भाषा क्या है? हम इंसानो द्वारा अपने विचारों, कल्पनाओं और मनोभावों को व्यक्त करने के लिए उपयोग में ली जाने वाली ध्वनि या फिर लिखे गए शब्दों का तरीका, यही ना! इसीलिए किसी भी भाषा को छोटा या बड़ा समझना किसी भी तरह की समझदारी का काम नहीं हो सकता। लेकिन फिर भी आज के समय बहुत से लोग अपनी खुद की मातृ भाषा जैसे कि हिंदी भाषा से ज्यादा महत्त्व किसी अन्य भाषा को देते हैं और यहाँ तक कि कुछ लोगों द्वारा तो हिंदी में बात करने वाले लोगों को अंग्रेजी भाषा में बात करने वाले लोगों से हर स्तर पर कम भी समझा जाता है। बल्कि पूरी दुनिया में अधिकतर जगहों पर अपनी मातृ भाषा को ही सबसे अधिक महत्त्व दिया जाता है। हालाँकि दूसरी भाषा सीखना और जरुरत होने पर उसका इस्तेमाल करना ये बेहद अच्छी बात है लेकिन इसके साथ ही खुद की और साथ ही सभी की मातृ भाषा का सम्मान करना भी बेहद जरुरी है। इसी महीने 14 सितम्बर के दिन हम हिंदी दिवस मनाने जा रहे हैं जो कि हर साल देश भर में लोगों को हिंदी के महत्व के बारे में बताने और इस भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतवर्ष उत्सव के रूप में बनाया किया जाता है।
अब हिंदी की बात हो और आधुनिक हिंदी भाषा की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक 'महादेवी वर्मा' जिन्हें आधुनिक मीरा भी कहा जाता है, उनका जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। आज हम इस लेख में महादेवी वर्मा जी के बारे में कुछ बातें और साथ ही उनके पहाड़ों में बसे खूबसूरत घर के बारे में बताने वाले हैं जिसे मीरा कुटीर के नाम से जाना जाता है। तो चलिए शुरू करते हैं...
आधुनिक मीरा: महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा जी की गिनती हिंदी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में की जाती है। चार प्रमुख स्तम्भ सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा को माना जाता है। अगर महादेवी जी के कार्यक्षेत्र की बात करें तो लेखन के अलावा उनका कार्यक्षेत्र संपादन और अध्यापिका के तौर पर भी रहा और उनके महिला शिक्षा के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कोई नहीं भुला सकता। महादेवी वर्मा जी के लिखे गीतों को भी हम कभी नहीं भुला सकते और उनके गीतों में शामिल मुख्य प्रवृति की बात करें तो वें वेदना और करुणा ही होंगी। 11 सितम्बर 1987 को जब वें पंचतत्व में विलीन हो गयीं उससे पूर्व उन्होंने गद्य, शिक्षा, काव्य और चित्रकला जैसे क्षेत्रों में नए नए आयाम स्थापित किये थे।
भक्ति काल में जो स्थान कृष्ण भगवान की भक्त मीरा बाई को मिला था आधुनिक युग में वही स्थान महादेवी वर्मा को दिया जाता है। अपने काव्य में उपस्थित विरह वेदना और भावनात्मक गहनता के चलते ही उन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा गया और वहीं अगर बात करें प्रसिद्द कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की तो उन्होंने तो महादेवी जी को 'हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती' भी कहा।
उनकी अधिकतर रचनाओं का साक्षी हमेशा से बना रहा उनका पहाड़ों की वादियों में बसा एक घर जो कि हमारे देश के उत्तराखंड राज्य में स्थित है।
मीरा कुटीर, रामगढ
जैसा कि हमने आपको बताया कि महादेवी जी को आधुनिक मीरा भी कहा जाता था और इसीलिए उनके पहाड़ों में स्थित घर को मीरा कुटीर के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह घर उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में रामगढ कस्बे में एक छोटे पहाड़ी गाँव उमागढ़ में स्थित है।
इसी घर में उन्होंने दीपशिखा और लछमा जैसी कुछ अद्भुत रचनाओं को लिखा था और इस घर की अवस्थिति और आस-पास के नज़ारे देखकर भी आप समझ सकते हैं कि कैसे प्रकृति भी किसी भी कलाकार कि रचनाओं पर चार चाँद लगाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। रामगढ में स्थित यह घर चारों ओर से घनी हरियाली से भरे पर्वतों के बीच देवदार और चीड़ के वृक्षों से घिरा हुआ है जो कि एक झलक में देखने में भी एक बेहद सुकून और शांति से भरी जगह प्रतीत होती है। उनकी यहाँ रची गयी कविता संग्रह दीपशिखा एक अत्यधिक लोकप्रिय कविता संग्रह थी।
महादेवी वर्मा संग्रहालय
मीरा कुटीर नाम के जिस पहाड़ी घर की बात हमने ऊपर की अब उसे महादेवी वर्मा संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। इस म्यूजियम में आपको महादेवी जी की इस्तेमाल की हुई डेस्क के साथ अन्य भी कई वस्तुएं देखने को मिल जाएँगी। यह वही डेस्क है जिस पर उन्होंने इतनी महान कविताओं की रचना की थी जिसे एक बार देखकर उस दृश्य की एक कल्पना भी आपके रोंगटे खड़े कर दे।
आपको बता दें कि वैसे तो महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में हुआ था और उनकी कर्मभूमि मुख्य तौर पर इलाहबाद रही बताई जाती है लेकिन बताया जाता है कि एक बार जब वे बद्रीनाथ धाम की यात्रा करके वापस आ रहीं थीं तब एक रात उन्होंने रामगढ में गुजारी और तभी वें इस सुन्दर गाँव की खूबसूरती की दीवानी हो गयीं और यहाँ घर बनाने का निश्चय किया जहाँ वें आम तौर पर गर्मियों के मौसम में रुका करती थीं।
उनकी डेस्क के अलावा भी इस संग्रहालय में उनके द्वारा इस्तेमाल किये हुए बर्तन उनके संग्रह से प्राप्त की गयीं पत्रिकाएं, उनके दैनिक उपयोग की वस्तुएं, जैसे संदूक, टावल स्टैंड, टेबल, पानी गर्म करने का उपकरण आदि आपको देखने को मिलेंगे। साथ ही घर की खिड़कियों से और बाहर से चारों ओर के नज़ारे वास्तव में बेहद मनमोहक और खूबसूरत हैं।
कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग द्वारा
आपको बता दें कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित पंत नगर एयरपोर्ट नैनीताल शहर के लिए भी और रामगढ में स्थित महादेवी वर्मा जी के घर के लिए भी सबसे निकटतम एयरपोर्ट रहता है। नैनीताल से पंतनगर एयरपोर्ट की दूरी करीब 70 किलोमीटर है वही महादेवी वर्मा म्यूजियम कि दूरी करीब 76 किलोमीटर है। पंतनगर एयरपोर्ट से सड़क मार्ग काफी अच्छा है जिससे आप आसानी से टैक्सी वगैरह करके यहाँ तक पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप देहरादून एयरपोर्ट पर भी आ सकते हैं और फिर वहां से करीब 300 किलोमीटर दूर नैनीताल टैक्स वगैरह से पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा
नैनीताल में कोई रेलवे स्टेशन भी नहीं है लेकिन अगर निकटतम रेलवे स्टेशन की बात करें तो सिर्फ 41 किलोमीटर दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जहाँ से आपको नैनीताल के लिए बस या टैक्सी वगैरह आसानी से मिल जाएगी। नैनीताल पहुंचकर आप आसानी से टैक्सी करके संग्रहालय तक पहुँच सकते हैं। काठगोदाम के लिए आपको देश के अनेक शहरों से अच्छी रेल कनेक्टिविटी मिल जाएगी।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग यहाँ पहुँचने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। दिल्ली से भी आपको नैनीताल के लिए आसानी से बस मिल जाएगी और इसके अलावा उत्तर भारत के कई शहरों से नैनीताल के लिए बस आपको आसानी से मिल जाएगी। इसके अलावा अगर आप खुद के वाहन से भी यहाँ जाना चाहते हैं तो भी सड़क मार्ग काफी अच्छी स्थिति में है जिससे आप बिना किसी परेशानी के यहाँ पहुँच सकते हैं।
तो इसी के साथ हिंदी दिवस से पूर्व हिंदी साहित्य की महान कवयित्री महादेवी वर्मा के इस पहाड़ी घर से जुडी जितनी भी जानकारियां हमारे पास थीं हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आप नैनीताल जाने का प्लान कर रहे हैं या फिर नैनीताल के आस-पास हैं तो मीरा कुटीर (महादेवी वर्मा संग्रहालय) जरूर जाएँ। साथ ही अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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