मैं 4 महीने भारत में अकेले घूमी, इस यात्रा ने मुझे वो सबक सिखा दिए जो कोई किताब नहीं सिखा पाई!

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Photo of मैं 4 महीने भारत में अकेले घूमी, इस यात्रा ने मुझे वो सबक सिखा दिए जो कोई किताब नहीं सिखा पाई! by Rishabh Dev

मेरे पास ऐसे पैरों का जोड़ा होना चाहिए था, जिससे मैं विशाल समुद्र को पार कर पाती।

चार महीने पहले मैंने ट्रैवल करने और अपने टाइम का उपयोग करने का फैसला लिया। मेरे दोस्त, मेरे इस फैसले से हैरान थे। लेकिन चार महीने तक अलग-अलग जगहों पर बैकपैक करके घूमने की इच्छा किसी की नहीं थी। अगर मैं किसी के साथ आने का इंतज़ार करती, तो शायद ये इंतजार कभी खत्म नहीं हो पाता। तब मैंने सारी असहजता को छोड़कर बैगपैक करके निकलने का फैसला किया। मैं निकल पड़ी ऐसे रास्ते पर जो साहस भरा तो था लेकिन साथ में थोड़ा डर भी था। मैं अपने इस सफर में आगरा, जयपुर, पुष्कर, हिमाचल, गोवा, गोकर्ण, हम्पी और आखिर में फिर से दो दिन के लिए हिमाचल गई।

एक महिला के लिए अकेले ट्रैवल करना मज़ेदार और कठिन दोनों रहता है। लेकिन जैसे ही सफर खत्म होता है, मुझे आज़ादी, आत्मविश्वास और गर्व का अनुभव होता है। थोड़ी घबराहट भी होती है, लेकिन ज्यादातर, पूरी तरह से संतुष्ट। ये सब वो है जो मैंने चार महीनों में ट्रैवल करते हुए पाया।

दिल और दिमाग, दोनों खुले रखें

राजस्थान की समृद्ध विरासत से लेकर गोवा की रंगीन रातों तक, मैंने केवल यही समझा है कि यहाँ ना कुछ सही है और ना ही कुछ गलत। दुनिया बहुत बड़ी है और यहाँ सब ज़िंदगी अपने हिसाब से जीते हैं। कहीं शराब और सेक्स के बारे में बात करना बुरा माना जाता है, मैंने यहाँ लोगों को ड्रग्स लेते हुए भी देखा है। मैंने दोनों ही जगह से अपने हिसाब के गुणों को सीखा है। सोलो ट्रेवल आपको जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से परिचित करवाता है। यह आपके सभी दायरों को तोड़ देता है जो आपके दिमाग और दिल को खोलकर रख देती है।

आपको किसी की ज़रूरत नहीं है!

एक बार जब आप अकेले किसी नई जगह पर ट्रैवल करते हैं तो आप सिर्फ उस जगह पर बने ही नहीं रहते हैं, बल्कि उस जगह पर एंजाॅय करना भी सीखते हैं। तब आपको एहसास होता है कि आपको ट्रैवल करने, एंजॉय करने और खुश रहने के लिए किसी और की ज़रूरत नही हैं। यहाँ तक कि जब मैं नीचे गिरी तो बिना किसी मदद के खुद ही उठ खड़ी हुई। ये सबसे महत्वपूर्ण सबक है जो मैंने ट्रैवल करते हुए सीखा।

बेवजह का डर

मैं हम्पी में जंगल में एक काॅटेज में रह रही थी। ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि जंगल में कई प्रकार के कीड़े और छिपकली भी थी जो कभी-कभी झोपड़ी में भी आ जाते थे और इनमें मुझे छिपकली से खास तौर पर डर भी लगता है। तब मुझे अपने कमरे में भी डर लग रहा था। दुनिया की सबसे पुरानी चीजों में से एक छिपकली मुझे हर रात वाॅशरूम में दिखाई देती है। तब मुझे अपने वाॅशरूम में भी जाने से डर लगता है। मैंने इसकी शिकायत भी की और इसे दूर करने के लिए कहा, मैं रात में अकेले में सोई। ये सब मेरे साथ हो रहा था और मैं उनका सामना कर रही थी। सोलो ट्रेवल ने मुझे और मज़बूत बना दिया।

पहले से ज़्यादा मज़बूत, पहले से ज़्यादा समझदार

हम्पी में मुझे दोबारा 7 कि.मी. ट्रैवल करना था। वहाँ जाने के लिए टुकटुक ड्राइवर के अलावा और कोई साधन उपलब्ध नहीं था। जो मेरी दुर्दशा को देखकर नाराज़गी जता रहा था। मैंने कुछ ऐसा किया जो मैं हमेशा से करना चाहती थी, लेकिन वो करने में मैं हमेशा से डरती थी। तब मैंने 7 कि.मी. तक बाइक चलाई। मैंने इससे पहले ऐसा कभी नहीं किया था। जीवन एक अजीब शिक्षक है! मैं एक शानदार और अद्भुत जगह पर गई। मेरी आँखों में खुशी और गर्व के आंसू थे और मेरा दिल ट्रेन की तरह तेज धक-धक हो रहा था।

नया सफर, नया दोस्त

सोलो ट्रैवलिंग आपकी सारी बाधाओं को खत्म कर देता है और यही बात है जो मुझे सेालों ट्रेवलिंग में सबसे ज्यादा पसंद है। इसमें आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर आते हैं। हम स्थानीय लोगों से मिलते हैं और उनसे खुलने लगते हैं और अपने साथी ट्रेवलर्स की तारीफ करते हैं। एक-दूसरे के किस्से, कहानियाँ और अनुभव शेयर करते हैं। मुझे लगता है कि मैं अमीर बन गई हूँ क्योंकि सारी जिंदगी अब मेरी ही है और सभी बेहतरीन लोगों ने मुझे दया, दोस्ती, साथ और ट्रैवल के सबक सिखाए।

Photo of मैं 4 महीने भारत में अकेले घूमी, इस यात्रा ने मुझे वो सबक सिखा दिए जो कोई किताब नहीं सिखा पाई! by Rishabh Dev
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बॉयफ्रेंड मेरा बैग नहीं उठाएगा

मैं राजस्थान में एक सुनसान सड़क पर एक अजीब-सी स्थिति में फंसी हुई थी। मुझे लगा कि मेरा पीछा किया जा रहा है। मैं दौड़ना चाहता थी लेकिन मैं अपने भारी बैग की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही थी। तब मैंने सीखा कि ट्रैवल करते समय बैग हल्का रखना चाहिए। इसलिए केवल इतना सामान पैक करें, जिसे आप पीठ पर लेकर चल सकें और जब ज़रूरत पड़े तो दौड़ भी पाओ। मैं वैसे तो कभी सूटकेस और ट्रॉली बैग को साथ रखने के फेवर में नहीं हूँ लेकिन मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने रक्सैक बैग को बुरी तरह से पैक कर लिया था। अब मैंने ट्रैवल करते समय बैग को हल्का करने के लिए कपड़े और सामान को खरीदना बंद कर दिया है।

ज़िम्मेदारी की अक्ल

सोलो ट्रैवल करना आपको अपने पैरों पर खड़े करना सिखा देता है। सोलो ट्रैवलिंग में आप किसी पसंद और नापसंद के खुद फैसले लेते हैं। इस फैसले में आप किसी दूसरे पर दोष नहीं मढ़ सकते हैं। सोलो ट्रैवल हमें अनुशासन, दिमाग का उचित उपयोग, आत्म निर्भरता, भरोसा, गलतियाँ करने और आगे बढ़ने के बारे में बहुत कुछ सिखाता है। सोलो ट्रैवल करते-करते एक जिम्मेदारी का एहसास होने लगता है।

मैंने क्या छोड़ा और क्या वापस लाई?

मैंने अपनी किताबें गोअन हाॅस्टल में छोड़ दीं। मैंने अपनी समुद्र तट की ड्रेस दोस्त को दे दी और जूते गोकर्ण में एक बच्चे को दे दिए। मैं घुटनों के बल चल कर घर वापस आई। योग की शिक्षा, महिला सिक्योरिटी पर रियलिटी चेक, जितना मैं गिन सकती थी, उससे कहीं ज्यादा दोस्त और जीवन भर के लिए यादें लेकर आईं।

तो क्या तुम ऐसा करने की हिम्मत करोगे?

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