मलूटी,एक ऐसा गांव जहां मानक घरों से ज्यादा हैं मंदिरों की संख्या

Tripoto
3rd Jun 2023
Photo of मलूटी,एक ऐसा गांव जहां मानक घरों से ज्यादा हैं मंदिरों की संख्या by Yadav Vishal
Day 1

भारत एक धार्मिक देश हैं। यहां पर लाखों की संख्या में मंदिर हैं, जो कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाता हैं। भारत में धार्मिक आस्था की जड़े काफ़ी गहरी हैं, जिनकी झलक आपको यहां के मंदिरों में देखने को मिलती हैं। सनातन काल से ही भारत में मंदिरों को विशेष मान्यताएं दी जाती हैं। भारत के प्रत्येक राज्य में अनेकों प्रकार के मंदिर पाये जाते हैं इनमें से प्रत्येक मंदिर का अपना-अपना विशेष महत्त्व है। पर क्या आप जानते हैं भारत में एक गांव ऐसा भी हैं जहां मानक घरों से ज्यादा मंदिरों की संख्या हैं। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है।

मलूटी

झारखंड के दुमका जिले में हंटरपाड़ा के पास मलूटी गांव स्थित हैं। इस गांव में 72 टेराकोटा मंदिर है। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है। आज मलूटी में ज़्यादातर घर मिट्टी के बने हैं और कुछ कॉन्क्रीट की इमारते भी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कभी इस स्थान पर 108 मंदिर हुआ करते थे। पर वक्त की मार, मरम्मत के अभाव में इनमें से कई मंदिर नष्ट हो गए और आज सिर्फ़ 72 मंदिर ही शेष बचे हैं।

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मलूटी के मंदिर का इतिहास

सन् 1695 ई में राजा बाज बसंत राय के वंशज राजा राम चंद्र ने मलूटी को बसाया था। मलूटी के मंदिरों के बारे में दुनिया को सबसे पहले सन् 1979 में पता चला था। ऐसा कहा जाता हैं कि इन मंदिरों का निर्माण 1720 से लेकर 1840 के मध्य हुआ था। मलूटी गांव में इतने सारे मंदिर बनाने के पीछे यहां के पूर्वज एक रोचक कहानी बताते हैं, पूर्वज के अनुसार यहां के राजा महल बनाने की बजाए मंदिर बनाना पसंद करते थे और राजाओं में अच्‍छे से अच्‍छा मंदिर बनाने की होड़-सी लगीं रहती थी। इस कारणवश यहां मानक घरों से ज्यादा मंदिरों की संख्या हैं। इन मंदिरों का निर्माण सुप्रसिद्ध चाला रीति से किया गया था। ये मंदिरे छोटे-छोटे लाल सुर्ख ईटों से निर्मित किए गए हैं, जिनकी उंचाई लगभग 15 फीट से 60 फीट के मध्य हैं। शुरूआत में यहां कुल 108 मंदिर थे लेकिन संरक्षण के अभाव में अब सिर्फ़ 72 मंदिर ही रह गए हैं। इनके मंदिरों की दीवारों पे रामायण और महाभारत के कथाओं का चित्रण किया गया हैं, जोकि इसको और भी आकर्षक और खुबसुरत बनाते हैं।

मलूटी में एक ही स्थान पर मन्दिर, मस्ज़िद और गिरजाघर भी हैं

मंदिरों के इस गांव को एक ही स्थान पर मन्दिर, मस्ज़िद और गिरजाघर होने का भी सौभाग्य प्राप्त है। साथ ही साथ आपको यहां भगवान भोले शंकर के मंदिरों के अतिरिक्त यहां दुर्गा, काली, धर्मराज, मनसा, विष्णु आदि देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं। यहां स्थित देवी मौलिक्षा का भी मंदिर हैं, जिसे अभी भी एक जीवंत शक्तिपीठ माना जाता है।

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ग्लोबल हेरिटेज फंड से हैं संरक्षित

मलूटी गांव को ग्लोबल हेरिटेज फंड से संरक्षित किया गया है, जिसे दुनिया की 12 वीं और भारत में एक मात्र सबसे अधिक लुप्तप्राय होती विकसित सांस्कृतिक विरासत स्थलों के रूप में घोषित किया गया है। 2015 में गणतंत्र दिवस पर झारखंड की ओर से श्रृंखलाबद्ध मंदिरों के गांव मलूटी पर आधारित आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गयी थी। जिसे द्वितीय पुरस्कार भी मिला था। आपको बता दें उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा हमारे चीफ गेस्ट थे। बस तब से इस गांव ने दुनिया में अपनी पहचान बना ली थी।

कैसे पहुँचें

रामपुर हाट मलूटी गाँव का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ तक दुमका-रामपुर सड़क पर 'सूरी चुआ' नामक स्थान पर बस से उतर कर उत्तर की ओर 5 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। अगर आप हवाई मार्ग से जा रहें हैं तो निकटतम हवाई अड्डा राची हैं। जहां से आप कैब कर के यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।

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