खा सकते हैं।यहाँ पर केले के फूल की सब्जी बहुत अच्छी मिलती है।
आने का सही समय
वैसे आप यह किसी समय भी आ सकते है,लेकिन मॉनसून और इसके बाद वाले महीनों में इस जगह की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप मावलिनोंग की संस्कृति के बारे में जानना चाहते हैं तो आप यहाँ जुलाई के महीने में आएं। इस दौरान यहाँ पर बेहदिएनखलाम उत्सव का आयोजन होता है और नवंबर के महीने में नोंगक्रेम नृत्य उत्सव भी मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे
मावलिननॉन्ग शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दूर है और चेरापूंजी से इसकी दूरी 92 किलोमीटर की है।तो आप कही से भी यहाँ आ सकते है। मेघालय में शिलॉन्ग टर्मिनल यहाँ का निकटतम हवाईअड्डा है। आप शिलॉन्ग हवाईअड्डे से यहाँ सड़क मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं। मावल्यान्नांग (मावलिनोंग) पहुंचने का सबसे बेहतर रास्ता सड़क मार्ग ही है।
तो अगली बार जब आप अपनी यात्रा का प्लान बनाये तो एक बार इस गाँव को अपनी लिस्ट में अवश्य शामिल करें।जो भारत ही नही पूरी दुनिया में एक मिसाल है ।