भारत का दिल कहे जाने वाला राज्य मध्य प्रदेश में एक से बढ़कर एक स्थान है जो भारत की संस्कृति और सभ्यता की धरोहर के रूप में आज भी बड़े ही शान के साथ खड़ी है।उन्ही में से एक है मध्य प्रदेश का खजुराहो,जो अपने प्राचीन मंदिरो के लिए विश्विख्यात है।हजारों और लाखो साल पुराने यहां के मंदिर और उनकी मूर्तियां भारत की प्राचीनता का प्रमाण देती है।यहां स्थित बहुत से मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल है।पर आज हम आपको खजुराहो के एक ऐसे मंदिर के विषय में बताएंगे जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है और इस मंदिर के रहस्यों को आज तक विज्ञान भी नही सुलझा पाया है।हम बात कर रहे है खजुराहो के मंगतेश्वर मंदिर की।तो आइए जानते इस रहस्यमय मंदिर के विषय में।
मतंगेश्वर महादेव मंदिर
मध्य प्रदेश के खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही खूबसूरत और लोकप्रिय मंदिर है।कहते हैं कि यह मंदिर 9वीं सदी में निर्मित हुआ था परंतु यहां का शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है। इस शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है।यहां पर स्थित शिवलिंग को बहुत ही चमत्कारिक और जीवित माना जाता है।कहा जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की लंबाई हर वर्ष बढ़ती है।इस शिवलिंग की ऊंचाई लगभग ढाई मीटर और इसका व्यास एक मीटर बताया जाता है। मतंगेश्वर शिवलिंग का आकार धरती के ऊपर और नीचे हर साल बढ़ जाता है।इसका प्रमाण यह है कि हर साल की कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर्यटन विभाग के कर्मचारी आकर इस शिवलिंग की माप करते हैं। जिससे पता चलता है कि इस शिवलिंग का आकार हर साल बढ़ रहा है।इसकी लंबाई बढ़ने के पीछे क्या कारण है इसका पता आज तक कोई नही लगा पाया।
मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवान शिव के एक विशेष मणि मरकत मणि के ऊपर कराया गया है इसी कारण इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर मंदिर रखा गया है।कहा जाता है कि भगवान शिव ने ये मानी पांडवो के जेष्ठ भाई सम्राट युधिष्ठिर को प्रदान की थी।जिसे उन्होंने मोक्ष के समय मतंग ऋषि को दान में दे दिया था।मतंग ऋषि ने इस मणि को बुंदेलखंड के चंदले राजा हर्षवर्मन को दे दिया।जिन्होंने लोक कल्याण के लिए इस मणि को धरती के नीचे दबाकर उसी स्थान पर मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। सबकी मनोकामना पूरी करने वाली इस मणि के कारण ही यहां आने वाले हर व्यक्ति के मन की इच्छा पूरी होती है। मतंग ऋषि के कारण इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर पड़ा।
विश्व का एकमात्र जीवित शिवलिंग
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को विश्व का एकमात्र जीवित शिवलिंग माना जाता है।क्योंकि इस शिवलिंग की ऊंचाई हर साल बढ़ती है।माना जाता है की इसकी लंबाई जितनी ही धरती के ऊपर बढ़ती है उतनी ही धरती के भीतर भी बढ़ती है।वर्तमान काल मे इस शिवलिंग की लंबाई 9 फिट तक हो गई है।इस तथ्य की पुष्टि के लिए हर साल कार्तिक महीने की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई को पर्यटन विभाग के कर्मचारी नापते हैं, और जिसके बाद हर बार लंबाई पहले से कुछ ज्यादा मिलती है।
स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है यह मंदिर
बात इस मंदिर की बनावट की करे तो इसके स्थापत्य का कोई जोड़ नहीं। इस मंदिर का निर्माण 37 फीट के वर्गाकार दायरे में है। इसका गर्भगृह भी वर्गाकार है। प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर स्थित है। मंदिर का शिखर बहुम॑जिला है। इसका निर्माण काल 900 से 9255 ई के आसपास चंदेल शासक हर्षवर्मन के काल में माना जाता है।ये मंदिर खार-पत्थर से बनाया गया है। गर्भगृह समाकक्ष में वतायन छज्जों से युक्त है। इसका कक्ष वर्गाकार है। मध्य बंध अत्यंत सादा, पर विशेष है। इसकी ऊंचाई को सादी पट्टियों से तीन भागों में बांटा गया है। स्तंभो का ऊपरी भाग कही-कहीं बेलबूटों से सजाया गया है। जो वित्तान भीतर से गोलाकार है।मंदिर तक पहुंचने के कई सारी सीढियां चढनी पड़ती है।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
खजुराहो का अपना हवाई अड्डा खजुराहो हवाई अड्डा, जिसे सिविल एयरोड्रम खजुराहो भी कहा जाता है, शहर के केंद्र से सिर्फ छह किमी की दूरी पर स्थित है।यहां से टैक्सी या कैब से आप अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकते है।
ट्रेन से
खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है; हालाँकि खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई शहरों से नहीं जुड़ा है। खजुराहो के लिए नई दिल्ली से एक नियमित ट्रेन है जिसे खजुराहो-हज़रत निज़ामुद्दीन एक्सप्रेस कहा जाता है, जिसे खजुराहो पहुँचने में लगभग 10 से 11 घंटे लगते हैं। खजुराहो को अन्य भारतीय शहरों से जोड़ने वाला दूसरा प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग 75 किमी दूर महोबा में है।
सड़क मार्ग से
खजुराहो का मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के साथ उत्कृष्ट सड़क संपर्क है। मध्य प्रदेश पर्यटन की कई सीधी बसें मध्य प्रदेश और उसके आसपास के शहरों जैसे सतना (116 किमी), महोबा (70 किमी), झाँसी (230 किमी), ग्वालियर (280 किमी), भोपाल (375 किमी) और इंदौर (565 किमी) से उपलब्ध हैं।
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