जैसे कि हर दिन की तरह आसमान अपने चटख नीले रंग में था, घूमते पंछी अपने संगीत से सबको जगा रहे थे, बंदर नज़दीक के पेड़ों पर उछल कदम कर रहे थे, ठीक उसी वक़्त लगभग 11 बजे मेरा फ़ोन बजा।
मेरा एक दोस्त, जो कि यहाँ से 6 किमी0 दूर दूसरे गाँव शूरू में रहता है, उसके गाँव में कोरोना वायरस का पहला केस हो गया है।
एक 22 साल की लड़की, जो 11 जुलाई को टैक्सी कर दिल्ली से मनाली आई थी। उसे घर पर क्वारंटीन रहने की सलाह दी गई थी। सात दिन बाद, उसे कुछ तकलीफ़ हुई और तुरंत डॉक्टर को दिखाया। मंडी मेडिकल कॉलेज में उसकी टेस्टिंग हुई और बीते मंगलवार को उसे कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट किया गया। अब वह कुल्लू अस्पताल में 14 दिन के लिए क्वारंटीन है।
शूरू को अगले धारा 144 के अंतर्गत कंटेनमेंट ज़ोन बना दिया गया है। सवाल उठता है, कि उस लड़की के परिवार वालों का क्या? केवल टेस्टिंग और आने वाला समय ही कुछ बता सकते हैं।
पिछले कुछ महीनों से, जहाँ कोरोना वायरस के डर के कारण सब अस्त व्यस्त हो गया है, वहीं मनाली की ज़िंदगी सामान्य थी। लॉकडाउन के समय लोकल पंचायत और पुलिस ने अपनी मेहनत से स्थिति सँभाले रखी। अब पूरे गाँव को सील कर दिया गया है, लेकिन अंदर अभी भी सब सामान्य है। दुकानें और कैफ़े बंद कर दिए गए हैं।
मैं हमेशा कहती थी कि मनाली ने कोरोना वायरस का सिर्फ़ नाम सुना है, क़िस्मत से अभी तक देखा नहीं है। लेकिन अब यहाँ पर भी कोरोना वायरस केस होने से चुप्पी छा गई है। लेकिन अब इसका कुछ किया भी नहीं जा सकता, क्या करें।
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