आपने वन अभयारण्य तो बहुत देखे होंगे पर क्या अपने कभी जलीय अभयारण्य देखा। जलीय अभयारण्य जलीय जीवो की सुरक्षा के लिए बनाये जाते। उन जलीय जीवो के लिए जो अपनी जैव विविधता के लिए जाने जाते है।ये कई मायनो में हमारे लिए उपयोगी होते है, बड़े ज्ञान के स्रोत के साथ-साथ यह जलीय उद्यान जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हमें बचाने का काम करते हैं। भारत में ऐसे कई समुद्री राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण किया गया है, जहाँ पर आप दुर्लभ जलीय जीवो को देख सकते है।जिसमें ऑलिव रिडले कछुए, खारे पानी के मगरमच्छ और कई स्तनधारी समुद्री जीव शामिल हैं।
इन अभयारण्यों के विकास से राष्ट्रीय पर्यटन को भी काफी ज्यादा मदद मिल रही है।जिससे पर्यटन का दायरा बढ़ रहा है साथ ही उन जीवो का संरक्षण भी हो रहा है जो विलुप्त होने की कगार पर है।इसके अलावा ये देश की अर्थव्यव्था में भी काफी योगदान कर रहे है। तो आइए जाने भारत के उन समुद्री अभयारण्यों के विषय में ।
मेरिन राष्ट्रीय उद्यान
जामनगर स्थित मेरीन राष्ट्रीय उद्यान भारत का पहला समुद्री अभयारण्य है। यह राष्ट्रीय उद्यान गुजरात के जामनगर के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।इसे 1982 में स्थापित किया गया था। यह गुजरात के वन विभाग द्वारा संचालित किया जाता है ।इस राष्ट्रीय उद्यान में कच्छ की खाड़ी के 42 द्वीप शामिल हैं, जो अपनी खास भौगोलिक संरचना और जलीय जीवों के लिए जाने जाते हैं।समुद्री जीवन को करीब से देखने के लिए यह एक आदर्श विकल्प है।लगभग 170 मीटर तक फैली हुई है जिसकी अधिकतम गहराई लगभग 60 मीटर है और औसत गहराई लगभग 20 मीटर है।अनुमान के अनुसार, यह मोलस्क की 200 से अधिक प्रजातियों, 150-200 मछलियों की प्रजातियों, जल पक्षियों की लगभग 94 प्रजातियों, स्थलीय पक्षियों की लगभग 78 प्रजातियों,लगभग 27 प्रजातियाँ, झींगे की 27 प्रजातियाँ है।
गहिरमाथा समुद्री वन्यजीव अभयारण्य
गहिरमाथा समुद्री वन्यजीव अभयारण्य भारत के ओडिशा राज्य का पहला और एकमात्र ऐसा समुद्री अभयारण्य है, जिसमें अन्य जीवों के साथ दुर्लभ ऑलिव रिडले कछुओं की संख्या काफी बढ़ोतरी हुई है।ऐसा माना जाता है कि यह ओलिव रिडले कछुओं के लिए दुनिया का सबसे बड़ा घोंसला बनाने वाला मैदान है,और इस रेत तट पर हर साल नवंबर महीने में इन प्रजातियों के लाखों कछुओं के जोड़े, प्रजनन करने और घोंसले बनाने के लिये आते हैं।गहिरमाथा बीच बंगाल की खाड़ी से भितरकनिका मैंग्रोव को अलग करता है, जो ऑलिव रिडले कछुओं के लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।यहाँ बड़ी तादाद में यहां जलीय जीव अन्य स्थानों से यहां स्थानांतरित हो रहे हैं। अगर आप भी जलीय जीवो के अद्भुत नज़ारे देखना चाहते है तो ये जगह बेस्ट है।
महात्मा गांधी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान
पोर्ट ब्लेयर से लगभग 29 किमी पश्चिम में स्थित यह उद्यान अपनी प्रकृति सुन्दरता के लिए जानी जाती है।286 किमी वर्ग में फैले इस मरीन पार्क में खुले समुद्री तट,खाड़ियां और 15 छोटे और बड़े द्वीप हैं।यहाँ पर पर्यटक कांच के तलों वाली नावों से पानी के नीचे दुर्लभ कोरल और समुद्री जीवन देख सकते हैं।2004 के सुनामी के बाद इस पार्क को पुनर्वास के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया था।सीजन के दौरान रेड स्किन और जॉली बोई द्वीप पर्यटकों के लिए खोल दिए जाते हैं। फोरेस्ट डिपार्टमेंट ऑफ ए एंड एन आइलैंड एडमिनिस्ट्रेशन के मुख्य वन्यजीव वार्डन के प्रशासनिक नियंत्रण में है। एक रोमांचक सैर के लिए आप यहां का भ्रमण कर सकते हैं। यहाँ पर आप स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग भी कर सकते हैं।
मन्नार की खाड़ी, समुद्री नेशनल पार्क
जलीय जीवन देखने के लिए तमिलनाडु स्थित मन्नार की खाड़ी, समुद्री नेशनल पार्क बहुत खास माना जाता है। इस समुद्री अभयारण्य में 21 छोटे द्वीप और कोरल रीफ शामिल हैं। 6.23 वर्ग किलोमीटर में फैले इस पार्क को वर्ष 1980 में देश में स्थापित किया गया।यह देश का पहला बायोस्फीयर रिजर्व है। समुद्री जाव विविधता के मामले में यह सबसे धनी क्षत्रों में से एक है। इस उद्यान में प्रवाल भित्ति, समुद्री घास और मैन्ग्रोव तीन जलीय पारिस्थितिक तंत्र हैं, इनके साथ साथ यह नमक ,दलदल और विशिष्ट अल्गल समुदायों का भी घर है।इस जलीय उद्यान में कई विभिन्न प्रकार के जलीय जीव और वनस्पति को भी देखा जा सकता हैं। इसके अलावा आप यहां स्तनधारी समुद्री जीवों को भी देख सकते हैं।अगर आप जलीय जीवों पर रिसर्च कर रहे हैं या अपने ज्ञान का विस्तार करना चाहते हैं तो यहां आ सकते हैं। खास अनुमित के द्वारा आप इन नेशनल पार्क को करीब से समझ पाएंगें।
मालवन समुद्री अभयारण्य
जिस तरह महाराष्ट्र में एक समृद्ध वन विरासत है, उसमें 720 किमी लंबा समुद्र तट भी है। यहाँ के सिंधुदुर्ग से लगभग 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालवन समुद्री अभयारण्य महाराष्ट्र के लोकप्रिय अभ्यारणयों में से एक है।जिसे 1987 में स्थापित किया गया था।यहाँ पर समुद्र के साथ-साथ आपको समुद्र के आसपास के वन्यजीवों को देखने का भी मौका मिलता मिलेगा। मोलस्क, मोती कस्तूरी, केंचुआ आदि जैसे पॉलीकैट्स यहां पाए जाते हैं। मछली की 30 से अधिक प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं। इसमें महाशीर, शिंगदा जैसे बाजार में बेची जाने वाली किस्में भी शामिल हैं। यहां डॉल्फिन और समुद्री सांप भी हैं। मलवन समुद्री वन्यजीव अभयारण्य पूरे साल पर्यटकों के लिए खुला रहता है। इसलिए आप कभी भी यहां आ सकते हैं। सुनहरी रेत और सरू के पेड़ आपको लुभाएंगे। आप यहाँ के पानी के नीचे की अद्भुत दुनिया को देखना पसंद करेंगे।
तो अगर आप भी जलीय जीवन के विषय में जानने के इच्छुक है तो इन अभ्यारणयों में अवश्य जाये।यकीन मानिए यहाँ पर आपको वो सब मिलेगा जिसके विषय में आप जानना चाहते है।
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