मांडू जाने का प्लान भले ही कितनी बार बना और बिगड़ा भी पर इस बार के मानसून में मांडू जाना संभव हो ही गया।
मांडू मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के धार जिले में स्थित एक प्राचीन धरोहर वाला शहर है जहां की प्राचीन इमारतें और खंडहर रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की प्रेम कहानी को कहती है। मांडू प्रारंभ में परमार शासकों शासन क्षेत्र में आता था जिस पर बाद में मुगलों अफगानों और खिलजी वंश का शासन स्थापित हुआ। मानसून में मांडू का नजारा देखते ही बनता है इसलिए हम लोग भी मांडू मानसून सत्र में ही गए। मांडू इंदौर से 96 किलोमीटर है हम लगभग 2 घंटे में मांडू पहुंच गए थे. मांडू पहुंचकर हम सबसे पहले रानी रुपमती के महल पहुंचे, मांडू में शायद जिसने मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित किया वह रानी रूपमती ही है इतिहास में मांडू, रूपमती और बाज बहादुर के अमर प्रेम कहानी के कारण ही प्रसिद्ध हुआ है।
रानी रूपमती महल-
रानी रूपमती का महल मांडू में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित महल है।
कहते हैं, रानी रूपमती को प्रातः नर्मदा नदी के दर्शन करने की आदत थी अतः बाज बहादुर ने महल की स्थिति कुछ इस तरह बनवाई थी जिससे नर्मदा नदी महल से दिखती थी वह एक चाँदी की रेखा के समान दिखाई देती थी अत्यधिक ऊंचाई के कारण यहां का दृश्य बहुत ही मधुरम था और यहां से चारों और हरियाली हरियाली दिखाई देती है
रानी रुपमती के महल के बाद हम नीचे की तरफ उतरे जहां पहले रेवा कुंड के दर्शन किए। रेवा कुंड एक तालाब है जहां पर प्राकृतिक दृश्य मनोरम लगता है इसके पश्चात हम बाज बहादुर के महल पहुंचे
यह महल काफी बड़ा था इसके अंदर की तरफ एक बाबडी़ भी थी।
Stepwell in baz-bahadur palace
यह महल अफगान शैली में निर्मित था तथा इसके पत्थरों में की कलाकारी अद्भुत थी इस महल के ऊपरी भाग से रानी रूपमती का महल स्पष्ट दिखाई देता है इन महलो की स्थिति भी इनके प्रेम की गाथा को बयां करती है।
इसके पश्चात के दाई महल के सामने से गुजरे हैं कहते हैं कि इन महलों की वास्तु स्थिति ऐसी है कि कुछ भी कहने पर आपको आप की आवाज सुनाई देती है इस महल की वैज्ञानिक स्थिति ने तो हमें अचंभित ही कर दिया इसके बाद हम मांडू के सबसे खूबसूरत महल समूह के तरफ आए
Main gate- group of palace
सबसे पहले हम तवेली महल पहुँचे। यहां एक म्यूजियम भी था लेकिन यहाँ फोटो लेना मना था म्यूजियम शानदार था वहां परमार राजवंश के समय से लेकर मुगलो तक के वास्तुशिल्प के नमूने रखे हुए थे जिन्हें देखकर एक इतिहास प्रेमी अवश्य ही अचंभित हो सकता है।
तवेली महल से जहाजमहल सबसे खूबसूरत लगता है यहां से देखने में यह सचमुच में एक जहाज के समान प्रतीत होता है मानसून में इसकी खूबसूरती दुगनी हो जाती है और क्योंकि मानसून में इसके चारों ओर पानी भर जाता है जिसके कारण पूरा महल सचमुच जहाज के समान प्रतीत होता है वही हरियाली आ जाने के कारण भी यहां की खूबसूरती बढ़ जाती है
जहाज महल दो मंजिला इमारत है जहाज महल मांडू के इन महल समूहों में सबसे सुंदर और संरक्षित इमारत है क्योंकि ज्यादातर इमारत का महल खंडहर में तब्दील हो गए हैं लेकिन इसके बाद भी अपनी अलग कहानी है।
कपूर तालाब- इस तालाब के पास जाने की अनुमति पर्यटक को नहीं है इसलिए इसे हमने दूर से ही देखा। इसकी भी अपनी खूबसूरती थी और इसके बीच स्थित महल...... इसके क्या कहना क्या......
Kapoor Talab एक बात तो थी यार उस समय के राजा महाराजा की जिंदगी ही हसीन हुआ करती थी एक तो इतने बड़े-बड़े आलीशान महल उसके बाद यह प्राकृतिक नजारे....... मजा आ गया इन प्राकृतिक दृश्य को देखकर।हिंडोला महल-
यह महल झूला के समान प्रतीत होता है इसलिए इसे हिंडोला महल कहते हैं किन्तु मुझे ऐसा कुछ प्रतीत नहीं हुआ आप स्वयं ही देखें
हिंडोला महल देखने में सभागार प्रतीत हो रहा था क्योंकि यहां पर बस एक हॉल ही था
इसके पश्चात हम हिंडोला महल से लगे खंडहर समूह को देखने चले गए
यह खंडहर मांडू के प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं जो आज भी विद्यमान हैं। भले ही यह खंडहर है पर इनकी भी अपनी एक कहानी थी इनका अपना इतिहास था। वहीं आज ये एक खंडहर हो गए हैं पर पर आज भी इनमें एक मजबूती थी
इसके बाद हम जल महल गए यह भी इन खंडहर समूह का हिस्सा था।
Jal Mahal
जल महल में ज्यादातर पानी की बावड़ियां थी जो आज के आधुनिक युग को युग में आपको अचंभित कर देगी। इसके बाद इन दर्शनों के बाद हम बाहर निकले और वहीं हमने पास स्थित जलपान गृह में कुछ नाश्ता किया फिर हम आगे चल पड़े।
जहाज महल से लौटते समय हम जामी मस्जिद आए इसी के अंदर होशंगशाह का मकबरा था तथा इसके सामने अशरफी महल था, जिसमें महमूद खिलजी का मकबरा स्थित था।
Jami Masjid
जामी मस्जिद अब तक के सभी महलो और इमारतों से अलग थी शायद अब शासकों के बदल जाने से वास्तुकला में भी परिवर्तन आ गया था। यह मस्जिद और इसकी वास्तुशिल्प अद्भुत थी और इसके तीन गुबंद वह अपने आप में एक कहानी बयां कर रहे थेहोशंगशाह का मकबरा-
इसके बाद हम होशंगशाह के मकबरे आए वाकई यह तो अद्भुत था दूर से बिल्कुल ताजमहल प्रतीत हो रहा था शायद शाहजहां को ताजमहल बनाने की प्रेरणा यहीं से मिली होगी क्योंकि यह इमारत संगमरमर से निर्मित पहली इमारत थी।
मकबरा के यहां का प्रांगण और यहां की खूबसूरती और वास्तुशिल्प देखने योग्य थी
इसके बाद हम जामा मस्जिद के सामने स्थित अशरफी महल आए। यह महल भी अब खंडहर में तब्दील हो चुका था, परंतु अभी भी अवशेष यहां स्थित हैं।
यहां पर महमूद खिलजी का मकबरा भी स्थित था तथा इस महल में भी संगमरमर का प्रयोग किया गया था साथ ही इस महल की दीवारों पर कुरान की आयतों की तरह कुछ लिखा था उर्दू नहीं आने के कारण मैं उसे समझ तो नहीं पाई परंतु इस तरह संगमरमर में कुरान की आयतों को उकेरना भी अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी।
इसके बाद बाहर आकर हमने वहीं रोड पर मांडू की स्पेशल इमली देखी जो दूर से हमें बहुत अजीब लग रही थी पास आकर पता करने पर पता चला कि वह केवल मांडू की जलवायु के कारण ही केवल मांडू में पाई जाती हैं Mandu ki Special Imli इस प्रकार इन मुगल अफगान वास्तुशिल्प के दर्शन करते करते कब सुबह से शाम हो गई पता ही नहीं चला और हमारे इंदौर जाने का समय भी हो गया। मैंने बहुत से महलो और इमारतों को देखने का जो तय कर रखा था वह पूरा नहीं हो पाया क्योंकि संपूर्ण मांडू दर्शन के लिए आपको एक दिन शायद कम पड़ सकता है इसलिए यदि आप का प्रत्येक site में घूमने का मन है तो ज्यादा समय के साथ आप मांडू आए मैंने भी अपनी सभी site देख पाने की इच्छा पूरी ना होने के कारण एक बार फिर से मांडू आने का निश्चय कर लिया है और आशा करती हूं वह जल्द पूरा हो। परंतु यह एक दिवसीय यात्रा भी बहुत मनमोहक और अविस्मरणीय हो गई पूरे दिन हम स्वयं को मुगल अफगानों के काल में महसूस करने लगे थे। वाकई इस यात्रा ने हमें बहुत से नये अनुभव दिए साथ ही मांडू के बारे में अब तो सुना था उसको देखने का मौका भी मिला। आशा करती हूं आपको ये यात्रा वृतांत पसंद आया होगा|