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हिमाचल प्रदेश बहुत से देवी देवताओं का खूबसूरत प्रदेश है जहां आपको कई प्राचीन चमत्कारिक मंदिर देखने को मिल जाएंगे। कुछ मंदिरों के चमत्कार पर यकीन कर पाना बेहद कठिन होता है। तो कुछ चमत्कारिक जगहों पर साइंस भी पानी भरती नजर आती है।
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साइंस को हैरान कर देने वाली ऐसी ही एक झील हिमाचल प्रदेश चंबा के मणिमहेश जाते हुए रास्ते में आती है। जिस झील का पानी हर साल अष्टमी के दिन अचानक एकाएक बढ़ जाता है। अष्टमी के दिन अचानक पानी कहाँ से आता है यह आजतक विज्ञान भी नहीं ढूंढ पाया है। कहते हैं ना चमत्कार को नमस्कार, तो बस धार्मिक आस्था लिए श्रद्धालु इस पवित्र जगह दर्शन करने आते हैं।
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मणिमहेश को छोटा कैलाश भी कहा जाता है जहाँ शिव शंकर ने कई सदियों तक तप किया था। कहा जाता है कि आज भी शिव जी का यहाँ वास है। यहाँ आज भी नसीब वाले को मौसम साफ़ होने पर मणिमहेश की चोटी पर दिव्य मणि के दर्शन जरूर होतें हैं। मणि के दर्शन करने से पहले हर श्रद्धालु को इसी झील में स्नान करना जरूरी माना गया है।
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कहा जाता है कि शिव जी ने माता पार्वती के साथ त्रिलोकीनाथ में 7 फेरे ले कर मणिमहेश की रचना की थी यह त्रिलोकीनाथ मंदिर बही पवित्र स्थान है जहां आज भी मंदिर की देखरेख कोई हिन्दू पंडित नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायी करते आ रहे हैं।
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पंडित विपिन शर्मा के अनुसार मणिमहेश यात्रा में स्नान का दौर करीब दो माह तक चलता है। इस अवधि में लाखों लोग यात्रा में शामिल होते हैं, लेकिन शाही स्नान और मणिदर्शन का लुत्फ सिर्फ अष्टमी स्नान पर ही मिलता है। यह शिव जी का ही चमत्कार है जो कि अष्टमी के दिन स्नान से पहले ही झील का पानी बढ़ने शुरू हो जाता है। ऐसा क्यों होता है, इसका पता लगाने में वैज्ञानिक आज भी फिसड्डी ही साबित रहे हैं। अष्टमी के बाद इस झील के पानी का स्तर फिर कम हो जाता है। अचानक झील में इतना पानी कहां से आ जाता है ये रहस्य आज भी बरकरार है।
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इसी कारण हर साल श्रद्धालु दूर दूर से मणिमहेश की यात्रा पर आते हैं। आपको भी एक बार जरूर इस पवित्र जगह दर्शन करने के लिए आना चाहिए।
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