भारत एक ऐसा देश है जहाँ देश के हर कोने कोने में प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही साथ यह देश एक विशेष गौरवशाली इतिहास के लिए भी जाना जाता हैं इस देश के हर हिस्से में काफी कहानियां छुपी हुई हैं। जो आपको इतिहास के सदियों पहले की सैर करा सकती हैं। पर्यटन की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के हरे भरे जंगल, झरने और पहाड़ सहज ही पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। लेकिन बहुत कम सैलानियों को शायद ही यह पता होगा की छत्तीसगढ़ में मैनपाट एक ऐसी खूबसूरत जगह है जहाँ बर्फ गिरती है और सर्दियों में यह इलाका बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है। मैनपाट में काफी ठंडक रहती है, यही कारण है कि इसे ‘छत्तीसगढ़ का शिमला’ कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के मैनपाट की वादियां शिमला का एहसास दिलाती हैं खासकर सावन और सर्दी के मौसम में। प्रकृति की अनुपम छटाओं से परिपूर्ण मैनपाट को सावन में बादल घेरे रहते हैं, तब इस जगह की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। लगता है, जैसे आकाश से बादल धरा पर उतर रहे हों। अंबिकापुर से दरिमा होते हुए कमलेश्वरपुर तक पक्की घुमावदार सड़क और दोनों ओर घने जंगल मैनपाट पहुंचने से पहले ही हर किसी को प्रफुल्लित कर देते हैं। मैनपाट की वादियां यों तो पहले से ही खूबसूरत हैं, लेकिन बादलों की वजह से इस की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। शिमला, कुल्लूमनाली जैसे पर्यटन स्थलों में प्रकृति की अनुपम छटा देख चुके लोग जब मैनपाट की वादियों को देखते हैं तो इस की तुलना शिमला से करते हैं। मैंने भी जब इस जगह के बारे में पढ़ा तो काफी आश्चर्य हुआ मुझे भी, क्योंकि मैं भी इस जगह के बारे में पहले नही जानती थी। लोग सच ही कहते है भारत कई अनोखी और खूबसूरत जगहें हैं। जो आज भी लोगों की नजरों से दूर हैं तो ये बात बिल्कुल सही हैं। तो आइए छत्तीसगढ़ का शिमला और भारत का छोटा तिब्बत कहे जाने वाली इस खूबसूरत जगह के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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छोटा तिब्बत भी कहते हैं इसे
मैनपाट की एक खूबी और है कि 1962 में यहाँ तिब्बतियों को शरणार्थी के रूप में बसाया गया था इसलिए इसे छोटा तिब्बत के नाम से भी जाना जाता है। तिब्बतियों के बसे होने की वजह से यहाँ के मठ-मंदिर, खान-पान और संस्कृति में भी तिब्बत जैसा महसूस होता है। यही कारण है कि इसे छत्तीसगढ़ का शिमला के साथ ही मिनी तिब्बत कहा जाता है यहाँ तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा दो बार आ चुके हैं। यहाँ तिब्बती कैंप व बौद्ध मंदिर पहुंचकर मन को शांति मिलती है।
मैनपाट छतीसगढ़ का एक पर्यटन स्थल है। मैनपाट एक छोटा सा गांव है, जो अंबिकापुर से करीब 55 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। मैनपाट विंध्य पर्वतमाला पर स्थित है। समुद्र की सतह से इस की ऊंचाई 3,780 फुट है। मैनपाट की लंबाई 28 किलोमीटर और चौड़ाई 12 किलोमीटर है। यह बहुत ही आकर्षक स्थल है। मैनपाट सैलानियों के लिए बहुत ही बढ़िया आफबीट डेस्टिनेशन हैं। जो लोग किसी नई जगह की तलाश में हर वक्त होते हैं उनके लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। इसलिए इस जगह को छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है। यहाँ पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और उनके बीच घुमड़ते बादल बहुत ही सुंदर लगते हैं।
मैनपाट में देखने के लिए बेहतरीन जगहें
मैनपाट में देखने के लिए काफी कुछ हैं, यहाँ कई सारे मनोरम स्थल है लेकिन अगर आप कभी मैनपाट के वादियों में आते हैं तो आपको मैनपाट के इन पर्यटन स्थलों में जाकर मनोरम दृश्य का लुफ्त जरुर उठाना चाहिए।
टाइगर पॉइंट मैनपाट
टाइगर प्वाइंट मैनपाट के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, यहाँ बंदरों के उछल कूद और कल कल करता झरना मनमोहक दृश्य का निर्माण करतें हैं। स्थानीय लोगो के अनुसार कई साल पहले इस क्षेत्र में जंगल के बाघ देखे जाते थे, इस वजह से इसका नाम टाइगर पॉइंट पड़ा। टाइगर पॉइंट पर महादेव मुदा नदी झरने का निर्माण करती है यह झरना लगभग 60 मीटर की ऊंचाई से गिरता है।
जलजली पॉइंट मैनपाट
यह मैनपाट का ऐसा आकर्षण का केंद्र है जहाँ आकर हर कोई बच्चों के की तरह उछलने को मजबूर हो जाता है क्योंकि यहाँ की जमीन बिना भूकंप के हिलती है जी हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा यहाँ पर अगर आप जमीन पर उछलते हैं तो जमीं हिलती है अगर आप मैनपाट आयें तो इस कुदरत के करिश्मे को देखना न भूलें।
उल्टा पानी
मैनपाट का उल्टापानी हाल ही में अस्तित्व में आया है और यहाँ आकर सैलानी काफी अचंभित हो जाते हैं क्योंकि यहाँ पर पानी का बहाव ऊंचाई की तरफ है साथ ही यहाँ पर सड़क पर खड़ी न्यूट्रल गाड़ी पहाड़ी की ओर चली जाती है। यहाँ पानी का बहाव विपरीत दिशा में होने के कारण इस जगह का नाम उल्टापानी रखा गया है।
जलपरी पॉइंट
जलपरी पॉइंट यहाँ जाने के बाद आप इस झरने को देख कर मोहित हो जायेंगे। यह मैनपाट का सबसे खूबसूरत झरना है, यहाँ के स्थानीय लोगों में किदवंती प्रचलित है कि यहाँ पर पहले जल पारी दिखाई देती थी बस यही कारण है की यहाँ का नाम जलपरी रखा गया है। यह पहाड़ियों के बीच गाँव से लगभग 17 km दूर स्थित है, यहाँ मछली नदी पर झरना है जो लगभग 80 मीटर की ऊँचाई से गिरता है जो खूबसूरत दृश्य का निर्माण करता है।
मैनपाट कार्निवल
इस महोत्सव की शुरुआत 2012 में मैनपाट कार्निवल नाम से किया गया। इस उत्सव में स्कूल, कॉलेज के छात्रों, स्थानीय कलाकारों, छत्तीसगढ़ के कलाकारों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम को प्रस्तुत किया जाता हैं। यह उत्सव हर साल फरवरी माह के शुरुआत के दिनों में आयोजित किया जाता है।
मैनपाट घूमने का अच्छा समय
मैनपाट का सफर रोमांच से भरा है अगर आप मैनपाट आने का मन बना रहें है तो आप साल के किसी भी महीने में आ सकते हैं लेकिन आपको यह ध्यान रखना चाहिए की मैनपाट की ख़ूबसूरती चरम पर, बारिश और ठण्ड के मौसम में होती है। मेरे अनुसार अगर आप मैनपाट के वादियों का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो बारिश या ठण्ड के मौसम में जरुर जाएँ। अगर आप प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का मज़ा लेना चाहते हैं तो आपको मैनपाट कार्निवाल के दौरान आपको मैनपाट घूमने जाना चाहिए।
कैसे पहुंचे मैनपाट
मैनपाट जाने के लिए आपको बस, टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। अंबिकापुर-रायगढ़ राजमार्ग से होते हुए मैनपाट आसानी से पहुंचा जा सकता है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से इसकी दूरी 390 किमी है। और अंबिकापुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। आप अंबिकापुर तक ट्रेन से आ सकते हैं उसके बाद आप अपनी सुविधा के अनुसार मैनपाट पहुँच सकते हैं।
नजदीकी रेलवे स्टेशन – अंबिकापुर रेलवे स्टेशन मैनपाट का नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
नजदीकी हवाई अड्डा – स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर मैनपाट का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा हैं।
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