ऐसा कई बार होता है कि खूबसूरती की तलाश में निकले यायावरों को बहुत मुश्क़िलों का सामना करने के बाद ही अद्भुत नज़ारे मिल पाते हैं। मारखा के साथ भी ऐसा है। हिमालय की सबसे ख़ूबसूरत घाटियों में शुमार है एक अनछुई जन्नत जिसे मारखा घाटी कहते है। लिटिल तिब्बत में मारखा नदी के साथ चलते यहाँ के ट्रेक रुट के पेशेवर और मिड-लेवल ट्रेकर्स, दोनों ही दीवाने हैं। चूँकि यह ट्रेक हिमालय की ऊँची चोटियों के बीच है, थोड़े अनुभवी ट्रेकर्स ही मारखा के दिलकश नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। अगर आप खुद को चुन्नौती देने का सोच रहे हैं तो ये ट्रेक आपके लिए सटीक रहेगा।
कब जाएँ?
ट्रेकिंग के लिए सबसे बढ़िया समय जून से सितम्बर के बीच होता है जब इस क्षेत्र में बर्फ़बारी नहीं हो रही होती, मौसम खिला रहता है और चारों तरफ फूल और हरियाली नज़र आती है। मारखा ट्रेक पर कई सारे टेंट आपको आराम करने के लिए मिल जाएँगे। साथ ही यहाँ पर चाय की कई दुकाने हैं जहाँ आप ठंड से निजात पा सकते हैं। अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार इस पूरे ट्रेक को 5 से 8 दिनों में पूरा किया जा सकता है।
कैसे करें ट्रेकिंग?
मारखा ट्रेक पर जाने के लिए आप लेह से स्पितुक की बस लें। स्पितुक से जिंगचान गाँव से होते हुए आप गोंगमारु दर्रे तक पहुँचेंगे। यहाँ चढ़ाई बाक़ी रास्ते की अपेक्षा ज़्यादा कठिन है पर आपको ईमालिंग के बुग्याल भी यहाँ मिलेंगे जिनकी सुंदरता देखते बनती है। यूँ कहें कि यहाँ की खूबसूरती देखकर आप अपनी सारी थकान भूल जाएँगे। गोंगमारु के बाद रास्ता आसान हो जाता है जैसे-जैसे आप हल्की ढलान पर नीचे उतरते जाते हैं। आप आख़िरकार हेमिस गाँव से लेह के लिए वापसी की बस ले सकते हैं।
लेह से शुरुआत करते हुए इस ट्रेक पर ज़्यादा खर्च नहीं होता। आप खाने वगैरह के साथ ₹500- ₹1000 में इसे पूरा कर सकते हैं। हाँ, थोड़ा मोल-भाव करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
लेह से दोपहर में निकलें ताकि आप रात होने के पहले स्पितुक पहुँच जाएँ। यहाँ बहुत सारे स्थानीय परिवार आपको अपने घर पर रखने के लिए उत्सुक मिलेंगे। सिर्फ ₹200- ₹300 में ये आपको रात का खाना और बिस्तर और सुबह नाश्ता भी देते हैं। अगर आप अपना टेंट ले कर आ रहे हैं तो ये और भी बढ़िया रहेगा। स्थानीय लोगों से पूछ कर आप अपना टेंट किसी उचित स्थान पर लगा सकते हैं।
सुबह ट्रेकिंग चालू करें और युरुत्से पहुँचें। यहाँ पर कई टेंट उपलब्ध मिलेंगे जहाँ आप आराम कर सकते हैं। जिंगचान गाँव तक आपको कुछ जीप भी मिल जाएँग, तो आप चाहे हैं तो इसके आगे से भी ट्रेक की शुरुआत कर सकते हैं।
युरुत्से से ट्रेक कांदा ला दर्रे की तरफ बढ़ता है। यहाँ आपको विशाल पर्वत बाँहे फैलाए मिलेंगे। साथ ही आपको प्यारे-प्यारे मारमोट मिलेंगे जोकि खरगोश और गिलहरी से मिलते-जुलते जीव हैं। ये जीव बहुत उत्सुक होते हैं और आपको देख के खेलने के लिए उत्साहित हो जाते हैं। इस दिन का ट्रेक स्किउ गाँव पर ख़त्म करें।
अगले दिन मारखा नदी को पार करें। कभी-कभी इसमें ज़्यादा पानी होता है और आपको यहाँ पर इंतज़ार करना पड़ सकता है। अब आप आख़िरकार मारखा घाटी पहुँच जाएँगे। मारखा में एक कैंप साईट है जहाँ आप सुस्ता सकते हैं। यहाँ से आप थाचुत्से के रास्ते से नींमालिंग की ओर निकल सकते हैं जहाँ हरी-भरी घाटियाँ आपका इंतज़ार कर रही होंगी।
निमालिंग से अगली सुबह कोंगमारु ला की तरफ़ चढ़ाई शुरू करें। 5200 मीटर पर यह इस ट्रेक का सबसे ऊँचा पॉइंट है । यहाँ से आप लद्दाख रेंज और सिंधु घाटी का विस्तृत पटल देख सकते हैं। तीखी उतराई से बढ़ते हुए आप कई नदियों और झरनों को पार करेंगे। शाम तक शांग सुमडो पहुँचें और रात यहाँ कैंप में गुज़ारें।
शांग सुमडो से आसान रास्तों पर चलते हुए आप तीन-चार घंटे में हेमिस पहुँच जाएँगे। हेमिस से आप बस ले कर वापस लेह पहुँच जाएँगे।
कहाँ ठहरें?
ट्रेकिंग के दौरान रास्ते में हर बड़े गाँव में आपको कैंपिंग और टेंट्स की सुविधा मिल जाएगी। इन जगहों पर आपके खाने का इंतज़ाम भी होगा। कुछ जगहों पर आप स्थानीय लोगों के साथ भी रह सकते हैं।
ये ना भूलें
ट्रेकिंग के लिए सही कपड़े, रेनकोट अपने साथ लेकर चलें। हमेशा कुछ स्नैक्स और पानी साथ रखें। यहाँ मोबाइल नेटवर्क आपको हर जगह नहीं मिलेगा इसलिए अकेले ना भटकें और अपना अता-पता मित्रों को बताते रहें।
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