भारत की प्राचीन संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे जितना जानो, उतना कम पड़ता है।
इसे समझने के लिए पुराणों और धार्मिक ग्रंथों को खंगालने की ज़रूरत पड़ती है।
इनमें देश के विभिन्न भागों का जिक्र मिलता है, जो कि मेरे जैसे घुमक्क्ड़ों को खूब आकर्षित करता है।
मैं बिहार के नेपाल से लगे इलाकों में घूमने निकला। ग्रामजीवन और चौक-चौराहों पर लोगों के जमावड़े को देख रहा था।
राम जन्मभूमि की चर्चा पूरे देश में जोरों पर थी। किसी सज्जन ने बीच बहस में अपने मन की भड़ास निकाली। उसने कहा, राम जन्मभूमि पर सबका ध्यान है लेकिन सीता जन्मस्थली की कोई सुध नहीं लेता!
मैं चौंक उठा और तभी मुझे पता चला कि बिहार के सीतामढ़ी जिले का पुनौराधाम माता सीता की प्राकट्यस्थली है।
वास्तव में सीता जन्मभूमि का आध्यात्मिक और पौराणिक रूप में बड़ा महत्व है।
सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 5 कि.मी. दूर जमीन के भीतर से माता सीता प्रकट हुई थी।
ये जगह फिलहाल बिहार टूरिज्म के रामायण सर्किट का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ आसपास कई ऐसी जगहें मौजूद हैं जिनका रामायण में उल्लेख मिलता है।
माता सीता की जन्मस्थली होने से मिथिला भगवान श्रीराम का ससुराल और लव-कुश का ननिहाल है। आइए पुनौराधाम के बारे में कुछ ख़ास बातों को जान लेते हैं!
सीता के जन्म की कहानी
त्रेता युग में मिथिला नरेश राजा जनक के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई। वर्षा के अभाव में प्रजा त्राहि-त्राहि कर रही थी। गुरु के आदेश से इंद्रदेव को खुश करने के लिए जनक खेतों में उतरे। ऐसे समय में धरती के अंदर से एक कन्या का प्रकट हुआ जिसका नाम सीता रखा गया। दरअसल हल जोतने के समय जमीन पर जो रेखा बनती है, उसे स्थानीय भाषा में सीत कहते हैं और सीत से जन्मी कन्या को सीता कहा गया। इसके बाद इंद्र देवता प्रसन्न हुए और जमकर वर्षा होने लगी। इसी वर्षा से बच्ची को बचाने के लिए वहाँ आनन-फानन में एक शेड बनवाया गया जिसे मड़ई कहते हैं। तभी से इस जगह को सीतामड़ई, फिर सीतामही और बाद में सीतामढ़ी कहा जाने लगा।
ये ऐसा समय था जब उस इलाके में जंगल ही जंगल थे। मड़ई के पास पुनौरा ग्राम में पुंडरिक ऋषि निवास करते थे। लिहाजा पुनौराधाम को सीता जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्धि मिली।
चूंकि सीता धरती से निकली दिव्य कन्या थी और उस पर राजा का ही हक हो सकता था, जनक ने उसे अपनी पुत्री स्वीकार कर राजधानी जनकपुर ले गए।
बताया जाता है कि नेपाल का जनकपुर जो कि बॉर्डर के पास स्थित है, रामायण काल में मिथिला की राजधानी हुआ करती थी।
सीतामढ़ी में यहाँ घूमें
श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या की तरह ही पुनौराधाम तीर्थयात्रियों में लोकप्रिय हो रहा है। सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से पश्चिम में अवस्थित इस स्थान को आज से लगभग दो सौ साल पहले जीर्णोद्धार किया गया। वहाँ उस समय एक मूर्ति मिली, जिसे उर्विजा कुण्ड कहा जाता है। लोगों की मानें तो मुख्य मंदिर में आज भी इसी प्रतिमा को स्थापित किया गया है। कहा जाता है कि जिस जगह पर राजा जनक हल जोतना शुरू किया था, वहाँ उन्होंने शिव की पूजा की थी, वहाँ एक शिवमंदिर है जिसे हलेश्वर मंदिर कहा जाता है।
शहर से 8 कि.मी. उत्तर-पूर्व में एक पुराना पाकड़ का पेड़ है। मान्यता है कि यहाँ स्वयंवर के बाद श्रीराम जब माता सीता को अयोध्या ले जा रहे थे, तो वे पालकी से उतरकर यहाँ थोड़ा समय बिताया था। ये स्थान पंथ पाकड़ के रूप में प्रसिद्ध है। वहीं शहर से उत्तर-पश्चिम की दिशा में 7 कि.मी. दूर बगही मठ नामक यज्ञ स्थान है। 108 कमरों वाला ये स्थान पूजापाठ और यज्ञ आयोजनों के लिए जाना जाता है।
प्राचीन मिथिला की राजधानी जनकपुर घूमें
सीतामढ़ी से लगभग 35 कि.मी. दूर नेपाल के जनकपुर जा सकते हैं जो प्राचीन मिथिला की राजधानी होने के साथ ही जानकी मंदिर के लिए जाना जाता है। आप बिना किसी रोकटोक के बॉर्डर क्रॉस कर सकते हैं। जानकारी हो कि भारत-नेपाल की सीमा आवागमन के लिए खुली है। बताया जाता है कि जनकपुर में ही सीता स्वयंवर का आयोजन किया गया था। आज भी वहाँ राम-सीता विवाह स्थल, मंदिर आदि अनेक दर्शनीय स्थल मौजूद हैं।
हाल ही में अयोध्या से रामजी की बारात जनकपुर पहुँची थी और विवाह-पंचमी कायर्क्रम का आयोजन किया गया था। धार्मिक संस्थाएँ ऐसे आयोजन करते हैं और दोनों देश की साझा संस्कृति में इसका बड़ा योगदान है। इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी यहाँ पधार चुके हैं।
कैसे पहुँचें
हवाई मार्ग द्वारा
अगर हवाई मार्ग से सीतामढ़ी आने का प्लान है तो आपके लिए जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पटना बेहतर ऑप्शन रहेगा जो कि 139 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ से बस या अन्य वाहन से आप सीतामढ़ी पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा
सीतामढ़ी में रेलवे स्टेशन मौजूद है जो कि पूर्वी मध्य रेलवे रक्सौल-दरभंगा रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ तक सीमित ट्रेनें ही हैं। आप रक्सौल, दरभंगा या फिर मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन खोजें। आप चाहें तो पटना भी रेल से पहुँचकर वहाँ से बस या अन्य वाहन से सीतामढ़ी पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
अगर आप सड़क मार्ग से पवित्र शहर सीतामढ़ी आने का प्लान बनाते हैं तो यात्रा रोमांचकारी होने वाली है। शहर सड़क मार्ग से अच्छी तरह कनेक्टेड है और बिहार के प्रमुख शहरों से आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
मिथिला के इस प्राचीन भाग की यात्रा में आपको बिहार की एक अलग ही छवि देखने को मिलती है। यहाँ की भाषा-संस्कृति और बॉर्डर क्षेत्र का शांतिपूर्ण इलाका आपको आश्चर्यचकित कर सकता है। अगर आप छुपे हुए जगहों की यात्रा करने के शौक़ीन हैं तो आप पुनौराधाम की यात्रा जरूर करें। आप भारत-नेपाल दोनों देशों के सीमा क्षेत्रों में बसी आबादी के जीवनशैली को निकट से देख सकते हैं।
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